दिव्यांगजन रोजगार अभियान: उत्तर प्रदेश सरकार दे रही दिव्यांग युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दिव्यांग नागरिकों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इस अभियान का नाम है “दिव्यांगजन रोजगार अभियान”, जो 6 अगस्त से 13 अगस्त तक पूरे प्रदेश में संचालित किया जा रहा है।
इस अभियान के माध्यम से राज्य सरकार ने यह संकल्प लिया है कि दिव्यांगजनों के भीतर आत्मनिर्भरता की भावना विकसित की जाए। इसके तहत हर जिले में रोजगार मेले आयोजित किए जाएंगे, जहां दिव्यांग युवाओं को उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
अभियान की प्रमुख विशेषताएं
1. रोजगार मेले का आयोजन:
प्रत्येक जिले में रोजगार मेले लगाए जाएंगे। इन मेलों में दिव्यांगजन भाग लेकर विभिन्न संस्थाओं और विभागों द्वारा उपलब्ध कराई गई नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
2. प्रशिक्षण की सुविधा:
रोजगार मेले से पूर्व कौशल विकास विभाग और समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगजन को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे नौकरी के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें।
3. स्वरोजगार को बढ़ावा:
जिन दिव्यांगजनों के लिए नौकरी का विकल्प उपयुक्त न हो, उनके लिए स्वरोजगार योजनाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसमें बैंकों से आसान शर्तों पर ऋण दिलवाने और व्यवसाय शुरू करने में मदद दी जाएगी।
4. सम्मान और अधिकार:
अभियान का उद्देश्य सिर्फ रोजगार ही नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना और उन्हें समान अधिकार व सम्मान दिलाना भी है।
सरकारी उद्देश्य और प्रयास
योगी सरकार ने साफ कहा है कि “दिव्यांगजन समाज की शक्ति हैं। अगर उन्हें सही अवसर और संसाधन दिए जाएं तो वे हर क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकते हैं।”
सरकार ने यह भी तय किया है कि आने वाले वर्षों में हर जिले में दिव्यांगजनों की योग्यता के अनुसार विशेष रोजगार कार्यालय स्थापित किए जाएंगे।
इसके अलावा सरकार का लक्ष्य है कि भविष्य में कम से कम 50,000 दिव्यांगजनों को रोजगार अथवा स्वरोजगार का अवसर प्रदान किया जाए। इसके लिए विभिन्न विभागों के सहयोग से बजट आवंटन, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और दिव्यांग अनुकूल कार्यालय निर्माण की योजना पर काम चल रहा है।
दिव्यांगजनों की राय
प्रदेश के कई दिव्यांग युवाओं ने इस अभियान का स्वागत किया है। लखनऊ की रहने वाली पूजा मिश्रा, जो व्हीलचेयर पर हैं, का कहना है,
“हमें पहले लगता था कि नौकरी हमारे लिए एक सपना ही रहेगा। पर सरकार की इस योजना ने उम्मीद जगा दी है कि हम भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं।”
वहीं कानपुर निवासी राजीव कुमार, जो दृष्टिहीन हैं, ने कहा,
“सरकार का यह कदम दिव्यांगजनों को आत्मसम्मान के साथ जीने का हक दिलाएगा। हमें सिर्फ सहानुभूति नहीं, अवसर चाहिए, और अब वही मिल रहा है।”
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि यह अभियान काफी सराहनीय है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि रोजगार मेलों में कितने रोजगार वास्तविक रूप से सृजित किए जाते हैं और कितने दिव्यांगजन तक यह जानकारी पहुंच पाती है।
इसके अलावा कार्यस्थलों पर दिव्यांग अनुकूल वातावरण बनाना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
सरकार की अपील
राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी दिव्यांगजनों से अपील की है कि वे इस अभियान का लाभ उठाएं और अपने जिले में आयोजित रोजगार मेले में अवश्य भाग लें। इसके लिए स्थानीय समाज कल्याण कार्यालय में पंजीकरण करवाना अनिवार्य किया गया है।
समाज की जिम्मेदारी
सिर्फ सरकार ही नहीं, समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे दिव्यांगजनों को बराबरी का हक दें और उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा दें। निजी क्षेत्र की कंपनियों और संस्थाओं से भी सरकार ने अपील की है कि वे दिव्यांगजनों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करें।
निष्कर्ष
“दिव्यांगजन रोजगार अभियान” उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो दिव्यांगजनों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि इस अभियान का क्रियान्वयन ईमानदारी से हुआ और दिव्यांग युवाओं तक इसकी पूरी जानकारी पहुंची, तो निश्चित ही हजारों लोगों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा।
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