Breaking
22 Jul 2025, Tue

फौजा सिंह: जिन्होंने साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं, 89 की उम्र में दौड़ी पहली मैराथन

फौजा सिंह: जिन्होंने साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं, 89 की उम्र में दौड़ी पहली मैराथन

Table of Contents

फौजा सिंह: जिन्होंने साबित कर दिया कि असंभव कुछ भी नहीं, 89 की उम्र में दौड़ी पहली मैराथन

फौजा सिंह: Turbaned Tornado जिसने साबित किया, उम्र सिर्फ एक संख्या है — अब नहीं रहे हमारे बीच

फौजा सिंह, जिन्हें प्यार से Turbaned Tornado कहा जाता था, अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार, 14 जुलाई को एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया। उनकी कहानी न केवल खेल प्रेमियों के लिए बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी भी उम्र में हार मानने का सोचते हैं।

बचपन से संघर्ष भरी कहानी

पंजाब के जालंधर जिले में जन्मे फौजा सिंह का बचपन आसान नहीं था। जन्म के बाद उनके पैर इतने कमजोर थे कि वे 5 साल की उम्र तक ठीक से चल भी नहीं पाते थे। किसी ने कभी नहीं सोचा था कि यही बच्चा भविष्य में दुनिया का सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक बनेगा।

👉 Turbaned Tornado: Fauja Singh पर किताब पढ़ें

पारिवारिक दुख ने बदल दी दिशा

फौजा सिंह के जीवन में एक समय ऐसा आया जब उन्होंने अपने छोटे बेटे, बेटी और पत्नी को खो दिया। इस गहरे सदमे से बाहर निकलने के लिए वे लंदन चले गए, जहां उनके बेटे रहते थे। वहां उन्होंने टीवी पर मैराथन देखा और उन्हें एक नया मकसद मिला। उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा दौड़ने में लगानी शुरू कर दी।

89 साल में पहली मैराथन

फौजा सिंह ने 89 साल की उम्र में अपनी पहली मैराथन — लंदन मैराथन 2000 — में भाग लिया। उन्होंने यह रेस 7 घंटे में पूरी की और दुनिया को दिखा दिया कि उम्र केवल एक मानसिक बाधा है।

100 साल में भी कायम जज्बा

साल 2011 में, जब वे 100 साल के हुए, तब उन्होंने टोरंटो वॉटरफ्रंट मैराथन में भाग लिया। इस रेस को उन्होंने 8 घंटे 11 मिनट में पूरा किया और दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक का खिताब अपने नाम किया।

👉 Toronto Waterfront Marathon के बारे में जानें

ओलंपिक मशालवाहक बने

2012 में लंदन ओलंपिक के दौरान फौजा सिंह को मशालवाहक बनने का मौका मिला। यह सम्मान उनके योगदान और उनकी प्रेरणादायक कहानी को दुनिया के सामने लाने के लिए था।

समाजसेवा और दान

फौजा सिंह ने अपनी पूरी कमाई को समाजसेवा में लगा दिया। उन्होंने एडिडास के विज्ञापन से जो भी पैसा कमाया, वह भी दान कर दिया। गुरुद्वारों, जरूरतमंदों और चैरिटी संस्थाओं को दान देना उनका जीवन का हिस्सा बन गया था। उन्होंने कभी भी पैसों को महत्व नहीं दिया, बल्कि हमेशा समाज के लिए काम किया।

खुशवंत सिंह की किताब में जिक्र

प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह ने अपनी किताब Turbaned Tornado: The Oldest Marathon Runner Fauja Singh में फौजा सिंह की पूरी कहानी को बेहद खूबसूरती से लिखा है। इसमें उनके बचपन की परेशानियों से लेकर 100 साल की उम्र में मैराथन जीतने तक का सफर शामिल है।

‘असंभव’ शब्द को दी नई परिभाषा

फौजा सिंह ने साबित कर दिया कि जब हौसला बुलंद हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। उन्होंने यह दिखाया कि इंसान अपनी मानसिक और शारीरिक सीमाओं से कैसे ऊपर उठ सकता है।

उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सोचता है कि “अब बहुत देर हो गई है।” फौजा सिंह ने हमें सिखाया कि उम्र चाहे कोई भी हो, आप कुछ भी कर सकते हैं।

👉 फौजा सिंह के बारे में और पढ़ें (Wikipedia)

निष्कर्ष

फौजा सिंह भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी प्रेरक कहानी हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी। उन्होंने अपने जीवन से यह दिखा दिया कि कभी भी हार मत मानो और असंभव कुछ भी नहीं। आज उनकी कहानी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रेरित कर रही है।

फौजा सिंह को हम सभी का नमन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *