टेक्नोलॉजी में आगे निकला UP : बनेगी देश की पहली AI निगरानी वाली विधानसभा
UP Assembly: देश की पहली AI-आधारित निगरानी वाली विधानसभा बनेगी उत्तर प्रदेश विधानसभा, सुरक्षा और पारदर्शिता को मिलेगा नया आयाम
उत्तर प्रदेश एक बार फिर टेक्नोलॉजी और गवर्नेंस के क्षेत्र में मॉडल राज्य बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। जल्द ही यूपी विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा बन जाएगी, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली स्थापित की जाएगी। इस कदम को सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।
विधानसभा परिसर में इस हाईटेक निगरानी सिस्टम को स्थापित करने के लिए ई-टेंडर जारी कर दिया गया है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के 45 दिनों के भीतर कैमरों की इंस्टॉलेशन पूरी कर दी जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस वर्ष के बजट सत्र में इस तकनीकी पहल की घोषणा की थी, जो अब साकार होने जा रही है।
शीतकालीन सत्र से पहले लागू होगा सिस्टम
माना जा रहा है कि इस साल के शीतकालीन सत्र में विधानसभा की कार्यवाही इसी नए AI आधारित निगरानी सिस्टम के तहत संचालित होगी। यह प्रणाली परिसर के हर हिस्से में नजर रखेगी और हर गतिविधि की रिकॉर्डिंग करेगी। इसका मकसद न सिर्फ सुरक्षा को बढ़ाना है, बल्कि विधायकों और अन्य कर्मचारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करना है।
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सिस्टम की प्रमुख विशेषताएं
यह हाईटेक निगरानी प्रणाली कई आधुनिक तकनीकों से लैस होगी:
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चेहरा पहचानने की तकनीक: आंशिक रूप से ढके चेहरे, दाढ़ी-मूंछ या बदले हुए हेयरस्टाइल के बावजूद व्यक्ति की सटीक पहचान संभव।
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काली सूची अलर्ट: वॉचलिस्ट में मौजूद किसी भी व्यक्ति के दिखते ही तुरंत अलर्ट।
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ऑटोमेटिक रिपोर्टिंग: नाम, समय, तारीख और लोकेशन के साथ विस्तृत रिपोर्ट तैयार।
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क्राउड एनालिटिक्स: भीड़ में मौजूद हर व्यक्ति की पहचान तुरंत।
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डेटा रिकॉर्डिंग: फोटो, वीडियो और आवाज समेत हर गतिविधि का रिकॉर्ड, जो AI और डीप लर्निंग प्रोसेसिंग से प्रोसेस किया जाएगा।
42 डिवाइसों से लैस होगा सिस्टम
इस हाईटेक सुरक्षा प्रणाली में करीब 42 डिवाइस लगाई जाएंगी। यह प्रणाली पहले से मौजूद ऑडियो-वीडियो सिस्टम के साथ पूरी तरह से तालमेल में काम करेगी। इससे न सिर्फ सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि विधानसभा की कार्यवाही भी और अधिक पारदर्शी बनेगी।
सामंजस्य प्रमाण पत्र अनिवार्य
सिस्टम इंस्टॉल करने वाली कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि नया सिस्टम पुराने उपकरणों के साथ पूरी तरह से मेल खाए। इसके लिए उन्हें सामंजस्यता का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। इस कदम से तकनीकी गड़बड़ियों को रोका जा सकेगा और सिस्टम की विश्वसनीयता बनी रहेगी।
सुरक्षा और पारदर्शिता को मिलेगा नया आयाम
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस पहल को “सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम” बताया है। उनके अनुसार, यह तकनीक न सिर्फ अनधिकृत प्रवेश को रोकेगी बल्कि विधायकों की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगी।
देश में पहला उदाहरण
उत्तर प्रदेश विधानसभा इस तरह का AI आधारित निगरानी सिस्टम लागू करने वाली देश की पहली विधानसभा होगी। इससे सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता को नई ऊंचाई मिलेगी और यह कदम विधानसभा को विश्वस्तरीय मानकों पर पहुंचाने में मदद करेगा।
भविष्य के लिए नई संभावनाएं
इस पहल से भविष्य में विधानसभा में और भी तकनीकी सुधारों के रास्ते खुलेंगे, जैसे:
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डिजिटल दस्तावेजों का AI आधारित सत्यापन।
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विधायकों के प्रवेश और उपस्थिति का स्वचालित रिकॉर्ड।
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विधानसभा कार्यवाही का लाइव ट्रांसक्रिप्शन और ऑटोमेटेड एनालिसिस।
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स्मार्ट डिस्प्ले और डिजिटल इंटरफेस के जरिए तत्काल जानकारी।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश विधानसभा में AI आधारित निगरानी प्रणाली की शुरुआत निश्चित तौर पर एक ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ सुरक्षा को मजबूत बनाएगी बल्कि शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही को भी नई दिशा देगी। उम्मीद की जा रही है कि यह पहल अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगी और जल्द ही देशभर की विधानसभाओं में ऐसी ही तकनीकें देखने को मिलेंगी।
याद रखिए, तकनीक के सही इस्तेमाल से लोकतंत्र और मजबूत होता है।
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