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21 Jul 2025, Mon

प्रयागराज में दर्दनाक हादसा: पानी से मिली 4 मासूमों की लाशें, गांव में पसरा मातम

प्रयागराज हादसा: 4 मासूम बच्चों की डूबकर मौत से गांव में पसरा मातम

प्रयागराज में दर्दनाक हादसा: पानी से मिली 4 मासूमों की लाशें, गांव में पसरा मातम

प्रयागराज में दिल दहला देने वाला हादसा: गड्ढे में डूबकर चार मासूमों की मौत, गांव में पसरा मातम

प्रयागराज (मेजा)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के मेजा थाना क्षेत्र के बेदौली गांव में बुधवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया। गांव के पास स्थित एक ईंट भट्ठे के गड्ढे में चार मासूम बच्चों की लाशें पानी में उतराती मिलीं। ये सभी बच्चे मंगलवार शाम से लापता थे। जैसे ही ये खबर फैली, गांव में कोहराम मच गया और पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।

खेलते-खेलते पहुंचे गड्ढे तक, फिर नहीं लौटे वापस

मृत बच्चों की पहचान हुनर (5 वर्ष), वैष्णवी (3 वर्ष), खेसारी और कान्हा (उम्र 3-5 वर्ष) के रूप में हुई है। इनमें से हुनर और वैष्णवी सगे भाई-बहन थे। सभी बच्चे आदिवासी समुदाय से आते थे और गांव के एक ही मोहल्ले के निवासी थे।

मंगलवार की दोपहर जब बच्चों के माता-पिता मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी करने गए हुए थे, तब बच्चे घर के आसपास खेल रहे थे। लेकिन जब शाम को तकरीबन पांच बजे माता-पिता घर लौटे, तो देखा कि चारों बच्चे गायब हैं। पूरे गांव ने मिलकर रातभर बच्चों की तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी।

बुधवार सुबह मिला दर्दनाक सच

बुधवार तड़के करीब छह बजे कुछ ग्रामीणों ने गांव के पास ईंट भट्ठे के गड्ढे में कुछ अजीब सी चीजें तैरती देखीं। पास जाकर उन्होंने जो दृश्य देखा, उसने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए। चारों मासूम बच्चों की लाशें पानी में तैर रही थीं। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई और बच्चों को रामनगर स्थित सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

गांव में मातम, परिजन बेसुध

चार मासूमों की एकसाथ मौत से गांव में मातम पसर गया। सबसे ज्यादा गहरा आघात उस परिवार को लगा, जिसने एक साथ अपने दो बच्चों को खो दिया। हीरा आदिवासी के बेटे-बेटी—हुनर और वैष्णवी—की मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया है। अन्य मृतक बच्चों के परिवार भी गहरे सदमे में हैं। पूरे गांव में चीत्कार और शोक का माहौल है।

प्रशासन की मदद और जांच शुरू

घटना की जानकारी मिलते ही एसीपी मेजा एसपी उपाध्याय, एसडीएम सुरेंद्र प्रताप यादव और थाना अध्यक्ष राजेश उपाध्याय भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। प्रशासन की ओर से मृतक बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।

ईंट भट्ठे की लापरवाही बनी मौत की वजह?

जिस गड्ढे में बच्चों की डूबने से मौत हुई, वह गांव में संचालित एक ईंट भट्ठे का था। यह गड्ढा मिट्टी निकालने के बाद छोड़ दिया गया था, जो बारिश के पानी से भर गया था। गांववालों का आरोप है कि वहां न तो कोई सुरक्षा घेरा था और न ही कोई चेतावनी बोर्ड। स्थानीय लोगों ने ईंट भट्ठा संचालक की लापरवाही को इस हादसे का जिम्मेदार ठहराते हुए उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

जरूरत है जवाबदेही और सुरक्षा उपायों की

यह हादसा सिर्फ एक दर्दनाक घटना नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी भी है। ग्रामीण इलाकों में संचालित ईंट भट्ठों, खनन स्थलों या किसी भी प्रकार के खुले गड्ढों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते। ऐसी लापरवाही मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ती है। प्रशासन को सिर्फ मुआवजा देकर हाथ नहीं धोना चाहिए, बल्कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश और निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए।


निष्कर्ष:
बेदौली गांव की यह घटना न सिर्फ चार परिवारों का उजाला छीन ले गई, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सवाल छोड़ गई—क्या हमारी सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि चार मासूम बच्चों की जान एक लापरवाह गड्ढे में चली जाए? वक्त है कि प्रशासन, भट्ठा संचालक और स्थानीय निकाय इस दर्दनाक हादसे से सबक लें और भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।

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