“कैसे एक कमजोर पासवर्ड ने 150 साल पुरानी कंपनी को डुबा दिया: रैनसमवेयर का कहर और 700 लोगों की नौकरी पर असर”
ब्लॉग कंटेंट:
क्या एक पासवर्ड किसी कंपनी को तबाह कर सकता है? ब्रिटेन की 150 साल पुरानी लॉजिस्टिक कंपनी KNP की कहानी यही बताती है। एक कमजोर पासवर्ड के ज़रिए रैनसमवेयर गिरोह Akira ने कंपनी के IT सिस्टम पर हमला किया, सारा डेटा एन्क्रिप्ट कर दिया और ऑपरेशन ठप कर दिया। नतीजतन, 700 कर्मचारियों की नौकरी चली गई।
कहानी की शुरुआत
कंपनी के एक कर्मचारी ने ऐसा पासवर्ड इस्तेमाल किया जिसे अनुमान लगाना आसान था। इसी के ज़रिए हैकर्स ने सिस्टम में सेंध लगाई और फिर कंपनी से फिरौती की मांग की। हालांकि, कंपनी ने खुलासा नहीं किया कि रकम कितनी थी, लेकिन जानकारों के मुताबिक यह लाखों पाउंड में हो सकती है।
क्यों हुआ इतना बड़ा नुकसान?
-
कंपनी का कहना है कि उसने साइबर सुरक्षा के लिए इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स अपनाए थे और बीमा भी लिया था।
-
बावजूद इसके, सिस्टम पूरी तरह लॉक हो गया और कर्मचारी किसी भी डेटा या सॉफ्टवेयर तक पहुंच नहीं पाए।
-
यह घटना दिखाती है कि केवल तकनीकी उपाय काफी नहीं, बल्कि जागरूकता और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी जरूरी है।
कौन था हमलावर?
हमले के पीछे था Akira Ransomware Group, जो पहले से ही कई देशों में साइबर हमलों में शामिल रहा है। इस गिरोह की खासियत है कि ये सिर्फ डेटा चुराता नहीं, बल्कि पूरा सिस्टम लॉक कर देता है और फिर बातचीत के लिए “नेगोशिएशन पोर्टल” भी देता है।
राष्ट्रीय खतरा बनता रैनसमवेयर
-
ब्रिटेन की साइबर सुरक्षा एजेंसी NCSC ने चेतावनी दी है कि रैनसमवेयर अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है।
-
साल 2023 में 19,000 रैनसमवेयर हमले ब्रिटेन की कंपनियों पर हुए।
-
औसतन एक मांग करीब 40 लाख पाउंड की होती है, लेकिन सिर्फ 30% कंपनियां ही इसे चुका पाती हैं।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियां जैसे NCSC, GCHQ और National Crime Agency (NCA) लगातार इस खतरे से निपटने की कोशिश कर रही हैं।
-
नई पॉलिसियों के तहत सरकारी एजेंसियों को फिरौती देना मना किया जा सकता है।
-
निजी कंपनियों को भी हमले और भुगतान की सूचना देना अनिवार्य किया जा सकता है।
सबक क्या है?
-
कमजोर पासवर्ड सबसे बड़ी कमजोरी है।
-
साइबर सुरक्षा अब केवल IT डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरी संस्था की होती है।
-
मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और नियमित सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य बनाएं।
-
कर्मचारियों को साइबर हाइजीन की ट्रेनिंग देना जरूरी है।
क्या करना चाहिए?
-
हर कंपनी को अपनी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की साइबर MOT (सुरक्षा जांच) करनी चाहिए।
-
साइबर इंश्योरेंस जरूर लें, लेकिन उससे पहले सुरक्षा में सुधार करें।
-
हर डेटा एक्सेस को लॉग करें और अनधिकृत गतिविधि पर तुरंत एक्शन लें।
निष्कर्ष
KNP की कहानी एक चेतावनी है – एक लापरवाह पासवर्ड 150 साल की मेहनत पर पानी फेर सकता है। जहां रैनसमवेयर गिरोह पहले से कहीं अधिक सक्रिय हैं, वहीं हर कंपनी को अब साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। जागरूकता, तकनीक और नीति – इन तीनों के सही तालमेल से ही इस खतरे से निपटा जा सकता है।