बिहार में किरायेदारों को भी मिलेगा 125 यूनिट मुफ्त बिजली का लाभ: बिजली क्रांति की ओर एक बड़ा कदम
पटना | जुलाई 2025
बिहार सरकार ने आम नागरिकों के हित में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य में सिर्फ मकान मालिक ही नहीं, बल्कि किरायेदार भी 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना का लाभ उठा सकेंगे। यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा समाज के सभी वर्गों को समान रूप से लाभ पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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🔌 क्या है 125 यूनिट फ्री बिजली योजना?
बिहार सरकार की यह योजना राज्य के हर आम नागरिक को ऊर्जा संकट से राहत दिलाने और बिजली के खर्च को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को हर महीने 125 यूनिट बिजली बिलकुल मुफ्त दी जा रही है। पहले यह योजना केवल मकान मालिकों के लिए थी, लेकिन अब इसमें बदलाव कर किरायेदारों को भी शामिल किया गया है।
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🏠 अब किरायेदार भी होंगे लाभार्थी — कैसे मिलेगा फायदा?
बिजली विभाग के अनुसार, किरायेदारों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी:
1. मकान मालिक के साथ रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) करना अनिवार्य होगा।
2. रेंट एग्रीमेंट में किरायेदार और मकान मालिक दोनों की जानकारी स्पष्ट होनी चाहिए।
3. किरायेदार को आधार कार्ड सहित अपनी पहचान और पते का प्रमाण देना होगा।
4. बिजली विभाग से स्वतंत्र कनेक्शन और मीटर की मांग करनी होगी।
5. नए कनेक्शन के साथ किरायेदार को यूनिक उपभोक्ता संख्या दी जाएगी, जिससे वह योजना का लाभ उठा सकेगा।
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📑 नीति में बदलाव क्यों जरूरी था?
बिहार में शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में लाखों लोग किराये के मकानों में रहते हैं। ऐसे में जब केवल मकान मालिकों को ही इस योजना का लाभ मिल रहा था, तो गरीब और मध्यमवर्गीय किरायेदार वंचित रह जाते थे। यह सामाजिक असमानता उत्पन्न कर रही थी।
बिजली विभाग को कई जनप्रतिनिधियों और नागरिक संगठनों से सुझाव मिले कि किरायेदारों को भी इसमें शामिल किया जाए। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर इस योजना में संशोधन किया गया।
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📉 बिजली विभाग की तैयारी और जागरूकता अभियान
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) ने राज्यभर में जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसके तहत:
जिलों में बिजली कार्यालयों पर विशेष हेल्प डेस्क बनाए गए हैं।
उपभोक्ताओं को सही जानकारी देने के लिए डिजिटल मीडिया और पोस्टर का सहारा लिया जा रहा है।
‘बिजली आपका हक’ अभियान के तहत गांव-गांव में कैम्प लगाकर लोगों को योजना की जानकारी दी जा रही है।
रेंट एग्रीमेंट की निःशुल्क फॉर्मेट भी उपभोक्ताओं को दी जा रही है।
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⚠ क्या हैं योजना के नियम और शर्तें?
1. यह लाभ केवल घरेलू उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।
2. यदि उपभोक्ता हर महीने 125 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करता है, तो अतिरिक्त यूनिट का चार्ज देना होगा।
3. किरायेदार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह एक ही पते पर एक ही समय में दो सब्सिडी न ले रहा हो।
4. फर्जी दस्तावेज़ देने पर कनेक्शन रद्द किया जा सकता है।
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📊 आंकड़ों में योजना की स्थिति
मापदंड आँकड़े
अब तक लाभान्वित उपभोक्ता 1.2 करोड़+
योजना में शामिल शहर 38 जिले
मुफ्त यूनिट सीमा 125 यूनिट प्रति माह
किरायेदारों के लिए अनुमानित नए आवेदन 10 लाख+ (अगले 6 महीने में)
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🧑💼 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
ऊर्जा मामलों के जानकार प्रो. राकेश सिन्हा कहते हैं,
“यह योजना ऊर्जा न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पहली बार सरकार ने यह समझा कि किरायेदार भी एक समान उपभोक्ता हैं और उन्हें भी समान लाभ मिलना चाहिए। इससे बिजली चोरी की घटनाएं भी कम होंगी, क्योंकि लोग अब अपने नाम पर मीटर लगवाने के लिए प्रेरित होंगे।”
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📣 जनता की प्रतिक्रिया
रांची की किरायेदार सुषमा देवी कहती हैं,
“पहले बिल इतना आता था कि आधा पगार बिजली में चला जाता था। अब सरकार से उम्मीद है कि कुछ राहत मिलेगी।”
पटना के मकान मालिक रवि कुमार का कहना है,
“अब किरायेदार खुद अपना मीटर ले सकता है, तो हम पर लोड कम होगा। ये कदम दोनों के लिए फायदेमंद है।”
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🛠 चुनौतियां क्या हैं?
हालांकि योजना सराहनीय है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हैं:
गांवों में अभी भी रेंट एग्रीमेंट की परंपरा नहीं है।
बिजली विभाग में पहले से ही स्टाफ की कमी है।
कुछ मकान मालिक किरायेदारों को स्वतंत्र कनेक्शन देने में सहयोग नहीं करते।
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🔮 अगला कदम क्या हो सकता है?
सरकार आने वाले समय में डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्लेटफॉर्म लांच कर सकती है, जिससे रेंट एग्रीमेंट और बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाए। इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी और भ्रष्टाचार की संभावना भी घटेगी।
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✅ निष्कर्ष
बिहार में किरायेदारों को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का निर्णय एक जनहितकारी और न्यायसंगत पहल है। यह न सिर्फ आर्थिक राहत देगा, बल्कि ऊर्जा के समुचित उपयोग और जवाबदेही को भी बढ़ावा देगा। यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है।