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23 Jul 2025, Wed

ट्रेंडिंग: पीएम मोदी के Lakshadweep दौरे पर मालदीवियों में क्या चर्चा?

ट्रेंडिंग: पीएम मोदी के Lakshadweep दौरे पर मालदीवियों में क्या चर्चा?

ट्रेंडिंग: पीएम मोदी के Lakshadweep दौरे पर मालदीवियों में क्या चर्चा?

पीएम मोदी के मालदीव दौरे से पहले वहाँ की जनता के बीच क्या चल रही है बहस?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई 2025 को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने जा रहे हैं। यह उनका तीसरा मालदीव दौरा होगा। इस दौरे के दौरान वे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे और अक्तूबर 2024 के समझौतों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

लेकिन क्या सिर्फ यही सब कुछ है? असल में मोदी के दौरे से पहले मालदीव में लोगों के बीच भारत को लेकर तीखी बहस चल रही है, खासकर सोशल मीडिया पर। आइए इस बहस की परतों को खोलते हैं।


मालदीव में भारत विरोधी भावना कहाँ से आई?

मौजूदा राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने 2023 के चुनाव प्रचार में “इंडिया आउट” अभियान चलाया था, जिससे उन्हें बड़ी राजनीतिक सफलता मिली। इस अभियान के तहत भारत पर मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया। मुइज़्ज़ू की पहली विदेश यात्रा चीन की थी, जहाँ से लौटने के बाद उन्होंने कहा था:

“मालदीव भले छोटा देश है, लेकिन इससे किसी को हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।”

हालाँकि, आर्थिक संकट से जूझते मालदीव को भारत से वित्तीय सहायता मिलने के बाद मुइज़्ज़ू की भाषा में नरमी आई। भारत ने कर्ज भुगतान की मियाद बढ़ाई, करेंसी स्वैप किया और कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में मदद दी।

भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों पर MEA की रिपोर्ट पढ़ें »


सोशल मीडिया पर नाराज़गी: “स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा क्यों?”

पीएम मोदी के दौरे के मद्देनज़र माले में भारतीय तिरंगे लगाए गए हैं, जिससे सोशल मीडिया पर गुस्सा भड़क उठा है। एक प्रसिद्ध एक्स (Twitter) यूज़र हसन कुरुसी ने लिखा:

“हमारे स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा ज़्यादा दिखाई दे रहा है। 2023 में मुइज़्ज़ू इंडिया आउट की टी-शर्ट पहनते थे, आज कह रहे हैं भारत के सिवा कोई विकल्प नहीं।”

हसन कुरुसी का एक्स प्रोफाइल देखें »

एक अन्य यूज़र मिधुअम साउद ने कहा:

“यह शर्मनाक है कि स्वतंत्रता दिवस पर हमारे मुख्य अतिथि ऐसे व्यक्ति हैं जो हिन्दुत्व के झंडाबरदार माने जाते हैं। हम अपना अतिथि भी नहीं चुन पा रहे हैं – यह फ़ैसला भारत ले रहा है।”


धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया और पोस्ट डिलीट

मालदीव के प्रभावशाली धार्मिक संगठन सलफ़ जमीअत के प्रमुख और राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के रिश्तेदार अब्दुल्ला बिन मोहम्मद इब्राहिम ने पीएम मोदी को मुस्लिम विरोधी कहा, हालाँकि उन्होंने बाद में यह पोस्ट हटा ली।

धिवेही न्यूज़ पोर्टल Adhadhu.com ने इस पर विस्तृत रिपोर्ट दी है।


‘भारत से प्यार करें, न करें – पर समस्या न बनें’

विदेश नीति विश्लेषक और अनंता सेंटर की सीईओ इंद्राणी बागची कहती हैं:

“मालदीव जैसे पड़ोसी से हमें प्यार की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए, लेकिन वह भारत के लिए रणनीतिक बाधा न बने – इतना काफी है।”

इंद्राणी बागची का इंटरव्यू बीबीसी हिंदी पर पढ़ें »

वे यह भी कहती हैं कि भारत एक क्षेत्रीय महाशक्ति है और पड़ोसी देशों के राजनीतिक माहौल में भारत हमेशा चुनावी मुद्दा बनता है – चाहे वह मालदीव हो, बांग्लादेश या श्रीलंका।


भौगोलिक स्थिति से भारत की रणनीतिक चिंता

  • मालदीव भारत से लगभग 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन लक्षद्वीप से मात्र 700 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

  • हिन्द महासागर में उसकी स्थिति भारत के सामरिक हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

  • चीन की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए चिंता का विषय रही है।

हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीति पर ORF का विश्लेषण पढ़ें »


निष्कर्ष: द्विपक्षीय रिश्तों की मजबूरी और राजनीति

मोदी के दौरे से पहले की बहस यह दर्शाती है कि भारत और मालदीव के रिश्ते केवल रणनीतिक और आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और भावनात्मक परतों में भी उलझे हुए हैं।

मालदीव की जनता में संप्रभुता की भावना प्रबल है, लेकिन देश की आर्थिक और भू-राजनीतिक ज़रूरतें भारत को एक आवश्यक साझेदार बनाती हैं।


लेखक का नोट:
भारत और मालदीव के रिश्तों में जो उतार-चढ़ाव है, वह दक्षिण एशिया की कूटनीति का सटीक प्रतिबिंब है। ज़रूरी है कि दोनों देश सम्मान और आपसी समझदारी के साथ आगे बढ़ें – न कि केवल कर्ज और परियोजनाओं के आधार पर।

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