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7 Aug 2025, Thu

उत्तरकाशी क्लाउडबर्स्ट: केंद्र और राज्य सरकार ने झोंकी पूरी ताकत, अब तक 5 शव बरामद

उत्तरकाशी क्लाउडबर्स्ट: केंद्र और राज्य सरकार ने झोंकी पूरी ताकत, अब तक 5 शव बरामद

उत्तरकाशी बादल फटना 2025: धराली में तबाही, केंद्र और राज्य ने मिलकर झोंकी पूरी ताकत

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त 2025 को दोपहर लगभग डेढ़ बजे अचानक बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। गंगोत्री धाम के रास्ते में आने वाला यह महत्वपूर्ण कस्बा खीर गंगा नदी के पास स्थित है। जब बादल फटा, तो नदी में अचानक सैलाब आया, जिससे कई घर, होटल और अन्य ढांचे चपेट में आ गए।

इस आपदा में अब तक 5 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 19 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य ज़ोरों पर है, और केंद्र तथा राज्य सरकारों ने युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

आपदा की भयावहता: मलबे में तब्दील हुआ धराली

धराली और उसके आस-पास का क्षेत्र इस कदर प्रभावित हुआ कि वहां मलबा ही मलबा नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने जब यह मंजर देखा तो वे भयभीत हो गए। कई लोगों ने इस आपदा को अपने मोबाइल में कैद किया, जिसके वीडियो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए।

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, इस हादसे में 15 से 20 घर और होटल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके अलावा कई लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है।

बचाव कार्य में सभी एजेंसियां जुटीं

आपदा की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, सेना, आईटीबीपी और अन्य एजेंसियों को मौके पर भेजा गया। खराब मौसम और टूटे हुए रास्तों के बावजूद राहत कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं ग्राउंड ज़ीरो पर पहुंचे और आपदा प्रभावितों से मुलाकात की। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों में किसी भी प्रकार की कोताही न बरतने के निर्देश दिए।

प्रधानमंत्री और राज्यपाल की सक्रियता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात कर धराली आपदा की जानकारी ली और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने संबंधित सांसदों से मुलाकात कर कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड के साथ खड़ी है।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने भी अधिकारियों से राहत कार्यों की रिपोर्ट ली और स्पष्ट किया कि राहत कार्यों में संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

वायुसेना से मदद, हेलीकॉप्टर तैनात

उत्तराखंड सरकार ने भारतीय वायुसेना से हेलीकॉप्टरों की सहायता मांगी। एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर राहत सामग्री पहुंचाने और लोगों को रेस्क्यू करने के लिए तैयार रखे गए हैं। जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत सक्रिय किया जा सकता है।

इसरो से सैटेलाइट इमेज की मांग

धराली में बादल फटने के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने इसरो से सैटेलाइट इमेज की मांग की है। इससे आपदा के वैज्ञानिक विश्लेषण में मदद मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को लेकर बेहतर तैयारी की जा सकेगी।

स्कूल और यात्रा पर प्रभाव

आपदा और मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए उत्तराखंड के कई जिलों में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, चंपावत, और उधमसिंह नगर सहित कई जिलों में 12वीं तक के स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है।

रुद्रप्रयाग जिले में लगातार वर्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा को भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, ताकि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

स्वास्थ्य सेवाएं अलर्ट पर

आपदा की भयावहता को देखते हुए उत्तरकाशी से लेकर ऋषिकेश और देहरादून तक स्वास्थ्य सेवाओं को अलर्ट मोड में रखा गया है। उत्तरकाशी जिला अस्पताल, एम्स ऋषिकेश और दून मेडिकल कॉलेज में बेड आरक्षित किए गए हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है और तीन मनोचिकित्सकों को धराली भेजा गया है।

केंद्र और राज्यों का समन्वय

केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां पूरी तरह से समन्वय में काम कर रही हैं। स्मार्ट कंट्रोल रूम से लेकर ग्राउंड स्तर पर अधिकारियों की निगरानी जारी है। आईएएस अधिकारी, पुलिस और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी लगातार क्षेत्र में मौजूद रहकर राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

पुल बहने से राहत कार्य में दिक्कत

धराली तक पहुंचने का मुख्य मार्ग — गंगोत्री हाईवे — लिमच्छा गाड़ पर बने पुल के बह जाने के कारण बाधित हो गया है। इस कारण राहत टीमों को रोप के सहारे ट्रांसफर करने की योजना बनाई जा रही है।

सेना और पुलिस बल की विशेष तैनाती

आपदा की गंभीरता को देखते हुए दो आईजी, तीन एसपी, एक कमांडेंट, 11 डिप्टी एसपी सहित कुल 300 पुलिस कर्मियों को तत्काल उत्तरकाशी रवाना किया गया है। साथ ही सेना के जवान भी राहत कार्य में लगे हुए हैं, भले ही उनके कुछ साथी खुद लापता हों।

अंतिम शब्द

उत्तरकाशी की इस भीषण आपदा ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और मानसून का प्रभाव कितना विनाशकारी हो सकता है।

धराली जैसी घटनाएं न केवल भौगोलिक सतर्कता की माँग करती हैं, बल्कि यह भी जरूरी बनाती हैं कि आपदा प्रबंधन योजनाओं को हर स्तर पर मजबूत किया जाए। सरकार और एजेंसियों का तत्काल सक्रिय होना एक सकारात्मक पहल है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण और संसाधनों से लैस करना अब समय की मांग बन चुकी है।


लेखक की टिप्पणी:
इस लेख में प्रयुक्त सभी तथ्य 6 अगस्त 2025 की आधिकारिक और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। यदि आप इस विषय पर अपने अनुभव या सुझाव साझा करना चाहें तो कमेंट ज़रूर करें।

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