बिहार विधानसभा मानसून सत्र 2025: अस्थायी और गिग कामगारों के लिए बड़ा कदम
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र 2025 में राज्य सरकार ने अस्थायी और गिग कामगारों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। इसमें सबसे अहम है “बिहार प्लेटफॉर्म आधारित (निबंधन, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण) विधेयक 2025”, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। यह विधेयक राज्य में काम कर रहे डिलिवरी ब्वॉय, ऐप-आधारित ड्राइवर, फ्रीलांसर जैसे लाखों गिग कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी देगा।
गिग और अस्थायी कामगारों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन
इस विधेयक के अंतर्गत एक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा, जिसका अध्यक्ष श्रम संसाधन विभाग के मंत्री होंगे। इस बोर्ड में संबंधित विभागों के अधिकारी, प्लेटफॉर्म कंपनियों के प्रतिनिधि और मजदूर संगठनों के सदस्य शामिल होंगे। यह बोर्ड सभी अस्थायी कामगारों के निबंधन, सुरक्षा, बीमा और सहायता की निगरानी करेगा।
पंजीकरण और यूनिक आईडी
बिहार सरकार ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एग्रीगेटरों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वे 60 दिनों के भीतर अपने अस्थायी कामगारों का पंजीकरण करवाएं। प्रत्येक पंजीकृत कामगार को एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जिससे वे राज्य की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
आर्थिक सहायता और बीमा लाभ
यह कानून कई प्रकार की वित्तीय सहायता और बीमा सुरक्षा सुनिश्चित करता है:
-
दुर्घटना में मृत्यु पर ₹4 लाख की अनुग्रह राशि
-
प्राकृतिक मृत्यु पर ₹2 लाख की सहायता
-
40%-60% विकलांगता होने पर ₹74,000 से ₹2.5 लाख तक की सहायता
-
महिला कामगारों को मातृत्व लाभ
-
एक सप्ताह से अधिक अस्पताल में भर्ती होने पर ₹16,000, और
-
एक सप्ताह से कम भर्ती रहने पर ₹5,400 की आर्थिक मदद
यह योजनाएं ना केवल सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में कार्यरत लोगों को एक पहचान और सम्मान भी देंगी।
ओवरटाइम सीमा में बढ़ोतरी
इसके साथ ही, कारखाना अधिनियम 1948 में संशोधन कर ओवरटाइम की सीमा को 75 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दिया गया है। हालांकि, इस ओवरटाइम के लिए कर्मचारियों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी। यह संशोधन फैक्ट्री कर्मचारियों के काम और वेतन को लेकर अधिक लचीलापन प्रदान करेगा।
विपक्ष के वॉकआउट के बीच विधेयक पारित
इस सत्र में जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय, बिहार दुकान और प्रतिष्ठान संशोधन, बिहार पशु प्रजनन विनियमन, और बिहार कृषि विश्वविद्यालय संशोधन जैसे कई विधेयक भी पारित हुए। हालांकि, विपक्ष ने इन विधेयकों पर चर्चा से पहले सदन से वॉकआउट कर दिया।
क्यों जरूरी था यह कदम?
आज भारत में लाखों लोग गिग इकॉनमी का हिस्सा हैं—जैसे कि Zomato, Swiggy, Uber, Ola, Urban Company आदि के डिलिवरी ब्वॉय या तकनीकी सेवा प्रदाता। ये लोग बिना किसी स्थायी रोजगार के कार्य करते हैं और उनके पास कोई बीमा, पेंशन, या सामाजिक सुरक्षा नहीं होती। ऐसे में बिहार सरकार का यह कदम एक मॉडल के रूप में उभर सकता है, जिसे अन्य राज्य भी अपनाएं।
निष्कर्ष
बिहार सरकार ने 2025 के मानसून सत्र में जो निर्णय लिए हैं, वह राज्य के लाखों असंगठित, अस्थायी और गिग वर्कर्स के लिए आशा की किरण है। पंजीकरण, यूनिक आईडी, बीमा सहायता और कल्याण बोर्ड जैसी व्यवस्थाएं उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा देंगी। यह भारत में प्लेटफॉर्म आधारित कामगारों को संस्थागत मान्यता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
स्रोत और लिंक: