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29 Oct 2025, Wed

झारखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला, डीजीपी अनुराग गुप्ता से वापस लिया गया ACB और CID का अतिरिक्त प्रभार

झारखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला, डीजीपी अनुराग गुप्ता से वापस लिया गया ACB और CID का अतिरिक्त प्रभार

रांची, 19 सितंबर 2025 – झारखंड सरकार ने पुलिस प्रशासन में व्यापक फेरबदल करते हुए 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया है। इस बड़े बदलाव के तहत राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता से एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया है। माना जा रहा है कि यह फैसला राज्य की कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र को मजबूत करने के लिए लिया गया है।


डीजीपी से वापस लिया गया महत्वपूर्ण प्रभार

डीजीपी अनुराग गुप्ता झारखंड पुलिस बल के शीर्ष अधिकारी हैं और लंबे समय से ACB और CID का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे थे। लेकिन सरकार ने अब यह जिम्मेदारी अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी है। यह बदलाव संकेत देता है कि सरकार चाहती है कि भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों की जांच पर विशेष रूप से केंद्रित नेतृत्व काम करे।

ACB और CID राज्य की सबसे संवेदनशील एजेंसियाँ हैं। ACB जहां सरकारी विभागों और अधिकारियों में फैले भ्रष्टाचार की जांच करती है, वहीं CID संगठित अपराध, गंभीर आपराधिक मामलों और विशेष जांचों को अंजाम देती है। ऐसे में इन विभागों की कमान किसी एक व्यक्ति के हाथ में रखना प्रशासनिक दृष्टिकोण से कठिन माना जा रहा था।


प्रमुख अधिकारियों के नए पद

इस बड़े तबादला आदेश में कई वरिष्ठ और मध्यम स्तर के आईपीएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ इस प्रकार हैं:

  • प्रशांत सिंह को डीजी, मुख्यालय (Headquarters) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

  • प्रिया दुबे को एडीजी, एसीबी बनाया गया है। वे प्रशिक्षण एवं आधुनिकीकरण विभाग की जिम्मेदारियाँ पहले से संभाल रही थीं, जो उनके पास बनी रहेंगी।

  • चंदन कुमार सिंह को डीआईजी, एसीबी नियुक्त किया गया है।

  • राकेश रंजन को रांची के एसएसपी के रूप में पदस्थ किया गया है। इससे पहले वे चाईबासा में एसपी थे।

  • मनोज कौशिक, जो वर्तमान में आईजी रांची थे, उन्हें आईजी सीआईडी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

  • क्रांति कुमार गडिदेशी को आईजी बोकारो से हटाकर आईजी मानवाधिकार विभाग का दायित्व दिया गया है।

  • सुदर्शन प्रसाद मंडल, जो अब तक आईजी सीआईडी थे, उन्हें आईजी मुख्यालय और साथ ही जेल विभाग (Prisons) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

इसके अलावा कई एसपी, एएसपी, डीआईजी और बटालियन कमांडेंट स्तर पर भी अधिकारियों का तबादला किया गया है।


सरकार की मंशा

झारखंड सरकार ने इस व्यापक फेरबदल से साफ संदेश दिया है कि वह भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और कानून-व्यवस्था सुधारने को लेकर गंभीर है। ACB और CID की स्वतंत्र जिम्मेदारी अलग अधिकारियों को देकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन एजेंसियों पर पूरा ध्यान केंद्रित हो।

सरकार का उद्देश्य यह भी है कि अलग-अलग विभागों के कामकाज में तेजी आए और अधिकारियों को उनकी विशेषज्ञता के अनुसार जिम्मेदारी मिले। लंबे समय से अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अधिकारियों को अब राहत मिलेगी, जिससे वे अपने मूल कार्य पर बेहतर ढंग से ध्यान दे सकेंगे।


संभावित फायदे

  1. कार्यकुशलता में वृद्धि – जब अलग अधिकारी विशेष विभाग का नेतृत्व करेंगे, तो उनके पास पर्याप्त समय और संसाधन होंगे। इससे जांच प्रक्रियाओं की गति बढ़ सकती है।

  2. पारदर्शिता – भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी (ACB) और अपराध जांच एजेंसी (CID) पर जनता का भरोसा बढ़ेगा।

  3. प्रशासनिक संतुलन – अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ हटाने से शीर्ष अधिकारियों पर दबाव कम होगा और विभागीय कामकाज संतुलित होगा।

  4. नए दृष्टिकोण – नई तैनाती से विभागों में नई कार्यशैली और नवाचार आने की संभावना बढ़ेगी।


संभावित चुनौतियाँ

हालांकि, इतने बड़े पैमाने पर तबादला अपने साथ कुछ चुनौतियाँ भी लेकर आता है:

  • निरंतरता का अभाव – जो अधिकारी किसी विभाग में लंबे समय से कार्य कर रहे थे, उनके हटने से कुछ चल रही योजनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

  • अनुभव का समय – नए अधिकारी को विभाग की जटिलताओं को समझने में समय लग सकता है।

  • मनोबल पर असर – अचानक हुए तबादले से कुछ अधिकारियों को लग सकता है कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक दबाव या अन्य कारणों से हुआ है।


राजनीतिक और प्रशासनिक संदेश

इस फैसले को राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। झारखंड में भ्रष्टाचार और अपराध हमेशा से चुनावी मुद्दे रहे हैं। सरकार का यह कदम जनता को यह संदेश देने के लिए भी हो सकता है कि वह सख्त प्रशासन और साफ-सुथरे तंत्र की दिशा में काम कर रही है।


निष्कर्ष

झारखंड में 30 आईपीएस अधिकारियों का तबादला राज्य पुलिस प्रशासन में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। डीजीपी अनुराग गुप्ता से ACB और CID का अतिरिक्त प्रभार वापस लेना इस फैसले का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार अब इन संवेदनशील विभागों पर विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहती है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नई जिम्मेदारियों के साथ अधिकारी किस तरह कामकाज को आगे बढ़ाते हैं। अगर यह बदलाव सफल साबित होता है तो झारखंड में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और अपराध नियंत्रण में सुधार देखने को मिल सकता है।

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