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12 Sep 2025, Fri

पटना में राशन डीलरों का प्रदर्शन बेकाबू, पुलिस का लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल

पटना में राशन डीलरों का प्रदर्शन बेकाबू, पुलिस का लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल

पटना में फेयर प्राइस विक्रेताओं पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन, DSP ने बताया क्यों करनी पड़ी कार्रवाई

पटना की सड़कों पर शुक्रवार का दिन काफी तनावपूर्ण रहा। बड़ी संख्या में फेयर प्राइस विक्रेता (राशन डीलर) अपनी मांगों को लेकर राजधानी पटना की ओर बढ़े और डाकबंगला चौराहा पर प्रदर्शन करने पहुंचे। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा। इस कार्रवाई के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

प्रदर्शन का कारण क्या था?

राज्यभर के फेयर प्राइस विक्रेता लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इनकी प्रमुख मांगें हैं:

  • जन वितरण प्रणाली (PDS) को बचाना।

  • फेयर प्राइस विक्रेताओं को नियमित करना।

  • विक्रेताओं को स्थायी और सुरक्षित रोजगार का दर्जा देना।

इन्हीं मांगों को लेकर फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन के बैनर तले 9 अगस्त को पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू की गई थी। हजारों की संख्या में विक्रेता पैदल यात्रा करते हुए पटना पहुंचे और डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन करने लगे।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव

जैसे ही प्रदर्शनकारी डाकबंगला चौराहे पर पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। पुलिस की अपील थी कि विक्रेता गर्दनीबाग जाकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करें, क्योंकि डाकबंगला चौराहा शहर का व्यस्त इलाका है और यहां ट्रैफिक पूरी तरह बाधित हो रहा था। लेकिन प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं हुए।

स्थिति बिगड़ने पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और दोनों लेन पर कब्जा जमाकर नारेबाजी करने लगे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने पहले चेतावनी दी और उसके बाद वाटर कैनन और लाठीचार्ज का सहारा लिया।

DSP ने बताया क्यों करनी पड़ी कार्रवाई

घटनास्थल पर मौजूद DSP लॉ एंड ऑर्डर कृष्ण मुरारी प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में बताया कि,

  • प्रदर्शन करना हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण और निर्धारित जगह पर होना चाहिए।

  • डाकबंगला चौराहा शहर का मुख्य मार्ग है। जब प्रदर्शनकारियों ने यहां दोनों लेन जाम कर दिए तो आम जनता परेशान होने लगी।

  • पुलिस ने जाम हटाने और निर्धारित स्थल पर जाने की अपील की, लेकिन प्रदर्शनकारी उग्र हो गए।

  • बैरिकेडिंग तोड़ी गई, पुलिस पर पथराव किया गया और कई पुलिसकर्मियों का कॉलर पकड़कर हाथापाई की गई।

DSP ने साफ कहा कि जब भीड़ हिंसक हो जाती है और पब्लिक ऑर्डर बिगड़ने लगता है, तब पुलिस के पास कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

प्रदर्शनकारियों पर आरोप

पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारी सिर्फ नारेबाजी तक सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने पुलिसकर्मियों पर डंडों से हमला किया और पथराव भी किया। कई पुलिसकर्मी इस झड़प में घायल हुए। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है।

पुलिस के मुताबिक, भीड़ बार-बार प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने की कोशिश कर रही थी और जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने आक्रामक रुख अपना लिया। इससे शहर के कानून-व्यवस्था को खतरा पैदा हो गया।

प्रदर्शनकारियों का पक्ष

दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी विक्रेताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। वे सिर्फ अपने हक के लिए सड़क पर उतरे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का प्रयोग किया।

विक्रेताओं का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस आश्वासन नहीं मिलता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

राजधानी में अफरा-तफरी

लाठीचार्ज और वाटर कैनन की कार्रवाई के दौरान डाकबंगला चौराहा पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। भीड़ इधर-उधर भागने लगी। दुकानदारों ने अपने शटर गिरा लिए और राहगीरों में दहशत फैल गई। कुछ देर के लिए पूरा इलाका रणभूमि में तब्दील हो गया।

क्या है आगे का रास्ता?

फेयर प्राइस विक्रेताओं का आंदोलन अभी खत्म होने के मूड में नहीं दिख रहा है। उन्होंने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगों पर विचार नहीं किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। वहीं, पुलिस प्रशासन ने भी साफ कर दिया है कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी।

निष्कर्ष

पटना का यह घटनाक्रम एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि जनता और सरकार के बीच संवाद की कमी क्यों बार-बार टकराव की स्थिति पैदा कर देती है। फेयर प्राइस विक्रेता अपने भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं, जबकि प्रशासन कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर जोर देता है। ऐसे में जरूरत है कि दोनों पक्ष बैठकर समाधान निकालें, ताकि सड़क पर टकराव की नौबत न आए और आम जनता को परेशानी न झेलनी पड़े।

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