बैंकों में ₹67,000 करोड़ ‘लावारिस’ राशि जमा: क्या है इसका सच, और कैसे कर सकते हैं दावा?
नई दिल्ली:
भारत सरकार ने हाल ही में लोकसभा में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है – देश के सार्वजनिक और निजी बैंकों में ₹67,000 करोड़ से अधिक की राशि ऐसी पड़ी हुई है, जिसका कोई दावेदार नहीं है। यह वो रकम है जो वर्षों से बैंकों में निष्क्रिय खातों में जमा है, जिन पर न तो कोई लेन-देन हो रहा है और न ही कोई वारिस सामने आया है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जानकारी दी कि 30 जून 2025 तक सार्वजनिक बैंकों से ₹58,330 करोड़ और निजी बैंकों से ₹8,673 करोड़ की राशि डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में ट्रांसफर की जा चुकी है।
🔍 क्या होता है DEA फंड?
डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEA Fund) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित एक फंड है। इसमें वो राशि ट्रांसफर की जाती है जो बैंकों में निष्क्रिय (Inactive) खातों में पड़ी रहती है, और जिसके लिए कोई दावेदार सालों तक सामने नहीं आता। इसमें बचत खाता, चालू खाता, सावधि जमा (Fixed Deposit), डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर, और अन्य प्रकार की जमाएं शामिल होती हैं।
यदि किसी खाते में 10 वर्षों तक कोई लेन-देन नहीं होता और कोई भी व्यक्ति उस राशि पर दावा नहीं करता, तो बैंक उस पैसे को DEA फंड में ट्रांसफर कर देता है।
🏦 किन बैंकों में सबसे ज्यादा ‘लावारिस’ जमा?
सरकारी जानकारी के अनुसार, निम्नलिखित बैंकों में सबसे अधिक राशि लावारिस के रूप में जमा है:
- SBI (भारतीय स्टेट बैंक): ₹19,329 करोड़
- PNB (पंजाब नेशनल बैंक): ₹6,910 करोड़
- Canara Bank: ₹6,278 करोड़
ये तीनों बैंक मिलकर करीब 50% से अधिक ऐसे निष्क्रिय खातों की राशि को दर्शाते हैं।
🧓 क्यों पड़ी रह जाती है ये रकम?
इन खातों की राशि के लावारिस होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- मृत्यु के बाद वारिस द्वारा दावा न करना
- खातेधारक का पता या जानकारी गुम होना
- अविवाहित या एकाकी लोगों के द्वारा जानकारी न छोड़ना
- लोगों द्वारा कई वर्षों तक बैंक में रुचि न दिखाना या खाता भूल जाना
- पुराने बैंक खातों का डिजिटलीकरण न होना
❓ आप कैसे जांच सकते हैं कि कोई राशि आपके नाम पर तो नहीं है?
भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंकों ने इस दिशा में पहल की है ताकि लोगों को उनकी जमा राशि की जानकारी मिल सके। यदि आप शक करते हैं कि आपके किसी परिवारजन या पूर्वज के नाम पर कोई निष्क्रिय खाता हो सकता है, तो आप निम्नलिखित तरीके आजमा सकते हैं:
- RBI UDGAM पोर्टल:
RBI ने UDGAM (Unclaimed Deposits – Gateway to Access Information) पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल के जरिए आप अलग-अलग बैंकों में अपने या अपने परिजनों के नाम से लावारिस रकम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
वेबसाइट: https://udgam.rbi.org.in - बैंक की ब्रांच में संपर्क करें
यदि आपको लगता है कि आपके परिवार का खाता किसी बैंक में निष्क्रिय हो सकता है, तो संबंधित ब्रांच में जाकर Death Certificate, KYC Documents और खाता जानकारी लेकर दावा कर सकते हैं।
📝 दावा कैसे करें?
यदि कोई निष्क्रिय खाता है और उसमें राशि जमा है, तो नीचे दिए गए स्टेप्स का पालन करके आप उसका दावा कर सकते हैं:
- खाताधारक की पहचान प्रमाणित करें – पैन कार्ड, आधार, वोटर आईडी आदि से।
- यदि खाताधारक की मृत्यु हो गई है, तो – Death Certificate और वारिस का प्रमाण पत्र (legal heir certificate या succession certificate) ज़रूरी होगा।
- बैंक में संबंधित फॉर्म भरें और डॉक्युमेंट्स के साथ जमा करें।
- बैंक द्वारा वेरीफिकेशन के बाद राशि आपको ट्रांसफर की जाएगी।
🧠 सरकार की अगली योजना क्या है?
सरकार ने संकेत दिया है कि वो डिजिटल माध्यम से इस प्रक्रिया को और अधिक आसान बनाने की दिशा में काम कर रही है। RBI ने बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे निष्क्रिय खातों की सूची सार्वजनिक करें और वारिसों को सूचित करने के प्रयास बढ़ाएं।
इसके साथ ही जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग अपने पुरखों के पुराने बैंक खातों की जानकारी ढूंढ सकें।
📌 निष्कर्ष
बैंकों में ₹67,000 करोड़ की लावारिस जमा राशि भारत जैसे देश के लिए न केवल वित्तीय संसाधन का बड़ा हिस्सा है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि हम अपने वित्तीय दस्तावेजों को संभाल कर नहीं रख पा रहे हैं।
यदि आपके परिवार में कोई सदस्य पिछले कुछ वर्षों में गुज़र चुका है या किसी का बैंक खाता निष्क्रिय पड़ा है, तो एक बार संबंधित बैंक से संपर्क करके स्थिति की जानकारी ज़रूर लें। हो सकता है उस बैंक खाते में आपकी जानकारी से भी ज्यादा कोई अमूल्य निधि आपका इंतजार कर रही हो।