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8 Aug 2025, Fri

देवघर AIIMS का पहला दीक्षांत समारोह आज; राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 48 MBBS छात्रों को करेंगी सम्मानपूर्वक डिग्री प्रदान

देवघर AIIMS का पहला दीक्षांत समारोह आज

देवघर AIIMS का प्रथम दीक्षांत समारोह: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 48 MBBS छात्रों को प्रदान कीं डिग्रियां

झारखंड के देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) आज एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बना, जब 31 जुलाई 2025 को संस्थान के प्रथम दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर की शोभा बढ़ाने पहुंचीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जिन्होंने 2019 बैच के 48 MBBS छात्रों को डिग्री और मेडल प्रदान किए। यह अवसर देवघर एम्स के लिए गौरवपूर्ण तो था ही, साथ ही झारखंड के शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य परिदृश्य में भी एक नई उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गया।


दीक्षांत समारोह की भव्य शुरुआत

समारोह का आयोजन देवघर एम्स परिसर स्थित ऑडिटोरियम में दोपहर 3 बजे किया गया, जहां राष्ट्रपति मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उन्होंने संस्थान के पहले स्नातक बैच के छात्रों को प्रेरणादायी संबोधन भी दिया। इस अवसर पर छात्रों के माता-पिता, शिक्षकों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने माहौल को और विशेष बना दिया।

राष्ट्रपति ने एक गोल्ड मेडल, एक सिल्वर मेडल, और एक ब्रॉन्ज मेडल के साथ रैंक धारक छात्र को विशेष रूप से सम्मानित किया। कुल मिलाकर 48 छात्रों को MBBS की डिग्री प्रदान की गई, जिन्होंने पांच साल की कड़ी मेहनत और चिकित्सीय प्रशिक्षण पूर्ण किया।


गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति

समारोह में राष्ट्रपति के साथ मंच पर झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी, और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव निवेदिता शुक्ला वर्मा जैसे प्रमुख अतिथिगण उपस्थित थे। सभी ने AIIMS देवघर की उपलब्धियों की सराहना की और राज्य में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के विस्तार की दिशा में इसे एक मजबूत कदम बताया।


राष्ट्रपति का दौरा कार्यक्रम

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोपहर 12:20 बजे देवघर एयरपोर्ट पहुंचीं, जहां से वे सड़क मार्ग से AIIMS परिसर तक गईं। चूंकि श्रावणी मेले के दौरान देवघर में हजारों श्रद्धालुओं का आगमन होता है, इसलिए राष्ट्रपति के काफिले के लिए एक विशेष रूट तय किया गया, जिससे यातायात बाधित न हो और श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे — एयरपोर्ट से लेकर AIIMS तक की लगभग 19.6 किलोमीटर की दूरी पर कड़ी निगरानी रखी गई। रेलवे क्रॉसिंग तक के संचालन को अस्थायी रूप से रोका गया, ताकि राष्ट्रपति का आवागमन निर्बाध रूप से हो सके।

राष्ट्रपति देवघर एम्स में दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक रहीं, जहां उन्होंने दोपहर का भोजन और विश्राम भी किया। समारोह की समाप्ति के बाद राष्ट्रपति पुनः एयरपोर्ट रवाना हुईं और शाम 5:30 बजे रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचीं। वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनका स्वागत किया, जिसके बाद वे राजभवन के लिए रवाना हो गईं, जहां वे रात्रि विश्राम करेंगी।


AIIMS देवघर की एक नई शुरुआत

AIIMS देवघर का यह पहला दीक्षांत समारोह संस्थान के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। वर्ष 2019 में शुरू हुए MBBS कोर्स का पहला बैच आज सफलतापूर्वक चिकित्सा शिक्षा पूर्ण कर चुका है। यह झारखंड राज्य के लिए गर्व की बात है कि AIIMS जैसा प्रतिष्ठित संस्थान अब यहां से भी गुणवत्तापूर्ण डॉक्टर तैयार कर रहा है।

संस्थान ने पांच वर्षों में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि रोगियों की सेवा में भी खुद को साबित किया है। दीक्षांत समारोह में वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि आने वाले वर्षों में AIIMS देवघर पूर्वी भारत में चिकित्सा शिक्षा और हेल्थकेयर सेवाओं का प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा।


राष्ट्रपति का प्रेरक संदेश

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने नव-स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए उन्हें मानवता की सेवा में समर्पित रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर न केवल एक पेशेवर होता है, बल्कि समाज का मार्गदर्शक और सहारा भी होता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे सेवा, करुणा और वैज्ञानिक सोच को अपने जीवन का आधार बनाएं।

राष्ट्रपति ने AIIMS देवघर के शिक्षकों और स्टाफ की भी सराहना की, जिन्होंने सीमित संसाधनों में उत्कृष्ट शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने यह भी आशा जताई कि आने वाले वर्षों में AIIMS देवघर चिकित्सा क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान स्थापित करेगा।


निष्कर्ष

देवघर AIIMS का पहला दीक्षांत समारोह न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत है, बल्कि यह झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में हो रहे परिवर्तन का प्रतीक भी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने इस अवसर को ऐतिहासिक बना दिया। अब जब AIIMS देवघर का पहला बैच चिकित्सा सेवा में उतरने को तैयार है, यह उम्मीद की जा रही है कि ये युवा डॉक्टर देश की स्वास्थ्य प्रणाली को और बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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