आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में डालने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने इस निर्णय को चुनौती दी और अंतरिम रोक लगाने की मांग की।
याचिकाकर्ताओं के तर्क
कुत्तों की देखभाल से जुड़े एनजीओ ‘प्रोजेक्ट काइंडनेस’ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए उस आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए, जिसमें आवारा कुत्तों को शेल्टर होम्स में डालने का निर्देश है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट के शेल्टर होम बनाने के निर्देशों का पालन होना चाहिए, लेकिन वर्तमान आदेश का असर यह होगा कि कुत्तों को मारना पड़ सकता है।
सिब्बल ने यह भी तर्क दिया कि पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 (Animal Birth Control Rules, 2023) के तहत कुत्तों की नसबंदी कर उन्हें उनके मूल स्थान पर छोड़ना आवश्यक है। उन्होंने सवाल उठाया कि नगर निगम ने इतने वर्षों में इन नियमों का पालन क्यों नहीं किया और क्या वास्तव में शेल्टर होम्स बनाए गए हैं?
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि यदि पर्याप्त शेल्टर होम्स होते, तो इस निर्देश से कोई समस्या नहीं होती।
सरकार का पक्ष
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुत्तों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों की घटनाएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी जानवरों से नफ़रत नहीं करता, लेकिन इस मामले में मुखर रहने वाला एक छोटा समूह, चुप रहने वाले बहुसंख्यक पीड़ितों के दृष्टिकोण को दबा रहा है।”
नियमों के पालन पर कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि संसद ने इस विषय में नियम और क़ानून बनाए थे, लेकिन उनका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने यह भी इशारा किया कि नियमों के सही तरह से लागू न होने की वजह से आज यह विवाद पैदा हुआ है।
पृष्ठभूमि
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम्स में रखने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद कई एनजीओ और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई कि यदि सभी कुत्तों को शेल्टर में डालना शुरू किया गया, तो न तो पर्याप्त संसाधन होंगे और न ही इन शेल्टर होम्स की क्षमता इतनी होगी कि वे सभी जानवरों को रख सकें। इससे उनके जीवन पर संकट आ सकता है।
आगे का रास्ता
अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम निर्णय बाद में सुनाएगा। यह फैसला न केवल दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे देश में आवारा कुत्तों के प्रबंधन और पशु अधिकारों को लेकर एक अहम दिशा तय कर सकता है।
