जेपीएससी को हाईकोर्ट से बड़ा झटका: 342 पदों के रिजल्ट पर लगी अपरोक्ष रोक, दिव्यांग कोटे पर उठा सवाल
रांची — झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) को गुरुवार, 14 अगस्त 2025 को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एक दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका पर जेपीएससी की 11वीं से 13वीं सम्मिलित परीक्षा के बाद 342 सीटों पर हुई नियुक्तियों के रिजल्ट पर अपरोक्ष रोक लगा दी है। अदालत ने आयोग से कास्ट और कैटेगरीवाइज पूरी मेरिट लिस्ट कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर 2025 को होगी।
दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका से शुरू हुआ मामला
यह मामला दिव्यांग कोटे से जुड़ा हुआ है। दिव्यांग वर्ग के अभ्यर्थी राहुल वर्धन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी शिकायत थी कि दिव्यांगों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 8 पर तो दिव्यांग उम्मीदवारों का चयन हुआ, लेकिन बाकी 5 सीटें गैर-दिव्यांग उम्मीदवारों को दे दी गईं, जो नियमों के खिलाफ है।
जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता के आरोप सही हैं और जेपीएससी ने आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया है।
कोर्ट का स्पष्ट निर्देश: 5 सीटें दिव्यांगों को रिजर्व करें
हाईकोर्ट ने कहा कि दिव्यांग वर्ग के लिए आरक्षित सीटें किसी भी परिस्थिति में अन्य वर्ग के उम्मीदवारों को नहीं दी जा सकतीं। अगर आरक्षित कोटे में उम्मीदवार कम हों, तो खाली सीटें अगले वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड की जानी चाहिएं।
कोर्ट ने जेपीएससी को आदेश दिया कि दिव्यांग कोटे की वे 5 सीटें तुरंत उनके वर्ग के लिए सुरक्षित की जाएं और रिजल्ट में आवश्यक संशोधन किया जाए।
जेपीएससी के सामने बढ़ी चुनौतियां
इस आदेश से जेपीएससी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब आयोग को न केवल रिजल्ट में संशोधन करना होगा, बल्कि उन 5 गैर-दिव्यांग उम्मीदवारों के भविष्य को लेकर भी निर्णय लेना होगा जिन्हें फिलहाल चयनित घोषित कर दिया गया है।
संशोधित रिजल्ट जारी होने तक पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित रहेगी और इससे 342 पदों के लिए नियुक्तियों पर अनिश्चितता बनी रहेगी।
आरक्षण कोटा का नियम क्या कहता है
सुनवाई के दौरान अदालत में यह भी स्पष्ट किया गया कि दिव्यांग आरक्षण कोटा में यदि कोई सीट खाली रह जाती है, तो उसे अन्य वर्ग को नहीं दिया जा सकता।
नियम के अनुसार, खाली सीट को अगले वर्ष की भर्ती के लिए आगे बढ़ा दिया जाता है।
जेपीएससी ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिसके कारण यह मामला कोर्ट तक पहुंचा।
अगली सुनवाई में हो सकता है बड़ा फैसला
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर 2025 तय की है। तब तक आयोग को कास्ट और कैटेगरीवाइज पूरी मेरिट लिस्ट, चयन प्रक्रिया का ब्योरा और सीट आवंटन का रिकॉर्ड प्रस्तुत करना होगा।
अगली सुनवाई में यह तय हो सकता है कि 342 पदों के लिए जारी पूरा रिजल्ट मान्य रहेगा या फिर इसे संशोधित करके नया रिजल्ट जारी करना होगा।
अभ्यर्थियों में बढ़ी चिंता
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद हजारों अभ्यर्थी असमंजस में हैं। चयनित उम्मीदवारों को डर है कि कहीं रिजल्ट संशोधन के बाद उनकी सीट न चली जाए, वहीं दिव्यांग अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।
भर्ती प्रक्रिया में पहले से ही लंबे समय से देरी हो रही है, और इस ताजा घटनाक्रम से नियुक्तियों की राह और लंबी हो सकती है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
मामले ने राज्य में राजनीतिक बहस को भी जन्म दे दिया है। विपक्षी दलों ने जेपीएससी पर आरक्षण नीति की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इसे दिव्यांग वर्ग के अधिकारों पर हमला बताया है।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा चर्चा में है और कई यूजर्स आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
निष्कर्ष
जेपीएससी के लिए यह मामला केवल 5 सीटों का नहीं, बल्कि चयन प्रक्रिया की साख का सवाल बन गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब आयोग को पारदर्शिता और आरक्षण नीति के पूर्ण पालन को साबित करना होगा।
अगली सुनवाई में जो भी फैसला आएगा, वह न केवल 342 पदों के उम्मीदवारों बल्कि राज्य की आने वाली भर्ती प्रक्रियाओं के लिए भी मिसाल बन सकता है।
