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7 Aug 2025, Thu

बीजापुर मुठभेड़: सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग, एक नक्सली ढेर

बीजापुर मुठभेड़: सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग, एक नक्सली ढेर

बीजापुर मुठभेड़: सुरक्षा बलों ने ढेर किया एक नक्सली, ऑपरेशन अब भी जारी

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई लगातार तेज़ होती जा रही है। 6 अगस्त 2025 को जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के घने जंगलों में डीआरजी (District Reserve Guard) और एसटीएफ (Special Task Force) की संयुक्त टीम ने एक महत्वपूर्ण नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया। इस दौरान सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई, जिसमें अब तक एक नक्सली मारा गया है। घटनास्थल से एक हथियार सहित शव बरामद किया गया है, जबकि इलाके में अब भी फायरिंग जारी है।

ऑपरेशन की पृष्ठभूमि

बीजापुर जिला, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग का हिस्सा है, लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का गढ़ रहा है। खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षाबलों को पता चला कि गंगालूर थाना क्षेत्र के जंगलों में बड़ी संख्या में माओवादी छिपे हुए हैं। इसी जानकारी के आधार पर डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जैसे ही जवान जंगल के भीतर पहुंचे, नक्सलियों ने घात लगाकर फायरिंग शुरू कर दी।

मुठभेड़ में ढेर हुआ नक्सली

पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए बताया कि,

“जंगल के भीतर जारी मुठभेड़ में अब तक एक नक्सली का शव बरामद किया गया है, जिसके पास से हथियार भी मिले हैं। अभी ऑपरेशन जारी है, इसलिए अधिक जानकारी बाद में साझा की जाएगी।”

सूत्रों के अनुसार, जंगल में अभी और नक्सलियों की मौजूदगी है और कई घायल या मारे गए हो सकते हैं, लेकिन घने जंगल और कठिन इलाके के कारण फिलहाल पुष्टि करना कठिन है।

2025 में अब तक 227 नक्सली ढेर

इस ताज़ा कार्रवाई के साथ ही वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या 227 तक पहुंच चुकी है। इनमें से अधिकांश बस्तर संभाग में मारे गए हैं, जो दर्शाता है कि राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा नक्सलवाद पर निर्णायक चोट की जा रही है।

रणनीति में बड़ा बदलाव

बीते कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियान में नई रणनीति अपनाई है:

  • स्थानीय जवानों की तैनाती (जैसे DRG): जो इलाके से परिचित होते हैं

  • ड्रोन और सर्विलांस तकनीक का उपयोग

  • ग्राम स्तर पर खुफिया नेटवर्क मजबूत करना

  • ग्रामीणों के साथ संवाद और विश्वास बहाली

इन सभी उपायों के कारण अब नक्सलियों की गतिविधियां सीमित होती जा रही हैं और उनके ठिकानों तक सुरक्षाबलों की पहुंच आसान हुई है।

ग्रामीणों की सुरक्षा सर्वोपरि

सुरक्षा बलों ने यह सुनिश्चित किया है कि इस अभियान के दौरान स्थानीय ग्रामीणों को कोई नुकसान न हो। गंगालूर और आस-पास के गांवों में अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं और ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

भविष्य की चुनौतियां

हालांकि मुठभेड़ों की संख्या बढ़ी है और नक्सली ढेर हो रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि जंगलों में अब भी कई सक्रिय गुट मौजूद हैं। इन गुटों के पास आधुनिक हथियार, बारूदी सुरंगें और युद्धक रणनीति का अनुभव है। इसीलिए सुरक्षा बलों को हर ऑपरेशन में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है।

सरकार की नीति: नक्सलियों को मुख्यधारा में लाना

छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार दोनों की नीति अब “संवेदनशीलता और सख्ती” की ओर बढ़ रही है। एक ओर जहां नक्सलियों के खिलाफ सशक्त कार्रवाई हो रही है, वहीं दूसरी ओर आत्मसमर्पण नीति के ज़रिए माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने का मौका भी दिया जा रहा है। सैकड़ों नक्सली पिछले वर्षों में हथियार छोड़ चुके हैं, जिन्हें पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया गया।

निष्कर्ष

बीजापुर की यह ताज़ा मुठभेड़ इस बात का संकेत है कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षा बल पूरी ताकत से जुटे हैं। एक ओर माओवादी संगठनों की कमर टूटती जा रही है, वहीं आम जनता में भी अब यह विश्वास पनप रहा है कि विकास और शांति ही स्थायी समाधान है।

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