आज होगी वित्त मंत्री की उच्चस्तरीय बैठक, विभागीय सचिवों के साथ आर्थिक रणनीतियों पर चर्चा संभव
अनटाइड फंड से बनेगा बह चुका पुल, जनता दरबार में भी लिया एक्शन
झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर आज राज्य के सभी विभागीय सचिवों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक वित्तीय अनुशासन और विकास योजनाओं की गति को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में राज्य के एक दर्जन से अधिक विभागों ने अपने आवंटित फंड का एक भी हिस्सा खर्च नहीं किया है। यही कारण है कि बैठक में इन विभागों के सचिवों को विशेष रूप से बुलाया गया है।
खर्च नहीं करने वाले विभागों से पूछे जाएंगे सवाल
राज्य के वित्त विभाग को इस बात की चिंता है कि यदि समय रहते विभाग बजट का उपयोग नहीं करते, तो न केवल योजनाएं लटक जाएंगी, बल्कि राज्य के विकास संकेतकों पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा। इसीलिए मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने बैठक बुलाकर यह तय किया है कि वह खुद जानेंगे कि आखिर राशि खर्च न होने के पीछे कौन-कौन से कारण हैं।
वित्त मंत्री ने बयान में कहा,
“यह बेहद गंभीर विषय है कि पहली तिमाही बीत जाने के बावजूद कई विभागों ने एक भी पैसा खर्च नहीं किया है। बैठक में सचिवों से पूछा जाएगा कि क्या अड़चनें आ रही हैं और उन्हें दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।”
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री इस बैठक में योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट, प्रक्रियात्मक बाधाएं, और वित्तीय निष्क्रियता के कारणों को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। संभव है कि बैठक के बाद कुछ विभागों को चेतावनी भी दी जाए या उनके बजट में कटौती की जाए।
बजट की सुस्ती से सरकार की छवि पर असर
राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष विभिन्न विकास योजनाओं के लिए बड़ी राशि आवंटित की जाती है, लेकिन यदि विभाग इन्हें समय पर खर्च नहीं कर पाते, तो यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि राज्य की प्रशासनिक साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। ऐसे में वित्त मंत्री का यह कदम सराहनीय है कि उन्होंने खुद समीक्षा की कमान संभाली है।
जनता दरबार में भी दिखी सक्रियता: बह चुके पुलों का होगा निर्माण
वित्त मंत्री की सक्रियता सिर्फ सचिवालय तक सीमित नहीं रही। हाल ही में कांग्रेस भवन में आयोजित जनता दरबार में मंत्री ने पलामू जिले के लोगों की शिकायतों को गंभीरता से सुना। यहां एक मामला सामने आया जहां भारी बारिश में बह चुके पुल के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही थी।
इस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए राधा कृष्ण किशोर ने पलामू के डीडीसी (डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर) को फोन पर ही निर्देश दिया कि इलाके में 5 से 8 लाख रुपये की लागत से छोटे पुलों और पुलियों का निर्माण कराया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए अलग से फंड की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि “अनटाइड फंड” का उपयोग किया जा सकता है। यह फंड राज्यों को इस उद्देश्य से दिया जाता है कि वे अपने अनुसार प्राथमिकताओं पर खर्च कर सकें।
“छोटे-छोटे पुल अगर बह गए हैं, तो उसके लिए केंद्र या राज्य से अलग फंड लेने की ज़रूरत नहीं है। अनटाइड फंड का उपयोग करें और तुरंत काम शुरू कराएं,” — राधा कृष्ण किशोर, वित्त मंत्री
प्रशासनिक जवाबदेही तय करने की दिशा में बड़ा कदम
झारखंड सरकार द्वारा यह स्पष्ट किया जा रहा है कि अब काम में लापरवाही, देरी या निष्क्रियता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे वह योजनाओं का बजट हो या ज़मीनी समस्याओं का समाधान—हर स्तर पर कार्रवाई और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस समीक्षा बैठक के बाद जिन विभागों ने अब तक बजट खर्च नहीं किया है, वे अपनी प्रक्रिया में तेजी लाएंगे और जनता को योजनाओं का लाभ समय पर मिलेगा।
निष्कर्ष
वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर की यह समीक्षा बैठक और जनता दरबार में लिए गए फैसले झारखंड सरकार की कार्यशैली में एक सक्रिय और जवाबदेह प्रशासनिक दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं। यदि इस दिशा में लगातार ठोस कदम उठाए गए, तो यह राज्य के विकास में निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव लाएगा।