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8 Aug 2025, Fri

बिहार में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर सवाल: टीआरई-4 को लेकर छात्रों का जोरदार विरोध

बिहार में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया पर सवाल: टीआरई-4 को लेकर छात्रों का जोरदार विरोध

Bihar Student Protest 2025: STET परीक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे छात्र, TRE-4 को बताया छलावा

बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर छात्रों का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ा है। TRE-4 (Teacher Recruitment Examination-4) की घोषणा के बाद छात्रों में असंतोष की लहर दौड़ गई है, जिनका कहना है कि जब तक STET (Secondary Teacher Eligibility Test) नहीं होता, तब तक कोई भी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया छलावा है। इसी मांग को लेकर हजारों की संख्या में छात्र राजधानी पटना की सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।

आंदोलन की शुरुआत: पटना विश्वविद्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक की योजना

छात्रों का प्रदर्शन पटना विश्वविद्यालय के पास से शुरू हुआ, जो बाद में भिखना पहाड़ी, गांधी मैदान, डाक बंगला चौराहा होते हुए मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचने की योजना का हिस्सा था। हालांकि, पुलिस ने छात्रों को बीच रास्ते में ही रोक दिया और आगे बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेडिंग कर दी। आंदोलन के दौरान छात्र “STET नहीं तो वोट नहीं” जैसे नारे लगाते नजर आए और उनके हाथों में तख्तियां एवं तिरंगा थे।

प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा: TRE-4 से पहले STET कराना अनिवार्य

छात्रों का स्पष्ट कहना है कि सरकार TRE-4 के जरिए शिक्षक भर्ती की बात कर रही है, जबकि पात्रता परीक्षा यानी STET को आयोजित ही नहीं कर रही। छात्रों ने आरोप लगाया कि पिछले डेढ़ साल से STET या BTET (Basic TET) परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया है, जिसके कारण लाखों अभ्यर्थी पात्रता पाने से वंचित रह गए हैं। उनका कहना है कि सरकार सिर्फ घोषणाएं कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

प्रदर्शनकारी छात्रों का यह भी कहना है कि वे सरकार से नौकरी नहीं मांग रहे, बल्कि सिर्फ अपनी पात्रता सिद्ध करने का अवसर चाहते हैं। उनका सवाल है कि जब सरकार ने स्थानीय निवास प्रमाणपत्र (Domicile) दे दिया है, तो STET परीक्षा करवाने में क्या दिक्कत है?

STET और BTET नहीं तो शिक्षक भर्ती अधूरी

छात्रों की मांग स्पष्ट है—बिना STET और BTET के कोई भी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अधूरी है। उनका कहना है कि जब तक पात्रता परीक्षा नहीं होती, तब तक TRE-4 जैसी परीक्षाएं सिर्फ दिखावा हैं। उनका यह भी कहना है कि लगभग पांच लाख छात्र 2023-24 सत्र से पात्रता परीक्षा नहीं दे पाए हैं, जिससे वे शिक्षक बनने के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे।

इस पूरे प्रदर्शन का केंद्रबिंदु यही रहा कि सरकार पहले पात्रता सुनिश्चित करे और फिर भर्ती प्रक्रिया शुरू करे, जिससे सभी योग्य छात्रों को समान अवसर मिल सके।

पुलिस की सतर्कता और प्रदर्शन के दौरान माहौल

छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए पटना पुलिस और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जेपी गोलंबर और डाक बंगला जैसे प्रमुख स्थानों पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी। पुलिस ने छात्रों को मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने से रोकने के लिए बैरिकेडिंग कर दी थी। कई छात्र बैरिकेडिंग पर चढ़ते भी नजर आए, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

हालांकि प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा और छात्रों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश की।

तिरंगा और तख्तियां: लोकतांत्रिक विरोध की प्रतीक

इस प्रदर्शन में खास बात यह रही कि छात्र-छात्राओं ने हाथों में तिरंगा लेकर अपनी मांगें उठाईं। यह दिखाता है कि आंदोलन पूरी तरह लोकतांत्रिक था और युवा वर्ग अपने अधिकारों को लेकर अब पहले से कहीं ज्यादा सजग और संगठित है। छात्रों का यह भी कहना था कि अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो आने वाले चुनावों में वे इसका जवाब वोट के माध्यम से देंगे।

निष्कर्ष: क्या सरकार छात्रों की बात सुनेगी?

TRE-4 की घोषणा के बाद STET को लेकर शुरू हुआ यह विरोध बिहार की शिक्षा व्यवस्था में गहराई तक मौजूद समस्याओं की ओर इशारा करता है। छात्र सिर्फ यह चाहते हैं कि उन्हें भी अवसर मिले, जैसे पहले के बैच के छात्रों को मिले थे। शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और समयबद्ध परीक्षा आयोजन ही इस संकट का स्थायी समाधान हो सकता है।

अब देखना यह होगा कि बिहार सरकार इस छात्रों के आक्रोश को कैसे संभालती है और क्या TRE-4 से पहले STET और BTET की परीक्षा आयोजित करती है या नहीं। फिलहाल तो छात्र संघर्ष के मोड में हैं और उनका आंदोलन थमता नजर नहीं आ रहा।

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