बिहार में विदेशी शराब की तस्करी का भंडाफोड़: 4666 लीटर शराब बरामद, ट्रक से जुड़ा नेटवर्क बेनकाब
बिहार में 4666 लीटर विदेशी शराब बरामद: लखीसराय पुलिस की बड़ी कार्रवाई, ट्रक से तस्करी रैकेट का भंडाफोड़
लखीसराय, बिहार।
बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब तस्करों के हौसले बुलंद हैं। हालांकि, लखीसराय पुलिस ने एक बार फिर तस्करों के मंसूबों पर पानी फेरते हुए रविवार देर रात एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन में पुलिस ने एक ट्रक से 4666.6 लीटर विदेशी शराब बरामद की है और तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।
यह बरामदगी लखीसराय जिले के बाजार समिति के पास जमुई मोड़ पर हुई, जहां गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने ट्रक संख्या BR-09HH-8032 को रोका और तलाशी लेने पर 527 कार्टन में छिपाई गई भारी मात्रा में शराब मिली।
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गुप्त सूचना पर कार्रवाई, ट्रक से शराब की बड़ी खेप जब्त
पुलिस पदाधिकारी अमित कुमार ने जानकारी दी कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक संदिग्ध ट्रक शराब लेकर गुजरने वाला है। इस पर उन्होंने अपनी टीम के साथ रात को ही वाहन चेकिंग अभियान शुरू किया। ट्रक जैसे ही संदिग्ध पाया गया, चालक ने भागने की कोशिश की, लेकिन थाना अध्यक्ष अमित कुमार और उनकी टीम ने सतर्कता दिखाते हुए ट्रक को कुछ ही दूरी पर रोक लिया।
तलाशी के दौरान ट्रक से 527 कार्टन में कुल 4666.6 लीटर विदेशी शराब बरामद हुई, जिसे झारखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब में सप्लाई किया जाना था। यह एक बार फिर साफ दर्शाता है कि शराब माफिया राज्य में कानून को ठेंगा दिखाकर अंतरराज्यीय नेटवर्क के जरिए तस्करी कर रहे हैं।
आरोपी हिरासत में, नेटवर्क की तलाश जारी
ट्रक के ड्राइवर ने पुलिस को देखते ही भागने की कोशिश की, मगर उसे तुरंत दबोच लिया गया। पकड़े गए चालक की पहचान कृष्ण धीवर (उम्र 30 वर्ष) के रूप में हुई है। उसके साथ पिंटू कुमार नामक एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
दोनों आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस तस्करी के पीछे किन शराब माफियाओं का हाथ है। पुलिस का मानना है कि यह एक बड़ा संगठित रैकेट है, जिसके तार बिहार के बाहर के राज्यों से भी जुड़े हुए हैं।
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शराबबंदी के बावजूद तस्करी जारी, क्या कारण हैं?
बिहार में 1 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। सरकार का उद्देश्य था कि राज्य को नशामुक्त बनाकर सामाजिक समस्याओं जैसे घरेलू हिंसा, अपराध, और आर्थिक हानि को कम किया जाए। लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद से ही अवैध शराब तस्करी और कच्ची शराब का कारोबार बढ़ता चला गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बॉर्डर से पर्याप्त निगरानी न होना, पुलिस की मिलीभगत, और तकनीकी संसाधनों की कमी इस तस्करी के बड़े कारण हैं।
ट्रकों के जरिए तस्करी: बदले हुए तरीके
इस ताजा मामले में ट्रक का उपयोग कर शराब को छुपाकर ले जाया जा रहा था। पेटियों को फल और अन्य सामान के नीचे छिपाया गया था ताकि चेकिंग से बचा जा सके। इससे पहले कई मामलों में एंबुलेंस, दूध वाहन, या मेडिकल सप्लाई ट्रक का भी दुरुपयोग किया जा चुका है।
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सरकार और पुलिस की जिम्मेदारी
इस कार्रवाई के बाद लखीसराय पुलिस की सराहना की जा रही है, लेकिन साथ ही राज्य में तस्करी रोकने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की मांग भी उठ रही है।
पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सीमावर्ती जिलों में CCTV निगरानी, GPS ट्रैकिंग और ड्रोन निगरानी को बढ़ाया जाएगा। इसके साथ-साथ शराब तस्करी रोकने के लिए स्थानीय मुखबिर तंत्र को और मज़बूत किया जा रहा है।
निष्कर्ष
लखीसराय में 4666 लीटर शराब की बरामदगी एक गंभीर चेतावनी है कि शराबबंदी कानून के बावजूद अवैध शराब का कारोबार थमा नहीं है। यह घटना सरकार, प्रशासन और समाज – तीनों के लिए आत्ममंथन का विषय है।
यदि शराबबंदी का लक्ष्य सफल बनाना है, तो सिर्फ कार्रवाई नहीं, तकनीकी निगरानी, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सामाजिक जागरूकता की ज़रूरत है।
📢 अगर आपको शराब तस्करी या अवैध शराब की जानकारी मिले, तो तुरंत बिहार उत्पाद विभाग को सूचित करें। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।