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3 Sep 2025, Wed

कमरे में हुक्का लगाने की मेरी आदत नहीं थी तो…, एमएस धोनी पर पूर्व क्रिकेटर का हैरान करने वाला खुलासा

कमरे में हुक्का लगाने की मेरी आदत नहीं थी तो…, एमएस धोनी पर पूर्व क्रिकेटर का हैरान करने वाला खुलासा

भारतीय क्रिकेट इतिहास में इरफान पठान का नाम एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में दर्ज है, जिसने आते ही सनसनी मचा दी थी। बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ने अपनी स्विंग गेंदबाज़ी से सबको चौंकाया और उन्हें अगला कपिल देव तक कहा जाने लगा। 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में उनकी पहली ही ओवर की हैट्रिक आज भी याद की जाती है। गेंद और बल्ले दोनों से प्रभाव डालने वाले पठान का करियर लेकिन अचानक रुक गया। अब 2020 के एक इंटरव्यू का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें उन्होंने एमएस धोनी से हुई बातचीत और टीम से बाहर होने की कहानी साझा की।

तेज़ शुरुआत, अचानक ठहराव

इरफान पठान ने 2003 में डेब्यू किया और जल्द ही भारत के लिए मैच विनर बन गए। इन-स्विंग और आउट-स्विंग दोनों पर उनकी पकड़ ने बल्लेबाज़ों को मुश्किल में डाला। टेस्ट और वनडे दोनों में वे भरोसेमंद खिलाड़ी साबित हुए। धीरे-धीरे उनका इस्तेमाल ऑलराउंडर के तौर पर होने लगा। बल्ले से निचले क्रम में अहम रन बनाने के अलावा वे गेंदबाज़ी में विकेट दिलाने वाले गेंदबाज़ रहे। लेकिन चोटों और चयन की राजनीति के बीच उनका करियर उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पाया।

धोनी से हुई बातचीत का खुलासा

2020 में एक शो में इरफान ने बताया कि 2008 ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान मीडिया में खबर आई कि धोनी ने बयान दिया है – इरफान अच्छी गेंदबाज़ी नहीं कर रहे। इस पर उन्होंने सीधे धोनी से बात की।
इरफान ने कहा –
“मैंने माही भाई से पूछा कि क्या उन्होंने ऐसा कहा है। उन्होंने साफ़ कहा कि नहीं, सब योजना के अनुसार चल रहा है। जब कप्तान ऐसा कहे तो खिलाड़ी मान लेता है कि सब ठीक है। लेकिन बार-बार जाकर सफाई माँगना आपकी इज्जत घटा देता है।”

इरफान के इस बयान ने इस ओर इशारा किया कि भले ही उनके प्रदर्शन अच्छे रहे हों, लेकिन चयन में निष्पक्षता नहीं बरती गई।

हुक्का और ड्रेसिंग रूम कल्चर

बातचीत में इरफान ने बिना नाम लिए तंज भी कसा। उन्होंने कहा –
“मेरी आदत नहीं है कि मैं किसी के कमरे में जाकर हुक्का सजाऊँ। मेरा काम मैदान पर प्रदर्शन करना था और मैं उसी पर ध्यान देता था।”

यह बयान उस समय की ओर इशारा करता है, जब टीम में कुछ खिलाड़ियों के साथ निजी समीकरण ज़्यादा मायने रखते थे। दिलचस्प बात यह है कि 2024 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें धोनी को एक पार्टी में हुक्का पीते देखा गया। धोनी के पूर्व साथी जॉर्ज बेली ने भी कहा था कि कप्तान कभी-कभी हुक्का पीते थे ताकि युवा खिलाड़ियों के साथ घुल-मिल सकें।

धोनी की कप्तानी और विवाद

एमएस धोनी को भारत का सबसे सफल कप्तान कहा जाता है। उनके नेतृत्व में भारत ने टी20 विश्व कप 2007, वनडे विश्व कप 2011 और चैंपियंस ट्रॉफी 2013 जीती। लेकिन उनकी कप्तानी पर आरोप भी लगे कि उन्होंने चयन में पक्षपात किया। मनोज तिवारी से लेकर वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर तक कई खिलाड़ी इशारों में यह कह चुके हैं कि उन्हें पर्याप्त मौके नहीं मिले। अब इरफान पठान के बयान ने उसी विवाद को और हवा दी है।

हाल ही में खबरें आईं कि बीसीसीआई टीम इंडिया के लिए धोनी को फिर से मेंटॉर की भूमिका देने पर विचार कर रहा है। इस पर भी सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि क्या वही पुराने समीकरण दोहराए जाएंगे।

इरफान का करियर – आँकड़े और उपलब्धियाँ

इरफान पठान ने भारत के लिए 29 टेस्ट, 120 वनडे और 24 टी20 मैच खेले।

  • कुल रन: 2821 (1 शतक, 11 अर्धशतक)

  • कुल विकेट: 301

  • सबसे यादगार प्रदर्शन: 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट हैट्रिक

  • आखिरी वनडे: पाँच विकेट लिए, फिर भी टीम से बाहर

यह आँकड़े बताते हैं कि इरफान का करियर अचानक क्यों और कैसे खत्म हुआ, यह आज भी सवाल बना हुआ है।

विवाद और सवाल

पठान का मानना है कि धोनी की कप्तानी में चयन हमेशा निष्पक्ष नहीं रहा। उनके बयान ने यह भी दिखाया कि क्रिकेट सिर्फ मैदान पर प्रदर्शन का खेल नहीं है, बल्कि ड्रेसिंग रूम के माहौल और कप्तान के भरोसे का भी बड़ा असर होता है।

आज, जब उनका पुराना इंटरव्यू क्लिप वायरल हो रहा है, तो बहस फिर से शुरू हो गई है –
क्या इरफान पठान भारत के लिए और लंबे समय तक खेल सकते थे?
क्या धोनी ने सचमुच चयन में पक्षपात किया था?
या फिर यह सिर्फ परिस्थितियों और चोटों का असर था?

निष्कर्ष

इरफान पठान की कहानी भारतीय क्रिकेट के उस पहलू को उजागर करती है, जहाँ प्रतिभा और प्रदर्शन के बावजूद राजनीति और समीकरण खिलाड़ी के करियर को प्रभावित कर सकते हैं। धोनी जितने बड़े कप्तान हैं, उतने ही विवाद भी उनके साथ जुड़े रहे हैं। इरफान का यह खुलासा इस बहस को और गहरा करता है।

एक बात तय है – अगर इरफान को लंबा मौका मिला होता, तो वे भारत के सबसे महान ऑलराउंडरों में गिने जाते। लेकिन आज उनका नाम अक्सर इस सवाल के साथ लिया जाता है – क्या उनका करियर सचमुच निष्पक्ष ढंग से खत्म हुआ था? 

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