अब साइबर फ्रॉड और डार्क वेब से इस तरह निपटेगी बिहार पुलिस, जानें पूरा प्लान
Bihar News: बिहार पुलिस अब साइबर अपराध और डार्क वेब के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह हाईटेक बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। राज्य सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को आधुनिक तकनीकी टूल्स और संसाधनों से लैस करने की मंजूरी दी है। गृह विभाग ने इसके लिए 28 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है।
क्यों ज़रूरी है साइबर सुरक्षा पर फोकस?
पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराध ने आम लोगों से लेकर सरकारी तंत्र तक को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ऑनलाइन ठगी, बैंकिंग फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स की चोरी, फेक सोशल मीडिया अकाउंट और डार्क वेब पर होने वाले अवैध कारोबार राज्य पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। खासकर डार्क वेब के जरिए मानव तस्करी, हथियारों का सौदा, हैक किए गए अकाउंट्स और चोरी किए गए डेटा की बिक्री जैसी गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में पुलिस को तकनीकी रूप से और मज़बूत करना अब समय की मांग है।
बनेगा सुरक्षा परिचालन केंद्र (SOC)
बिहार पुलिस अब ईओयू में एक सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर (SOC) स्थापित करने जा रही है। यहां विशेष सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर टूल्स का इस्तेमाल होगा, जिससे मोबाइल फॉरेंसिक, क्रिप्टो करेंसी लेन-देन और संदिग्ध आईपी डोमेन की पहचान की जा सकेगी। इस सेंटर की मदद से साइबर अपराध की पहचान तेजी से होगी और अपराधियों पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
डीपफेक और डिजिटल फ्रॉड की पहचान
तकनीक के बढ़ते दुरुपयोग के चलते डीपफेक वीडियो और फोटो आज सबसे बड़ी चुनौती हैं। इन्हीं से निपटने के लिए बिहार पुलिस करीब 3 करोड़ रुपये का विशेष टूल खरीद रही है। यह टूल नकली वीडियो और फोटो को पकड़ने में मदद करेगा और पहचान छेड़छाड़ की घटनाओं पर रोक लगाएगा।
इसके साथ ही कई और हाईटेक टूल्स पुलिस के पास होंगे:
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मोबाइल अनलॉकिंग फीचर – अपराधियों के फोन से डेटा रिकवर करने में मदद करेगा।
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क्रिप्टो करेंसी इन्वेस्टिगेशन टूल – बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो से जुड़े लेन-देन का पता लगाने में काम आएगा।
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आईपी और डोमेन लुकअप टूल – संदिग्ध वेबसाइट और आईपी की ट्रैकिंग में मदद करेगा।
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मालवेयर एनालिटिक टूल – हैकिंग और वायरस अटैक की जांच के लिए उपयोग होगा।
बी-सैप जवानों की सुरक्षा के लिए नए संसाधन
साइबर अपराध से लड़ाई के साथ-साथ ज़मीनी स्तर पर सुरक्षा बलों को भी मज़बूत किया जा रहा है। इसके तहत:
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बी-सैप जवानों के लिए 250 बुलेटप्रूफ जैकेट और 250 बुलेटप्रूफ टोपी खरीदी जाएंगी।
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40 बुलेटप्रूफ हेलमेट उपलब्ध कराए जाएंगे।
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100 एलईडी ड्रैगन लाइट दी जाएंगी।
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रेलवे सुरक्षा के लिए 50 एलईडी ड्रैगन लाइट, 50 वॉकी-टॉकी और 3 डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर मशीनें खरीदी जाएंगी।
इन सभी संसाधनों से पुलिस न केवल साइबर अपराध बल्कि ज़मीनी अपराध नियंत्रण में भी और मजबूत होगी।
सरकार का बड़ा निवेश
गृह विभाग ने इस पूरे मिशन के लिए 28 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी है। अधिकारियों का कहना है कि इस निवेश से बिहार पुलिस तकनीकी रूप से और सक्षम बनेगी। डार्क वेब, डीपफेक और क्रिप्टो फ्रॉड जैसी नई चुनौतियों से निपटने में अब देरी नहीं होगी।
इसका आम जनता पर असर
इस पहल से सबसे बड़ा फायदा आम जनता को होगा।
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बैंकिंग फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी की घटनाओं पर लगाम लगेगी।
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डार्क वेब पर चल रहे अवैध कारोबार को ध्वस्त किया जा सकेगा।
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सोशल मीडिया पर नकली प्रोफाइल और डीपफेक वीडियो से होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा।
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रेलवे और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा और मजबूत होगी।
निष्कर्ष
बिहार पुलिस की यह पहल साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। आधुनिक तकनीक और संसाधनों से लैस होकर अब पुलिस अपराधियों को चुनौती देने में पीछे नहीं रहेगी। डिजिटल युग में जहां अपराधियों के तरीके बदल रहे हैं, वहीं पुलिस का यह टेक्नोलॉजी अपग्रेड राज्य के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।