रांची में ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड: 9 महीने तक चाय-नाश्ते के नाम पर दुकानदार से 2.70 लाख की ठगी
Online Payment Fraud: ज़रा सोचिए, आपकी छोटी-सी दुकान हो और रोजाना कुछ ग्राहक हजार-दो हजार रुपये का सामान या चाय-नाश्ता लें। हर बार वे ऑनलाइन भुगतान करने का दावा करें और आपको पेमेंट का स्क्रीनशॉट दिखा दें। शुरू में आपको लगे कि सब ठीक है, लेकिन महीनों बाद अचानक पता चले कि असल में यह सारे पेमेंट फर्जी थे और आप लाखों रुपये की ठगी के शिकार हो चुके हैं। निश्चित तौर पर यह किसी भी दुकानदार के लिए बड़ा झटका होगा।
कुछ ऐसा ही हुआ है झारखंड की राजधानी रांची में। एयरपोर्ट रोड स्थित एक दुकान के संचालक अंकित कुमार ने पुलिस को शिकायत दी है कि कुछ युवकों ने उनसे फर्जी ऑनलाइन पेमेंट दिखाकर करीब 2.70 लाख रुपये की ठगी कर ली।
9 महीने तक चलता रहा खेल
दुकानदार अंकित कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि पिछले 9 महीने से रोजाना चार युवक—साकेत नगर निवासी कृष कुमार, गोलू कुमार, आयुष कुमार और हर्ष कुमार—उनकी दुकान पर आते थे।
ये सभी युवक रोजाना दुकान से हजार से दो हजार रुपये का चाय-नाश्ता करते थे और हमेशा ऑनलाइन पेमेंट का दावा करते थे। हर बार पेमेंट का स्क्रीनशॉट दिखाकर निकल जाते थे।
अंकित कुमार को लंबे समय तक इस धोखाधड़ी का अंदाज़ा ही नहीं हुआ। लेकिन एक दिन जब उन्हीं युवकों के साथ आया एक अन्य युवक ने अंकित को सच्चाई बताई, तो उन्हें पता चला कि वे पिछले कई महीनों से फर्जी पेमेंट के जरिए ठगे जा रहे हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
दुकानदार के अनुसार, जब एक परिचित ने बताया कि युवक ऑनलाइन पेमेंट का सिर्फ नकली स्क्रीनशॉट दिखाकर चले जाते हैं, तो वे चौकन्ने हो गए।
27 अगस्त 2025 को जब वही युवक फिर से दुकान पर आए और नाश्ता करने के बाद फर्जी पेमेंट दिखाकर जाने लगे, तब अंकित ने सीधे कह दिया कि उनका भांडाफोड़ हो चुका है। उन्होंने युवकों से कहा कि अब उन्हें मालूम हो गया है कि वे पिछले 9 महीने से उनसे धोखाधड़ी कर रहे हैं।
पैसे मांगने पर बहानेबाज़ी
अंकित कुमार ने युवकों और उनके अभिभावकों से 2.70 लाख रुपये की वसूली करने की कोशिश की। लेकिन आरोपी युवक और उनके परिजन पैसे लौटाने के बजाय बहाने बनाने लगे। दुकानदार ने हार मानकर एयरपोर्ट थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है।
ऑनलाइन पेमेंट फ्रॉड का बढ़ता खतरा
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि डिजिटल लेन-देन की सुविधा जितनी आसान है, उतना ही इसमें धोखाधड़ी का खतरा भी बढ़ गया है।
आजकल ठग पेमेंट ऐप्स के नकली स्क्रीनशॉट बना लेते हैं, जो असली ट्रांजैक्शन की तरह दिखते हैं। दुकानदार अक्सर व्यस्तता या भरोसे के कारण इन स्क्रीनशॉट्स को देखकर पेमेंट हो जाने का अनुमान लगा लेते हैं।
लेकिन असली पेमेंट हुआ है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए हमेशा बैंक अलर्ट (SMS/Email), UPI ऐप नोटिफिकेशन या फिर मर्चेंट अकाउंट की एंट्री चेक करनी चाहिए।
दुकानदारों के लिए सबक
इस मामले से अन्य दुकानदारों और छोटे व्यवसायियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:
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सिर्फ स्क्रीनशॉट पर भरोसा न करें – पेमेंट की पुष्टि बैंक या UPI ऐप से करें।
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रियल-टाइम नोटिफिकेशन पर ध्यान दें – SMS या UPI ऐप में एंट्री आने के बाद ही माल दें।
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कस्टमर की आदतों पर नजर रखें – बार-बार ऑनलाइन पेमेंट करने वाले ग्राहकों की लेन-देन हिस्ट्री चेक करें।
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CCTV और डिजिटल रिकॉर्ड रखें – विवाद की स्थिति में सबूत मददगार होते हैं।
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साइबर क्राइम सेल में तुरंत रिपोर्ट करें – ताकि धोखेबाजों को पकड़ा जा सके।
निष्कर्ष
रांची का यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ युवक तकनीक का गलत इस्तेमाल कर छोटे दुकानदारों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
9 महीने तक रोजाना चाय-नाश्ता करने और फर्जी पेमेंट दिखाने का यह तरीका बेहद सुनियोजित धोखाधड़ी का उदाहरण है।
पुलिस जांच के बाद सच्चाई और साफ होगी, लेकिन इतना तय है कि इस घटना से सभी दुकानदारों को सतर्क रहने की जरूरत है। डिजिटल लेन-देन सुरक्षित है, लेकिन सावधानी और सतर्कता ही धोखाधड़ी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।
