डोनाल्ड ट्रंप बनाम अमेरिकी कोर्ट: टैरिफ को अवैध ठहराए जाने के बाद अब आगे क्या?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में टैरिफ (आयात शुल्क) को अपनी आर्थिक और राजनीतिक रणनीति का केंद्र बना दिया था। लेकिन हाल ही में एक बड़ी अदालत ने इन्हें अवैध करार देकर उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। सवाल यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट भी उनके खिलाफ फैसला देता है, तो क्या होगा? आइए इस पूरे मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
कोर्ट का झटका: टैरिफ क्यों अवैध ठहराए गए?
ट्रंप प्रशासन ने 2025 में IEEPA (International Emergency Economic Powers Act, 1977) के तहत कई टैरिफ लगाए थे। यह कानून राष्ट्रपति को आपातकालीन परिस्थितियों में विदेशी व्यापार, धन और निर्यात को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि इस एक्ट में टैरिफ लगाने का उल्लेख नहीं है, और राष्ट्रपति ने अपने अधिकार से बाहर जाकर इसका प्रयोग किया।
यानी राष्ट्रपति के पास इस कानून के तहत टैरिफ लगाने की शक्ति नहीं थी। अदालत का यही कहना है कि यह अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है। हालांकि अदालत ने तुरंत टैरिफ खत्म नहीं किए हैं, बल्कि सरकार को यह विकल्प दिया है कि चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में अपील करें।
ट्रंप का गुस्सा और प्रतिक्रिया
अदालत के फैसले के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया। उनका कहना है कि अगर टैरिफ हटा दिए गए तो अमेरिका को भारी आर्थिक नुकसान होगा और अराजकता फैल सकती है। उन्होंने दावा किया कि टैरिफ उनकी “अमेरिका फर्स्ट नीति” का अहम हिस्सा हैं और इन्हीं से देश को आर्थिक मजबूती मिल रही है। ट्रंप ने साफ कर दिया कि “टैरिफ जारी रहेंगे” और वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
किन कानूनों पर कोर्ट ने आपत्ति नहीं जताई?
ध्यान देने वाली बात यह है कि कोर्ट ने ट्रंप द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी प्रावधानों को अवैध नहीं ठहराया है।
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ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट, 1962 सेक्शन 232: राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाने का अधिकार देता है।
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ट्रेड एक्ट 1974, सेक्शन 301: बौद्धिक संपदा की चोरी और अनुचित व्यापार प्रथाओं से निपटने की शक्ति देता है।
इन दोनों के तहत लगाए गए टैरिफ को वैध माना गया है। विवाद सिर्फ IEEPA के इस्तेमाल को लेकर है।
अब ट्रंप के पास क्या हैं विकल्प?
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सुप्रीम कोर्ट अपील – ट्रंप ने इसका ऐलान कर दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट भी इन्हें अवैध ठहराता है, तो ये टैरिफ तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाएंगे।
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वैकल्पिक कानूनों का इस्तेमाल – ट्रंप के पास 1974 का ट्रेड एक्ट है, जिसके तहत वे 15% तक का टैरिफ सीमित समय के लिए लगा सकते हैं।
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कांग्रेस की मंजूरी – अमेरिकी संविधान के मुताबिक, स्थायी और व्यापक टैरिफ नीति बनाने का अधिकार कांग्रेस के पास है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने टैरिफ खारिज किए, तो ट्रंप को भविष्य में कांग्रेस से मंजूरी लेनी होगी।
इतिहास से सबक: ट्रूमैन का मामला
अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहले भी हो चुका है। 1952 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने मजदूरों की हड़ताल रोकने के लिए स्टील मिलों को जब्त कर संचालन जारी रखने का आदेश दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताकर यह कदम उठाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके आदेश को अमान्य कर दिया और कहा कि राष्ट्रपति को ऐसा व्यापक अधिकार नहीं है। यह केस ट्रंप के मौजूदा विवाद से काफी मिलता-जुलता है।
टैरिफ और अमेरिकी जनता की राय
ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर अमेरिकी जनता बंटी हुई है, लेकिन असंतोष ज्यादा है।
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Pew Research की अगस्त 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 61% नागरिक बढ़े हुए टैरिफ से असहमत थे, जबकि केवल 38% लोग इसे सही मानते थे।
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युवाओं में विरोध और भी ज्यादा है—लगभग 78% युवा टैरिफ नीति से नाखुश हैं।
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अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि टैरिफ से आर्थिक विकास धीमा होगा और महंगाई बढ़ेगी।
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हालांकि समर्थक यह तर्क देते हैं कि इससे अमेरिका की घरेलू इंडस्ट्री को सुरक्षा मिलती है।
क्या होगा अगर सुप्रीम कोर्ट भी टैरिफ को अवैध ठहराए?
अगर सुप्रीम कोर्ट भी अपीलीय अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो:
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टैरिफ तुरंत खत्म हो जाएंगे।
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ट्रंप और सरकार को पहले से वसूले गए अरबों डॉलर लौटाने पड़ सकते हैं। जुलाई 2025 तक टैरिफ से लगभग 159 अरब डॉलर की कमाई हुई थी।
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भविष्य में राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने के लिए कांग्रेस से मंजूरी लेनी होगी।
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यह ट्रंप की आर्थिक नीति और चुनावी रणनीति पर बड़ा झटका साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह मामला सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व का सवाल भी है। उन्होंने टैरिफ को अपनी ताकत और राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा बनाया है। अदालत का फैसला उनके इस एजेंडे को सीधी चुनौती देता है। अब पूरा ध्यान सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर है। अगर ट्रंप हारते हैं, तो उन्हें कांग्रेस का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
👉 आने वाले महीनों में यह मुद्दा अमेरिकी राजनीति और वैश्विक व्यापार दोनों पर गहरा असर डाल सकता है। सवाल यह है कि ट्रंप इस झटके को कमजोरी बनने देंगे या इसे चुनावी हथियार में बदल देंगे।