POK Protests: पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से पहले रावलकोट और मुजफ्फराबाद में जोरदार विरोध, गूंजे नारे – “अमेरिका ने कुत्ते पाले, वर्दी वाले”
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालात एक बार फिर गर्म हो गए हैं। बुधवार को रावलकोट और मुजफ्फराबाद में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तान सेना तथा सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। यह प्रदर्शन पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) की पूर्व संध्या पर हुआ, जिसने एक बार फिर पीओके की असली स्थिति को दुनिया के सामने ला दिया।
सेना प्रमुख असीम मुनीर पर गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर अमेरिका के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। रावलकोट की सड़कों पर लोगों ने खुलेआम नारे लगाए – “अमेरिका ने कुत्ते पाले, वर्दी वाले”। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पाक सेना कश्मीरियों के मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन कर रही है और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है।
यह नारेबाजी और विरोध केवल एक दिन की घटना नहीं है, बल्कि पिछले कई सालों से पीओके में पनप रहे गुस्से का नतीजा है।
पीओके में बढ़ता असंतोष
पाकिस्तान अक्सर भारत पर कश्मीर मुद्दे को लेकर आरोप लगाता है, लेकिन पीओके में रहने वाले लोग खुद पाकिस्तान की नीतियों से परेशान हैं। वहां बिजली के बिल, महंगाई, रोज़गार की कमी और सेना के अत्याचार जैसे मुद्दों पर लंबे समय से असंतोष बढ़ रहा है।
पिछले साल मई में मुजफ्फराबाद में आटे और बिजली के दाम बढ़ने के खिलाफ हिंसक विरोध हुआ था। उस समय सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे, जबकि प्रदर्शनकारियों ने भी पलटवार किया। यह दिखाता है कि जनता का गुस्सा केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि सड़कों पर भी फूट रहा है।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बड़ा संदेश
रावलकोट का यह प्रदर्शन पाकिस्तान के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकेत है। पाकिस्तान सरकार पीओके को “आज़ाद” बताती है, लेकिन वहां के लोग बार-बार सड़कों पर उतरकर इस दावे को झूठा साबित कर रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हैं, लेकिन पीओके की जनता की नाराजगी को नजरअंदाज करते हैं। यही वजह है कि इस बार का विरोध केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें अंतरराष्ट्रीय राजनीति और मानवाधिकार उल्लंघन की बातें भी खुलकर उठीं।
भारत के समर्थन की बढ़ती आवाजें
पीओके में भारत के समर्थन की आवाजें धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि पाकिस्तान की नीतियां उनके विकास और अधिकारों के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा हैं। कई बार सोशल मीडिया पर पीओके के लोगों के वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें वे भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त करते दिखाई दिए हैं।
मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तान सेना पीओके में मनमाने तरीके से गिरफ्तारियां करती है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाती है और विरोध करने वालों को डराने-धमकाने के लिए हिंसा का सहारा लेती है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के खिलाफ है और संयुक्त राष्ट्र समेत कई संस्थाओं के लिए चिंता का विषय हो सकती है।
पाकिस्तान के लिए आंतरिक चुनौती
विश्लेषकों का मानना है कि पीओके में बार-बार होने वाले प्रदर्शन पाकिस्तान के लिए एक बड़ी आंतरिक चुनौती बन सकते हैं। अभी तक पाकिस्तान अपने घरेलू राजनीतिक संकट, महंगाई और अंतरराष्ट्रीय दबाव से जूझ रहा है, ऐसे में पीओके में बढ़ता गुस्सा उसकी मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
अगर पाकिस्तान सरकार और सेना ने जनता की नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले समय में यह विरोध और अधिक व्यापक हो सकता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन जाएगा।
निष्कर्ष
पीओके में हुआ यह प्रदर्शन केवल एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि एक संदेश है कि वहां के लोग पाकिस्तान की नीतियों से पूरी तरह असंतुष्ट हैं। “अमेरिका ने कुत्ते पाले, वर्दी वाले” जैसे नारे यह दिखाते हैं कि जनता अब डरने के बजाय खुलकर अपनी बात कह रही है।
यह विरोध आने वाले समय में पाकिस्तान के लिए एक राजनीतिक, सामाजिक और कूटनीतिक संकट में बदल सकता है। स्वतंत्रता दिवस के जश्न के ठीक पहले यह घटना पाकिस्तान की “आज़ादी” की परिभाषा पर सवाल खड़े करती है।
