देवघर बस हादसा: कांवर यात्रा के दौरान भीषण सड़क दुर्घटना, एक नाबालिग समेत 5 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल
श्रावणी मेले की आस्था से भरी सुबह उस वक्त मातम में बदल गई, जब झारखंड के देवघर जिले में मंगलवार (29 जुलाई 2025) को तड़के एक दर्दनाक सड़क हादसे में कांवरियों से भरी बस और ट्रक के बीच जबरदस्त टक्कर हो गई। यह भीषण हादसा देवघर के मोहनपुर प्रखंड स्थित जमुनिया के पास उस समय हुआ, जब श्रद्धालुओं की बस बसुकिनाथ धाम की ओर जा रही थी।
हादसे का समय और स्थान
यह घटना सुबह करीब 5 बजे घटी, जब सुल्तानगंज से कांवर यात्रा पर निकले श्रद्धालु देवघर बाबा बैद्यनाथ धाम के दर्शन के बाद बसुकिनाथ जा रहे थे। बस जैसे ही जमुनिया के पास पहुंची, चालक को झपकी आ गई और बस अनियंत्रित होकर सामने से आ रहे गैस सिलेंडर लदे एक ट्रक से टकरा गई। टक्कर इतनी तेज थी कि बस बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और उसके परखच्चे उड़ गए।
मौतों की पुष्टि और घायलों की स्थिति
इस हादसे में अब तक 5 श्रद्धालुओं की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल है। मृतकों में बस चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बाकी श्रद्धालुओं की मौत अस्पताल ले जाते समय या इलाज के दौरान हुई। इसके अलावा 23 श्रद्धालु घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। सभी घायलों को देवघर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनका इलाज जारी है।
मृतकों की पहचान
अब तक जिन श्रद्धालुओं की पहचान हुई है, वे निम्नलिखित हैं:
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सुभाष तुरी, उम्र 40 वर्ष, निवासी चकरमा गांव, मनोहरपुर थाना, देवघर
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दुर्गावती देवी, उम्र 45 वर्ष, निवासी मतराजी गांव, लोकरिया थाना, पश्चिम चंपारण, बिहार
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जानकी देवी, उम्र 35 वर्ष, वही गांव से
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समदा देवी, उम्र 40 वर्ष, निवासी तरेगना गांव, धनरूआ थाना, पटना जिला
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पीयूष कुमार उर्फ शिवराज, उम्र 14 वर्ष, निवासी महनार गांव, वैशाली जिला, बिहार
इन श्रद्धालुओं की मौत से उनके गांवों में मातम पसरा हुआ है, और श्रावणी माह का यह पवित्र समय शोक में बदल गया है।
घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही देवघर पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। बस में फंसे घायलों को कड़ी मशक्कत के बाद निकाला गया और प्राथमिक चिकित्सा के लिए अस्पताल भेजा गया। स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में प्रशासन की मदद करते नजर आए।
देवघर एसडीओ रवि कुमार ने मीडिया को बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बस चालक को नींद की झपकी आई, जिससे बस नियंत्रण से बाहर हो गई और ट्रक से टकरा गई। इसके बाद बस कुछ मीटर और घिसटती हुई एक ईंट के ढेर से जा टकराई।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जानकारी का अंतर
इस हादसे पर स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर दुःख व्यक्त किया और लिखा कि हादसे में 18 लोगों की मौत हुई है। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर अब तक केवल 5 मौतों की पुष्टि हुई है। यह अंतर जानकारियों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है, हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सभी घटनाक्रम की जांच की जा रही है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
कांवर यात्रा और श्रद्धा की परीक्षा
श्रावणी मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर वर्ष सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम तक कांवर यात्रा करते हैं और फिर कुछ श्रद्धालु आगे बासुकिनाथ धाम की ओर प्रस्थान करते हैं। यह यात्रा श्रद्धा, तपस्या और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं और लापरवाही के कारण ऐसी दुखद घटनाएं सामने आती हैं।
इस हादसे ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा, यात्रा संचालन की निगरानी, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
मानवीय दृष्टिकोण से असर
हादसे के बाद अस्पतालों में घायल श्रद्धालुओं के परिजनों की चीख-पुकार और बस के मलबे में बिखरे सामानों ने इस दर्दनाक घटना की भयावहता को उजागर किया। कई घायल अब भी अस्पतालों में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं और सामाजिक संगठन राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन पीड़ित परिवारों के जख्मों को भरने में समय लगेगा।
प्रशासन से अपेक्षाएं और अगला कदम
स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है और मामले की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल प्राथमिकता घायलों के इलाज और परिजनों को सहायता पहुंचाने की है।
लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो — इसके लिए प्रशासन को यात्रियों की बसों की फिटनेस, ड्राइवरों की शिफ्ट योजना, और दुर्घटनाग्रस्त स्थलों की निगरानी को लेकर ठोस रणनीति बनानी होगी।
निष्कर्ष:
देवघर हादसा न सिर्फ एक दिल दहला देने वाली घटना है, बल्कि यह पूरे समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है। श्रद्धा की राह पर निकले श्रद्धालु सुरक्षित यात्रा करें, इसके लिए व्यापक सुधार, तकनीकी निगरानी और ज़िम्मेदार यात्रा प्रबंधन की आवश्यकता है। मृतकों को श्रद्धांजलि और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना के साथ यह प्रश्न भी उठता है: क्या अब भी हम दुर्घटनाओं को “दुर्घटना” मानकर नजरअंदाज करते रहेंगे?