जब अंधविश्वास बना हैवानियत का कारण: 5 साल के मासूम की कुर्बानी की रची गई साजिश

जब अंधविश्वास बना हैवानियत का कारण: 5 साल के मासूम की कुर्बानी की रची गई साजिश
अंधविश्वास की पराकाष्ठा: फ्रांस में माता-पिता ने बच्चे की बलि की रची साजिश, कोर्ट में चल रही सुनवाई
Parents Planned Child Sacrifice Case: फ्रांस के बोर्डो शहर से आई यह खबर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर देने वाली है। पेशे से संगीत शिक्षक एक दंपति पर अपने ही पांच वर्षीय बेटे की मोरक्को में बलि चढ़ाने की योजना बनाने का आरोप है। इस घटना ने न केवल कानूनी व्यवस्था को चौकस किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे रहस्यमयी विश्वास और अंधविश्वास, किसी भी शिक्षित वर्ग को भी भयानक कदम उठाने के लिए उकसा सकते हैं।
⚠️ क्या है पूरा मामला?
यह मामला दिसंबर 2023 में सामने आया, जब एक रिश्तेदार ने फ्रांसीसी पुलिस को सूचना दी कि बच्चे के पिता को यह विश्वास है कि उनके बेटे पर किसी बुरी आत्मा का साया है। उनका मानना था कि इस साए को हटाने के लिए बच्चे की बलि देना जरूरी है।
सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत ऐक्शन लिया और स्पेन के Algeciras बंदरगाह पर मोरक्को जाने की तैयारी कर रहे दंपति को फेरी पर चढ़ने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि दंपति ने पहले ही अपना घर किराए पर दे दिया था और एक वाहन खरीदा था, जिससे यह संकेत मिला कि वे लंबे समय के लिए मोरक्को जाने की योजना बना चुके थे।
🧠 “सिस्टम-विरोधी सोच” और अंधविश्वास
इस केस में चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी पेशे से संगीत शिक्षक हैं – यानी शिक्षित और रचनात्मक वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। फिर भी उनकी सोच को जांच में “सिस्टम विरोधी” और “रहस्यमयी विश्वासों” से प्रभावित बताया गया है। यह साबित करता है कि अंधविश्वास शिक्षा से नहीं, सोच से उपजता है।
उनके वकीलों ने अदालत में यह दलील दी कि दंपति बलि जैसी किसी योजना में शामिल नहीं थे। वे सिर्फ एक यात्रा पर जा रहे थे, और उनके इरादों को गलत तरीके से पेश किया गया।
🧒 बच्चे की मानसिक स्थिति: सबसे चिंताजनक पहलू
इस केस में सबसे महत्वपूर्ण और चिंताजनक पहलू बच्चे की मानसिक स्थिति रही। कोर्ट में मौजूद बच्चे के हितों की प्रतिनिधि वकील ने बताया कि जब पुलिस ने बच्चे को अपने संरक्षण में लिया, तो उसने ‘सांप को निकालने’ जैसी बातें कहीं।
यह बात संकेत करती है कि उसके माता-पिता के अंधविश्वासी रवैये और कथित प्रथाओं ने उसकी मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
👉 बाल मनोविज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार, इस उम्र में धार्मिक या रहस्यमयी डर बच्चे के दिमाग पर स्थायी असर डाल सकते हैं।
🔗 WHO: Mental Health and Children
👨👩👧👦 बच्चा अब सुरक्षित है
फिलहाल बच्चा अपने नाना-नानी के पास है और पूरी तरह सुरक्षित बताया गया है। बोर्डो की अदालत में 17 जुलाई को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अभियोजन पक्ष ने इसे एक “सुनियोजित अपराध” करार दिया।
उनका कहना है कि दंपति ने अपने माता-पिता होने के कर्तव्यों का घोर उल्लंघन किया है और एक निर्दोष बच्चे की जिंदगी को खतरे में डाला। सुनवाई एक दिन चली और अब अदालत इस पर अपना फैसला बाद में सुनाएगी।
📚 यह घटना क्यों है एक बड़ी चेतावनी?
इस केस ने यह उजागर किया है कि:
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अंधविश्वास केवल अनपढ़ता का परिणाम नहीं है – यह मानसिकता का सवाल है।
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शिक्षा, तार्किक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण आज भी समाज के हर वर्ग तक नहीं पहुंची है।
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बच्चों की मानसिक सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा सिर्फ कानूनी दायित्व नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
⚖️ क्या कहता है कानून?
भारत या फ्रांस जैसे देशों में बच्चों की बलि जैसी प्रथा गंभीर आपराधिक श्रेणी में आती है। फ्रांस में इसे attempted murder, child abuse, और criminal conspiracy जैसे आरोपों के तहत सजा मिल सकती है।
भारत में भी IPC Section 302, 120B, 75 of Juvenile Justice Act जैसी धाराएं लागू की जा सकती हैं।
🧠 समाज को क्या समझना चाहिए?
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अंधविश्वास के खिलाफ शिक्षा और संवाद जरूरी है।
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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है – खासकर बच्चों के मामलों में।
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पैरेंटिंग काउंसलिंग, काउंसलिंग सेंटर और स्पिरिचुअल हेल्थ vs साइकोलॉजिकल हेल्थ के फर्क को समझाना चाहिए।
🔗 National Commission for Protection of Child Rights – India
📌 निष्कर्ष
फ्रांस का यह केस न सिर्फ एक कानूनी मामला, बल्कि सामाजिक चेतावनी भी है कि कैसे अंधविश्वास और रहस्यमयी सोच एक परिवार को मानवता से परे ले जा सकती है।
शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमें व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर सजग होना पड़ेगा। कानून अपना काम करेगा — लेकिन समाज को भी बदलना होगा।