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22 Jul 2025, Tue

पाकिस्तान में फिर तख्तापलट की आहट! जानिए अब तक कब-कब सेना ने सत्ता अपने हाथ में ली

पाकिस्तान में फिर तख्तापलट की आहट! जानिए अब तक कब-कब सेना ने सत्ता अपने हाथ में ली

पाकिस्तान में फिर तख्तापलट की आहट! जानिए अब तक कब-कब सेना ने सत्ता अपने हाथ में ली

Pakistan Army Chief Asim Munir vs President Zardari: क्या फिर होगा तख्तापलट? ऑपरेशन सिंदूर के बाद सत्ता संग्राम तेज़

पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर गहराते संकट और सैन्य हस्तक्षेप की आशंकाओं से घिर गई है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में सत्ता के गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। देश के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच कथित टकराव अब खुलकर सामने आने लगा है। राजनीतिक विश्लेषक, मीडिया रिपोर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय संकेत सभी यही इशारा कर रहे हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है।


🔥 ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्यों बढ़ी राजनीतिक खींचतान?

ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के भीतर आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की गई। हालांकि, इसके रणनीतिक और राजनीतिक नतीजों को लेकर सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बीच मतभेद उभरने लगे हैं। कहा जा रहा है कि इस ऑपरेशन की आड़ में जनरल मुनीर ने अपनी राजनीतिक स्थिति को और मज़बूत करने की कोशिश की है, जो राष्ट्रपति जरदारी को रास नहीं आ रही।


🎙️ बिलावल भुट्टो के बयान ने बढ़ाया संदेह

इस बीच, पीपीपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का एक बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत को सौंपने की बात कही। यह बयान न केवल पाकिस्तानी राजनीति में एक चौंकाने वाला मोड़ है, बल्कि इसके पीछे की मंशा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह बयान सेना की रणनीतिक लाइन को राजनीतिक समर्थन देने की कोशिश थी? या फिर यह एक संकेत था कि सत्ता के अंदर कोई बड़ा बदलाव आने वाला है?


🇺🇸 क्या अमेरिका जनरल मुनीर के साथ है?

सूत्रों की मानें तो जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका का ‘नरम समर्थन’ प्राप्त है। अफगानिस्तान, चीन और भारत को लेकर क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए वॉशिंगटन डीसी एक स्थिर सैन्य नेतृत्व को प्राथमिकता दे सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक दावा किया जा रहा है कि मुनीर खुद राष्ट्रपति पद की ओर कदम बढ़ा सकते हैं, जैसा पहले जनरल ज़िया-उल-हक और परवेज़ मुशर्रफ ने किया था।

यदि आसिफ अली जरदारी उनके रास्ते में आए तो उन्हें हटा दिया जा सकता है। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है।


📜 पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास

पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट का इतिहास पुराना और स्थायी रहा है। यहां सेना सिर्फ सुरक्षा का नहीं, बल्कि सत्ता का भी एक बड़ा केंद्र रही है। अब तक:

  • 1958: जनरल अयूब खान ने सत्ता हथियाई, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा को हटाया

  • 1969: जनरल याह्या खान ने अयूब खान से सत्ता ली

  • 1977: जनरल ज़िया-उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार गिराई

  • 1999: जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने नवाज़ शरीफ को हटाकर राष्ट्रपति पद संभाला

हर बार सेना ने अस्थिरता, भ्रष्टाचार या राष्ट्रीय संकट का हवाला देकर सत्ता पर कब्जा किया — और हर बार पाकिस्तान की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संस्थाएं कमजोर होती गईं।


⚠️ क्या 2025 में इतिहास दोहराएगा खुद को?

आज का पाकिस्तान एक बार फिर उन्हीं हालातों से गुजर रहा है:

  • राजनीतिक अस्थिरता: मुख्य दलों में टकराव, गठबंधन सरकार की कमजोरी

  • आर्थिक संकट: विदेशी कर्ज, महंगाई, IMF की शर्तें

  • संवैधानिक भ्रम: सुप्रीम कोर्ट और कार्यपालिका के बीच तनाव

  • सेना का बढ़ता दखल: ISI और GHQ की बढ़ती भूमिका

ऐसे में सवाल उठता है — क्या पाकिस्तान एक और तख्तापलट की दहलीज़ पर खड़ा है?


🌐 संभावित तख्तापलट के असर

  1. लोकतंत्र को और चोट: चुनी हुई सरकार का गिरना देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए झटका होगा

  2. आंतरिक अस्थिरता: विपक्ष, छात्र संघ, सिविल सोसाइटी और न्यायपालिका में उबाल आ सकता है

  3. भारत और दक्षिण एशिया पर प्रभाव: क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है, खासकर कश्मीर और अफगान सीमा पर

  4. अंतरराष्ट्रीय दबाव: अमेरिका, चीन और खाड़ी देश नए समीकरणों की खोज करेंगे


🧭 निष्कर्ष: पाकिस्तान का भविष्य किसके हाथ?

जनरल आसिम मुनीर और राष्ट्रपति जरदारी के बीच बढ़ती दूरी, बिलावल भुट्टो के बयानों की टाइमिंग, और सेना की लगातार बढ़ती सक्रियता एक नए सियासी समीकरण की ओर इशारा कर रही है। यदि यह टकराव खुला संघर्ष बन गया, तो पाकिस्तान एक बार फिर सेना की गोद में जा सकता है — और यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा झटका होगा।

अब देखना ये है कि क्या पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व और जनता मिलकर लोकतंत्र की रक्षा कर पाएंगे, या फिर 2025 का साल इतिहास दोहराने वाला साबित होगा।

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