धनबाद न्यूज़: शिबू सोरेन आश्रम पोखरिया में दिशोम गुरु की प्रतिमा का अनावरण आज
धनबाद जिले के पोखरिया स्थित शिबू सोरेन आश्रम में सोमवार को एक ऐतिहासिक पल दर्ज होने जा रहा है। झारखंड की राजनीति और समाज में अद्वितीय पहचान रखने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा का भव्य अनावरण आज किया जाएगा। यह आयोजन न केवल गुरुजी के समर्थकों और अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे राज्य की राजनीति और संस्कृति के लिए एक यादगार क्षण साबित होगा।
दशकर्म और श्राद्धकर्म का आयोजन
गुरुजी के निधन के बाद उनके दशकर्म का आयोजन आश्रम परिसर में किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। कई लोगों ने परंपरा के अनुसार घाट पर जाकर मुंडन कराया और श्राद्धकर्म सम्पन्न किया। यह दृश्य गुरुजी के प्रति श्रद्धा और सम्मान की गवाही देता है।
समारोह में उपस्थित प्रमुख लोगों में सरयू किस्कु, नुनकु मुर्मू, बाबूराम सोरेन, सोबरम मुर्मू, बिनीलाल मुर्मू, रतिलाल टुडू, सुनील मुर्मू, अनुज टुडू, श्रवण टुडू, फूलचंद किस्कु, रामेश्वर बास्की और इंद्रोलाल बास्की शामिल थे। सभी ने गुरुजी की प्रतिमा अनावरण से पहले धार्मिक विधियों में भाग लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
अनावरण को लेकर तैयारियां पूरी
प्रतिमा अनावरण को लेकर क्षेत्र में उत्साह का माहौल है। रविवार को टुंडी विधायक मथुरा महतो ने आश्रम का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन झारखंड की अस्मिता और जनभावनाओं से जुड़ा है। दिशोम गुरु का जीवन संघर्ष, त्याग और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए समर्पित रहा है, इसलिए उनकी प्रतिमा का अनावरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।
आश्रम में रंगरोगन, सजावट और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने विशेष इंतजाम किए हैं। अनुमान है कि अनावरण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
कौन थे दिशोम गुरु शिबू सोरेन?
शिबू सोरेन, जिन्हें लोग स्नेह और सम्मान से दिशोम गुरु कहते हैं, झारखंड के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक और सामाजिक नेताओं में से एक रहे। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और लंबे समय तक अध्यक्ष रहे।
गुरुजी ने आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उनका राजनीतिक जीवन झारखंड राज्य के गठन और आदिवासी समाज के उत्थान से गहराई से जुड़ा रहा। वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रहे और कई बार संसद और विधानसभा में जनप्रतिनिधि चुने गए।
झारखंड के ग्रामीण और खनन क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई थी।
अनुयायियों में उत्साह और भावुकता
गुरुजी के प्रतिमा अनावरण की खबर से अनुयायियों और समर्थकों में भावुकता और उत्साह दोनों है। उनका मानना है कि प्रतिमा के माध्यम से आने वाली पीढ़ियां हमेशा गुरुजी को याद कर सकेंगी और उनके संघर्षों से प्रेरणा ले पाएंगी।
श्रद्धालुओं का कहना है कि शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि आदिवासी समाज के लिए एक आंदोलनकारी, मार्गदर्शक और संरक्षक की भूमिका निभाते थे। उनकी स्मृति में यह प्रतिमा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को हमेशा जीवंत बनाए रखेगी।
आयोजन का महत्व
धनबाद का यह आयोजन केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और आसपास के राज्यों में चर्चा का विषय है। राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह कार्यक्रम बेहद अहम है। झारखंड की पहचान और गौरव से जुड़े इस आयोजन को लेकर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।
निष्कर्ष
आज का दिन धनबाद और पूरे झारखंड के लिए ऐतिहासिक है। पोखरिया स्थित शिबू सोरेन आश्रम में दिशोम गुरु की प्रतिमा का अनावरण उनके योगदान और संघर्ष को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक है। यह आयोजन न सिर्फ गुरुजी की स्मृति को अमर करेगा, बल्कि आदिवासी समाज और झारखंड की जनता के आत्मसम्मान की अभिव्यक्ति भी बनेगा।
गुरुजी का जीवन और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन करते रहेंगे और उनकी प्रतिमा समाज में समानता, न्याय और संघर्ष की प्रेरणा का प्रतीक बनी रहेगी।