दुर्गा पूजा 2025: गंगा की स्वच्छता के लिए पटना प्रशासन ने बनाई विशेष योजना, 10 घाटों पर तैयार होंगे आर्टिफिशियल तालाब
दुर्गा पूजा 2025 का शुभारंभ कलश स्थापना के साथ हो रहा है। नवरात्रि का यह पावन पर्व न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है। इस बार पटना जिला प्रशासन ने गंगा नदी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दुर्गा पूजा और उसके बाद लक्ष्मी पूजा के अवसर पर मूर्ति विसर्जन के दौरान प्रदूषण को रोकने के लिए शहर के विभिन्न घाटों पर 10 आर्टिफिशियल तालाब बनाए जाएंगे।
गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने की तैयारी
जिला प्रशासन और नगर निगम ने इस बार विशेष योजना बनाई है। नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने बताया कि निगम का मुख्य लक्ष्य गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त रखना है। इसके साथ ही त्योहारों के दौरान पूरे शहर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखना भी प्राथमिकता में है। इस कार्य के लिए निगम ने अपने सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी हैं।
पहली बार ऐसा होगा कि पटना में इतने बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल तालाब बनाए जाएंगे। इन तालाबों का उपयोग केवल मूर्ति और पूजा सामग्री के विसर्जन के लिए होगा।
किन घाटों पर बनेंगे आर्टिफिशियल तालाब?
पटना शहर को अलग-अलग अंचलों में बांटकर तालाबों की व्यवस्था की गई है। दुर्गा पूजा और लक्ष्मी पूजा के लिए अलग-अलग घाटों पर ये तालाब तैयार किए जाएंगे।
दुर्गा पूजा विसर्जन हेतु आर्टिफिशियल तालाब
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पाटलिपुत्र अंचल: दीघा घाट, पाटीपुल घाट
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पटना सिटी अंचल: कंगन घाट, किला घाट, दमराही घाट
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अजीमाबाद अंचल: भद्र घाट (पूर्वी), भद्र घाट (पश्चिमी), चित्रगुप्त तालाब, गाय घाट
लक्ष्मी पूजा विसर्जन हेतु आर्टिफिशियल तालाब
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अजीमाबाद अंचल: भद्र घाट, महावीर घाट
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पाटलिपुत्र अंचल: दीघा घाट
इन तालाबों को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि मूर्तियों और पूजा सामग्री का विसर्जन आसानी से हो सके और नदी का जल प्रदूषित न हो।
नियम उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई
पटना नगर निगम ने साफ कर दिया है कि निर्धारित आर्टिफिशियल तालाबों के अलावा कहीं और मूर्ति विसर्जन करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए पूजा समितियों और आम नागरिकों को पहले से ही जागरूक किया जाएगा।
सभी समितियों को बताया जाएगा कि मूर्तियों के साथ-साथ फूल, माला, कपड़े और अन्य पूजा सामग्री का विसर्जन केवल इन तालाबों में ही करना होगा। इस तरह नदी में सीधे कोई भी सामग्री नहीं डाली जाएगी।
घाटों पर तैनात होंगी जागरूकता टीमें
इस अभियान को सफल बनाने के लिए पटना नगर निगम ने विशेष जागरूकता टीमें गठित की हैं। ये टीमें घाटों पर मौजूद रहेंगी और लोगों को प्लास्टिक व अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री का इस्तेमाल न करने की सलाह देंगी।
इन टीमों का मुख्य उद्देश्य है:
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श्रद्धालुओं को जागरूक करना
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प्लास्टिक मुक्त पूजा अभियान चलाना
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मूर्ति और पूजा सामग्री को आर्टिफिशियल तालाब में ही विसर्जित करवाना
नगर निगम ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे पॉलीथिन, थर्मोकोल और प्लास्टिक की सजावटी सामग्री का प्रयोग न करें, ताकि गंगा और आसपास का वातावरण स्वच्छ और सुरक्षित बना रहे।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पहल
गंगा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की जीवनरेखा भी है। हर साल दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों के दौरान मूर्ति विसर्जन से गंगा में भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। इसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस, केमिकल पेंट, प्लास्टिक और कपड़े शामिल होते हैं, जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं और जलीय जीवों के लिए खतरनाक साबित होते हैं।
इस बार पटना प्रशासन का यह कदम गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मॉडल प्रोजेक्ट साबित हो सकता है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में अन्य शहर भी इस पहल से प्रेरणा ले सकते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए सुविधा और सुरक्षा
मूर्ति विसर्जन के दौरान भीड़ को देखते हुए प्रशासन सुरक्षा और यातायात प्रबंधन की विशेष व्यवस्था करेगा। घाटों पर पर्याप्त रोशनी, बैरिकेडिंग और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाएगी।
साथ ही, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती और मेडिकल टीम की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी।
निष्कर्ष
Durga Puja 2025 में पटना प्रशासन ने पर्यावरणीय जिम्मेदारी और आस्था का अनूठा संतुलन बनाने का प्रयास किया है। गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए 10 आर्टिफिशियल तालाब बनाना न केवल एक पर्यावरणीय पहल है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छता का संदेश भी है।
इस बार दुर्गा पूजा सिर्फ भक्ति और उत्सव का ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामूहिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बनेगी।
