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10 Sep 2025, Wed

झारखंड में कमजोर मानसून, 12 सितंबर तक रुक-रुककर वर्षा और वज्रपात की चेतावनी

झारखंड में कमजोर मानसून, 12 सितंबर तक रुक-रुककर वर्षा और वज्रपात की चेतावनी

Aaj Ka Mausam: झारखंड में कमजोर मानसून, रुक-रुक कर वर्षा और वज्रपात की संभावना

झारखंड में इस साल मानसून की शुरुआत सामान्य से कमजोर रही है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि राज्य में रुक-रुककर वर्षा जारी रहेगी और 12 सितंबर 2025 तक कुछ क्षेत्रों में गरज-चमक और वज्रपात का खतरा बना रहेगा। इस दौरान तेज हवाओं के झोंके भी देखने को मिल सकते हैं।


मानसून की वर्तमान स्थिति

मौसम विभाग (IMD), रांची के अनुसार, पिछले 24 घंटों में झारखंड में मानसून कमजोर रहा। राज्य के विभिन्न जिलों में केवल हल्की से मध्यम वर्षा दर्ज की गई।

  • सबसे अधिक वर्षा कोडरमा जिले के चंदवारा में 42 मिलीमीटर रही।

  • सबसे कम वर्षा कोडरमा डीवीसी क्षेत्र में 1.5 मिलीमीटर दर्ज की गई।

  • कुल 24 घंटे में हुई वर्षा 1.6 मिलीमीटर रही, जबकि सामान्यतः 6.7 मिलीमीटर होनी चाहिए थी, यानी पिछले दिन की वर्षा सामान्य से लगभग 76% कम रही।

इस वर्ष मानसून की अनियमितता किसानों और ग्रामीण इलाकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि, मानसून सीजन में अब तक राज्य में कुल 1049.5 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य स्तर (866.2 मिलीमीटर) से 21% अधिक है।


आगामी मौसम का पूर्वानुमान

मौसम केंद्र ने बताया है कि झारखंड में 12 सितंबर तक रुक-रुककर हल्की से मध्यम वर्षा होती रहेगी। कई जिलों में गर्जन के साथ वज्रपात होने की संभावना है।

  • हवाओं की रफ्तार: 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे।

  • अधिकतम तापमान: अगले 3 दिन में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।

  • इसके बाद अगले 2 दिन में 2 डिग्री सेंटीग्रेड की गिरावट का अनुमान है।

राज्य के विभिन्न हिस्सों में बारिश का प्रभाव अलग-अलग रहेगा। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर और हजारीबाग जिलों में वज्रपात और तेज हवाओं से सतर्क रहने की सलाह दी गई है।


मानसून ट्रफ और मौसम प्रणाली

मौसम विभाग ने बताया कि समुद्र तल पर बना मानसून ट्रफ दक्षिणी-पूर्वी पाकिस्तान, राजस्थान, कच्छ, कोटा, रांची, दीघा और पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी में मौजूद डीप डिप्रेशन से गुजर रहा है। यही प्रणाली राज्य में रुक-रुककर वर्षा और वज्रपात के लिए जिम्मेदार है।

इस ट्रफ के कारण राज्य में कुछ हिस्सों में तेज हवाओं के साथ गरज-चमक और आंशिक वज्रपात की संभावना बनी हुई है।


तापमान और मौसम विवरण

झारखंड में पिछले दिन दर्ज किए गए तापमान का विवरण इस प्रकार है:

  • उच्चतम तापमान: 36.9 डिग्री सेंटीग्रेड, सरायकेला।

  • न्यूनतम तापमान: 21 डिग्री सेंटीग्रेड, लातेहार।

हालांकि तापमान में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है, रुक-रुककर बारिश और तेज हवाओं के कारण स्थानीय मौसम अस्थिर बने रहेंगे।


जिलेवार वर्षा स्थिति

अब तक मानसून सीजन में झारखंड के विभिन्न जिलों में वर्षा का आंकलन इस प्रकार है:

  • पूर्वी सिंहभूम: सामान्य से 66% अधिक वर्षा।

  • पाकुड़: सामान्य से 22% कम वर्षा।

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य के पूर्वी हिस्सों में मानसून अपेक्षाकृत सक्रिय रहा, जबकि कुछ पश्चिमी और नॉर्थ ईस्ट जिलों में वर्षा कमजोर रही।


किसानों और ग्रामीण इलाकों के लिए प्रभाव

मानसून की अनियमितता का सबसे अधिक असर कृषि क्षेत्र पर पड़ता है। राज्य में धान, मक्का और दलहन की फसलें मानसून पर निर्भर हैं। वर्षा कम होने से:

  • खेतों में सिंचाई का दबाव बढ़ जाएगा।

  • जलाशयों और नहरों में पानी की उपलब्धता कम हो सकती है।

  • ग्रामीण इलाकों में मछली पालन और घरेलू जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।

किसानों को सलाह दी गई है कि वे वर्षा की अनियमितता को ध्यान में रखते हुए सिंचाई योजनाओं और फसल सुरक्षा उपायों को व्यवस्थित करें।


सुरक्षा उपाय

मौसम विभाग ने आम जनता और किसानों को सावधानी बरतने की सलाह दी है:

  • वज्रपात और गरज-चमक के दौरान खुले में न रहें।

  • ऊँची इमारतों और पेड़ों के पास न ठहरें।

  • खेतों में काम करते समय धातु उपकरणों से दूरी बनाएँ।

  • तेज हवाओं और जलभराव वाले क्षेत्रों में वाहन चलाते समय सतर्क रहें।

राज्य सरकार ने भी आपदा प्रबंधन टीमों को अलर्ट कर दिया है और रेडियो, टीवी तथा मोबाइल ऐप के माध्यम से लगातार चेतावनी भेजी जा रही है।


निष्कर्ष

झारखंड में मानसून कमजोर पड़ने के बावजूद, रुक-रुककर वर्षा और वज्रपात की संभावना 12 सितंबर तक बनी रहेगी। राज्य के पूर्वी और कुछ मध्य हिस्सों में बारिश सामान्य से अधिक रही है, जबकि पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी जिलों में वर्षा अपेक्षाकृत कम रही।

किसानों, ग्रामीण इलाकों और आम जनता के लिए यह समय सतर्क रहने का है। प्रशासन, मौसम विभाग और राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों से नागरिकों को सुरक्षित रहना चाहिए और मानसून की अनियमितताओं का प्रभाव कम करने के उपाय अपनाने चाहिए।

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