बलूचिस्तान हत्याकांड: वायरल वीडियो ने पाकिस्तान को हिलाया, देशभर में आक्रोश
बलूचिस्तान ऑनर किलिंग मामला: मानवता को झकझोर देने वाली घटना पर मचा बवाल
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हाल ही में एक ऐसी अमानवीय घटना सामने आई जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। कथित ‘ऑनर किलिंग’ (इज़्ज़त के नाम पर हत्या) के एक वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया से लेकर न्यायपालिका तक को हिला दिया है। इस वीडियो में एक महिला और एक पुरुष को गोली मारते हुए दिखाया गया है। यह घटना बकरीद से तीन दिन पहले, यानी 4 जून 2025 को घटी, लेकिन वीडियो इसके 35 दिन बाद वायरल हुआ।
क्या है मामला?
पुलिस के अनुसार, मारी गई महिला की उम्र लगभग 35 साल थी और उसके पाँच बच्चे थे। वहीं, पुरुष की उम्र करीब 50 साल बताई गई है और उसके भी चार से पाँच बच्चे थे। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह कोई नवविवाहित जोड़ा नहीं था, जैसा कि सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा था। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सरफ़राज़ बुग़ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की पुष्टि की।
इस वीभत्स घटना की पुष्टि बीबीसी उर्दू द्वारा भी की गई है। वीडियो में दिखता है कि कुछ हथियारबंद लोग एक महिला और एक पुरुष को खुले पहाड़ी क्षेत्र में गोलियों से छलनी कर देते हैं। वीडियो में महिला को कहते हुए सुना जा सकता है: “केवल गोली की इजाज़त है, इसके अलावा कुछ नहीं।”
पुलिस की कार्रवाई
बलूचिस्तान पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 15 लोगों को नामजद किया है। इनमें एक स्थानीय सरदार भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर इस सज़ा का ‘फैसला’ सुनाया था। एसएसपी सैयद सबूर आगा के अनुसार, 11 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
पुलिस ने मारे गए दोनों व्यक्तियों के शवों को कब्र से निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया। रिपोर्ट्स के अनुसार, महिला को सात और पुरुष को नौ गोलियां लगी थीं। एक गोली महिला के सिर पर भी मारी गई थी। पुलिस के मुताबिक, दोनों को तीन गाड़ियों में बैठाकर घटना स्थल तक लाया गया और वहाँ सज़ा सुनाकर हत्या कर दी गई।
न्यायपालिका और सरकार की प्रतिक्रिया
बलूचिस्तान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने घटना का संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव को तलब किया है। बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने कहा कि यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है और दोषियों को कानून के कठघरे में लाया जाएगा।
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री ने यह भी खुलासा किया कि इस इलाके के स्पेशल ब्रांच के डीएसपी को सस्पेंड कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने इस घटना की सूचना समय पर नहीं दी थी।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
यह मामला सातकज़ई कबीले से जुड़ा है, जहाँ स्थानीय जिरगे (क़बीलों की पंचायत) अक्सर अपने स्तर पर न्याय करते हैं। कई बार ये फैसले अवैध संबंधों के आरोप में मौत की सजा तक पहुंच जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘स्याहकारी’ या ‘कारोकारी’ कहा जाता है। HRCP (Human Rights Commission of Pakistan) जैसे मानवाधिकार संगठन लंबे समय से इस प्रथा का विरोध करते आए हैं।
वीडियो का प्रभाव और सोशल मीडिया की भूमिका
इस वीडियो के सामने आने के बाद पाकिस्तान भर में आक्रोश फैला है। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस वीडियो को लाखों बार देखा जा चुका है। लोग अधिकारियों से कठोर कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में अब तक कोई व्यक्ति खुद को शिकायतकर्ता (मुद्दई) के रूप में सामने नहीं लाया है, जो कि समाज की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
आतंकवाद और कानून
पुलिस ने इस मामले में हत्या की धारा 302 और आतंकवाद विरोधी कानून की धारा 7 एटीए के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एफआईआर में उल्लेख है कि इस घटना को रिकॉर्ड कर वायरल करने के पीछे लोगों में डर फैलाने की मंशा भी थी।
निष्कर्ष
बलूचिस्तान की यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे कुछ इलाकों में आज भी कबीलाई न्याय प्रणाली मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन कर रही है। ज़रूरत है कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय हो, ताकि समाज में डर का माहौल न बने और कोई भी अपने हाथ में कानून न ले सके।
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