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22 Jul 2025, Tue

झूठ का पर्दाफाश: ऑपरेशन सिंदूर में ‘राफेल मिथक’ फैला रहा चीन – अब खुली पोल!

ऑपरेशन सिंदूर में 'राफेल मिथक' फैला रहा चीन

झूठ का पर्दाफाश:  – ऑपरेशन सिंदूर में ‘राफेल मिथक’ फैला रहा चीन अब खुली पोल!

ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन की चाल: राफेल को बदनाम करने की साजिश, फ्रांस ने किया खुलासा

भारत के ऐतिहासिक और अत्यंत सफल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पूरी दुनिया में भारतीय सैन्य शक्ति और रणनीतिक कुशलता की सराहना की जा रही थी। लेकिन इस सफलता के ठीक बाद एक सूक्ष्म और सुनियोजित प्रोपेगेंडा सामने आया — और इसके पीछे था चीन

फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने भारत के राफेल लड़ाकू विमानों की छवि को धूमिल करने की एक अंतरराष्ट्रीय साजिश रची। इस साजिश का उद्देश्य सिर्फ भारत की सैन्य प्रतिष्ठा को कमज़ोर करना नहीं था, बल्कि इससे आगे जाकर फ्रांस के हथियार बाज़ार को नुकसान पहुंचाना और अपने घरेलू हथियारों को प्रमोट करना था।


🎯 ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और राफेल की भूमिका

ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में भारत द्वारा किया गया एक प्रेसिजन एयर स्ट्राइक अभियान था, जिसमें राफेल लड़ाकू विमानों ने दुश्मन के आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला किया। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद भारत की वायुशक्ति को लेकर वैश्विक मीडिया में प्रशंसा हुई। राफेल की सटीकता, गति और मारक क्षमता एक बार फिर दुनिया के सामने साबित हुई।

यही बात शायद चीन को असहज कर गई।


🧠 चीन की साजिश: सोशल मीडिया से दूतावासों तक फैला दुष्प्रचार

फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने एक व्यापक डिसइन्फॉर्मेशन कैंपेन शुरू किया। इसमें शामिल थे:

  • दुनियाभर में स्थित चीनी दूतावासों के डिफेंस अटैशे, जो अन्य देशों के सैन्य प्रतिनिधियों को राफेल की विश्वसनीयता पर संदेह करने के लिए भड़का रहे थे।

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी पोस्ट, AI जनरेटेड इमेज, वीडियो गेम फुटेज और नक

  • ली मलबे की तस्वीरों को वायरल किया गया।

  • पाकिस्तान के सहयोग से प्रचार किया गया कि भारत के 5 विमान गिरे, जिनमें 3 राफेल शामिल थे — जो पूरी तरह फर्जी निकला।

इन सबका मकसद था, वैश्विक स्तर पर राफेल की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करना।


📉 भारत नहीं, इंडोनेशिया जैसे देशों को था असली निशाना

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने खास तौर पर उन देशों को निशाना बनाया जो हाल ही में फ्रांस से राफेल विमानों की खरीद कर रहे हैं या करने की योजना में हैं — जैसे इंडोनेशिया, यूएई, मिस्र और ग्रीस। चीन चाहता था कि ये देश फ्रांस से विमानों की खरीद रोक दें और चीनी फाइटर जेट्स जैसे J-20 या FC-31 को विकल्प के रूप में चुनें।

चीन की यह चाल सिर्फ रणनीतिक नहीं, आर्थिक स्तर पर प्रतिस्पर्धा की भावना से प्रेरित थी।


🛑 पाकिस्तान के दावे फेल, सच्चाई आई सामने

पाकिस्तान ने कहा कि उसने भारत के पांच विमान गिराए, लेकिन यह दावा तब झूठा साबित हुआ जब:

  • भारतीय वायुसेना ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान न तो कोई राफेल गिरा और न ही कोई अन्य विमान।

  • सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरें पुरानी दुर्घटनाओं से ली गई थीं, जिनमें 2021 की मिग-21 और 2024 की मिग-29 की दुर्घटना शामिल थीं।

  • विश्लेषकों ने जो ‘राफेल का मलबा’ बताया, वो दरअसल 1980 के दशक के मिराज-2000 का ईंधन टैंक था।


⚔️ फ्रांस ने दिया करारा जवाब, चीन ने झाड़ा पल्ला

फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने इस दुष्प्रचार को “रणनीतिक और सुनियोजित हमला” बताया। फ्रांस ने राफेल को सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि अपने रक्षा उद्योग की रीढ़ और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी का प्रतीक कहा।

वहीं चीन ने इन आरोपों को “निराधार अफवाह” और “पश्चिमी प्रोपेगेंडा” करार दिया। लेकिन फ्रांसीसी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय रक्षा विशेषज्ञों ने खुलकर चीन की भूमिका को उजागर किया।


📌 निष्कर्ष: सच हमेशा सामने आता है

भारत का ऑपरेशन सिंदूर जितना सफल रहा, उतना ही झूठ से घिरा उसका पोस्ट-इफेक्ट भी रहा। चीन की यह चाल साफ तौर पर नाकाम हुई, क्योंकि सच्चाई देर-सबेर सामने आ ही जाती है।

राफेल ने न केवल ऑपरेशन सिंदूर में अपनी उपयोगिता साबित की, बल्कि चीन जैसे वैश्विक खिलाड़ी के दुष्प्रचार को भी ह

 

रा दिया। यह घटना हमें एक और सबक देती है: आज की लड़ाई सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया, सूचना, और छवि की लड़ाई भी है — और उसमें भारत और फ्रांस दोनों विजेता रहे।


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