पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को ऑपरेशन महादेव में किया गया ढेर: सेना ने रचा नया इतिहास
श्रीनगर | 28 जुलाई 2025
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों ने निर्णायक कार्रवाई करते हुए उस हमले के मास्टरमाइंड हाशिम मूसा को ऑपरेशन ‘महादेव’ के तहत ढेर कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाशिम मूसा पाकिस्तान की सेना से जुड़े एक खतरनाक कमांडो ग्रुप ‘स्पेशल सर्विस ग्रुप’ (SSG) का प्रशिक्षित सदस्य था और बाद में लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठन से जुड़ गया था।
📍 ऑपरेशन ‘महादेव’ की पृष्ठभूमि
यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर पुलिस, राष्ट्रीय राइफल्स और अर्धसैनिक बलों के संयुक्त प्रयास का हिस्सा था, जिसे 26 जुलाई की रात शुरू किया गया था। खुफिया सूचना मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने अनंतनाग जिले के एक घने जंगल क्षेत्र में घेराबंदी की। भारी गोलीबारी और मुठभेड़ के बाद तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया। इनमें सबसे बड़ा नाम हाशिम मूसा का था, जो पिछले साल हुए पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
🔍 कौन था हाशिम मूसा?
हाशिम मूसा, पाकिस्तान के पेशावर का रहने वाला था और 2021 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा गया था। वह पाकिस्तान की SSG यूनिट में रह चुका था और विशेषज्ञ स्तर का स्नाइपर और विस्फोटक विशेषज्ञ माना जाता था। लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने के बाद वह घाटी में कई बड़े हमलों की साजिशों में शामिल रहा।
मूसा की तलाश 2023 से ही चल रही थी और उसे पकड़ने या मार गिराने के लिए कई बार अभियान चलाए गए थे। लेकिन वह हर बार सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बच निकलता था।
🔥 पहलगाम हमला — एक काला दिन
2024 में हुए पहलगाम हमले में 6 सुरक्षाकर्मी और 3 नागरिकों की जान चली गई थी। इस हमले को अंजाम देने के बाद आतंकी जंगल के रास्ते भाग निकले थे। घटना के बाद से ही हाशिम मूसा को उस हमले के रणनीतिक मास्टरमाइंड के तौर पर देखा जा रहा था।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हाशिम मूसा बेहद शातिर और खतरनाक आतंकी था। वह घाटी में युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने और भर्ती करने का काम भी कर रहा था। उसका खात्मा घाटी की सुरक्षा के लिए बड़ी जीत है।”
🧠 ऑपरेशन महादेव में तकनीकी और रणनीतिक बढ़त
इस ऑपरेशन में ड्रोन सर्विलांस, नाइट विज़न कैमरा और सैटेलाइट इंटेलिजेंस का प्रयोग किया गया। ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि मुठभेड़ के दौरान आतंकियों के पास से अमेरिका निर्मित M4 कार्बाइन, हैंड ग्रेनेड, GPS डिवाइस और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ है।
सुरक्षाबलों ने आतंकियों के शवों की तस्वीरें और वीडियो फुटेज भी साझा की हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में हाशिम मूसा की पहचान उसके विशिष्ट टैटू और हथियारों के ज़रिए की गई है।
📸 आतंकियों की तस्वीरें और डिजिटल ट्रेसिंग
ऑपरेशन के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनमें तीनों आतंकियों के शव और उनके हथियार साफ नजर आ रहे हैं। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही हैं।
डिजिटल फॉरेंसिक टीम को आतंकियों के पास से एक सैटेलाइट फोन और दो मोबाइल फोन भी मिले हैं, जिनके जरिए कई महत्वपूर्ण जानकारियों के मिलने की संभावना है। माना जा रहा है कि इन उपकरणों में अन्य स्लीपर सेल्स और विदेशी हैंडलर्स की जानकारी हो सकती है।
🇮🇳 राष्ट्रीय सुरक्षा में बढ़ी मजबूती
इस ऑपरेशन को लेकर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट कर सुरक्षाबलों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “हमारे जवानों की बहादुरी और समर्पण की वजह से घाटी को एक बड़ा खतरा समाप्त हुआ है। ऑपरेशन महादेव हमारे सुरक्षा बलों की पेशेवर कुशलता का प्रमाण है।”
गृह मंत्रालय ने भी ऑपरेशन महादेव को एक “बड़ी रणनीतिक जीत” बताया है और यह संकेत दिया है कि घाटी में अन्य आतंकी ठिकानों पर भी अब तेज़ कार्रवाई होगी।
🧩 आगे की रणनीति
सेना और पुलिस की ओर से बताया गया है कि हाशिम मूसा के नेटवर्क की पूरी जानकारी निकालने के लिए अभी भी कई टीमें अलग-अलग इलाकों में छापेमारी कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, उसके संपर्क में घाटी के कुछ स्थानीय स्लीपर सेल्स भी थे, जिनकी पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
✊ जनता की प्रतिक्रिया
कश्मीर घाटी और देशभर में आम जनता ने इस ऑपरेशन का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सुरक्षाबलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का प्रमाण है। कई यूज़र्स ने लिखा — “मूसा का अंत आतंक का अंत है। जवानों को सलाम।”
🔚 निष्कर्ष
हाशिम मूसा जैसे प्रशिक्षित और खूंखार आतंकी का खात्मा देश के सुरक्षा बलों की काबिलियत और संकल्प को दर्शाता है। ऑपरेशन महादेव केवल एक आतंकवादी को मार गिराने की कहानी नहीं है, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा और आतंक के खिलाफ अटूट संकल्प का प्रतीक बन चुका है।
अब सुरक्षा एजेंसियों की निगाह बाकी बचे आतंकियों और उनकी फंडिंग पर है, जिससे आतंक के नेटवर्क को पूरी तरह जड़ से खत्म किया जा सके।