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8 Aug 2025, Fri

अमेरिका का बड़ा कदम: ईरान से तेल व्यापार के आरोप में 6 भारतीय कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध

अमेरिका का बड़ा कदम

अमेरिका का बड़ा कदम: ईरान से तेल व्यापार के आरोप में 6 भारतीय कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध

US Sanctions on Indian Companies: भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को झटका देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग ने छह भारतीय कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह प्रतिबंध ईरान से पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार के आरोपों को लेकर लगाए गए हैं। अमेरिका का यह फैसला उसके “मैक्सिमम प्रेशर” अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ईरान की तेल बिक्री पर वैश्विक स्तर पर रोक लगाना है।

किन कंपनियों पर लगा प्रतिबंध?

जिन भारतीय कंपनियों पर ये प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं:

  1. कंचन पॉलिमर्स (Kanchan Polymers)

  2. अल्केमिकल सॉल्यूशन्स प्रा. लि. (Alchemical Solutions Pvt. Ltd.)

  3. रामनिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी (Ramniklal S. Gosalia & Co.)

  4. ज्यूपिटर डाई केम प्रा. लि. (Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd.)

  5. ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड (Global Industrial Chemicals Ltd.)

  6. परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्रा. लि. (Persistent Petrochem Pvt. Ltd.)

कंपनियों पर क्या हैं आरोप?

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, इन कंपनियों ने वर्ष 2024 के दौरान ईरान से करोड़ों डॉलर के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे और मार्केटिंग की। इनमें मीथेनॉल, टोल्यून, पॉलीथीन जैसे उत्पाद शामिल हैं। इन लेन-देन को अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन माना गया है।

मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:

  • Alchemical Solutions Pvt. Ltd. पर 84 मिलियन डॉलर के ईरानी पेट्रोकेमिकल्स खरीदने का आरोप है।

  • Global Industrial Chemicals Ltd. ने लगभग 51 मिलियन डॉलर की मीथेनॉल खरीदी।

  • Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd. पर टोल्यून समेत 49 मिलियन डॉलर के उत्पाद मंगवाने का आरोप है।

  • Ramniklal S Gosalia & Co. ने करीब 22 मिलियन डॉलर के पेट्रो प्रोडक्ट्स मंगवाए।

  • Persistent Petrochem Pvt. Ltd. ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 के बीच 14 मिलियन डॉलर की खरीद की।

  • Kanchan Polymers ने 1.3 मिलियन डॉलर के पॉलीथीन उत्पाद ईरान की कंपनी तनासिस ट्रेडिंग से खरीदे।

अमेरिकी कार्रवाई का असर

इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद अथवा अमेरिकी नागरिकों के नियंत्रण वाली सभी संपत्तियां अब जब्त कर ली गई हैं। इसके साथ ही अमेरिकी नागरिक या कंपनियां अब इन भारतीय संस्थाओं से किसी भी तरह का व्यापार नहीं कर सकेंगी।

इसके अतिरिक्त, इन कंपनियों के स्वामित्व वाली ऐसी सभी इकाइयों पर भी रोक लगाई गई है, जिनमें इनकी 50% या अधिक की हिस्सेदारी है। यह प्रतिबंध OFAC (Office of Foreign Assets Control) के तहत लागू किए गए हैं।

क्या कंपनियों के पास है विकल्प?

अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि यह प्रतिबंध “दंड” के उद्देश्य से नहीं, बल्कि व्यवहार में बदलाव लाने के लिए लगाए गए हैं। यदि कोई कंपनी इस सूची से हटना चाहती है, तो वह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के OFAC कार्यालय में औपचारिक याचिका दायर कर सकती है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने अमेरिकी फैसले की समीक्षा करने की बात कही है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार अपने घरेलू हितों की रक्षा के लिए सभी पहलुओं पर विचार करेगी और संतुलित व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है।

ट्रंप की चेतावनी और टैरिफ विवाद

इस घटनाक्रम के बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। ट्रंप ने भारत को “दोस्त” बताते हुए भी रूस से तेल और हथियारों की खरीद को लेकर आलोचना की है।

क्या बढ़ेगा तनाव?

यह कार्रवाई भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों में अस्थिरता पैदा कर सकती है। भारत, ईरान से अपने ऐतिहासिक ऊर्जा संबंधों को बनाए रखने की कोशिश करता रहा है, जबकि अमेरिका अपने सहयोगियों से ईरान से दूरी बनाए रखने की अपेक्षा करता है।

निष्कर्ष

अमेरिका की इस कार्रवाई ने न केवल छह भारतीय कंपनियों पर आर्थिक दबाव बनाया है, बल्कि भारत की ऊर्जा नीति और विदेश व्यापार रणनीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इन प्रतिबंधों को लेकर किस तरह का कूटनीतिक संतुलन साधता है।

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