भारत के लिए तड़प रहा है पाकिस्तान का पूर्व कप्तान, IND vs ENG मैच में तिरंगे से जताया प्रेम
Mushtaq Mohammad Wants to Visit India: तिरंगे वाली टाई पहनकर भारत के प्रति प्यार जताया, अब फिर से जन्मभूमि आने की इच्छा
क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है — यह दिलों को जोड़ने वाली भावना है, और इसका ताजा उदाहरण हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मुश्ताक मोहम्मद। हाल ही में हुए IND vs ENG दूसरे टेस्ट मैच के दौरान जब 81 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर ने भारतीय तिरंगे वाली टाई पहनकर स्टेडियम में एंट्री की, तो यह दृश्य क्रिकेट से परे एक गहरी भावनात्मक कहानी बयां कर गया। जन्म भारत में, जीवन पाकिस्तान में, और अब स्थायी निवास इंग्लैंड में — फिर भी मुश्ताक मोहम्मद का दिल आज भी अपनी जन्मभूमि जूनागढ़ के लिए धड़कता है।
भारत में जन्मे, दिल में तिरंगा लिए
मुश्ताक मोहम्मद का जन्म 1943 में गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। मात्र छह साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ कराची, पाकिस्तान चले गए। पाकिस्तान के लिए 57 टेस्ट मैच खेलने वाले इस पूर्व ऑलराउंडर ने दो बार भारत का दौरा भी किया — पहली बार 1961 में टेस्ट सीरीज के लिए और दूसरी बार 1978 में अहमदाबाद में दिलीप सरदेसाई लाभार्थ मैच के दौरान।
हालांकि दोनों बार वह जूनागढ़ नहीं जा सके, जो उनकी एक अधूरी ख्वाहिश बनकर रह गई है। उन्होंने कहा, “मैंने अहमदाबाद में मैच खेला था, और वहां से मैं ट्रेन से जूनागढ़ जा सकता था, लेकिन कार्यक्रम इतना व्यस्त था कि जाना संभव नहीं हो सका।”
IND vs ENG टेस्ट में भारतीय झंडे के साथ दिखे
2025 में एजबेस्टन में भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन जब मुश्ताक मोहम्मद तिरंगे वाली टाई पहनकर मैदान में पहुंचे, तो कैमरा बार-बार उनकी ओर घूमता रहा। यह कोई फैशन स्टेटमेंट नहीं था, बल्कि उनके दिल की भावना थी। वह उस देश के झंडे को गर्व से पहन रहे थे, जिसे उन्होंने बचपन में छोड़ा था लेकिन दिल से कभी जुदा नहीं किया।
वीज़ा न मिलने के कारण नहीं आ सके शादी में
भारत आने की उनकी कोशिशें यहीं खत्म नहीं हुईं। कुछ साल पहले जब उनके करीबी मित्र बिशन सिंह बेदी की बेटी की शादी थी, तो मुश्ताक उसमें शामिल होना चाहते थे। उन्होंने भारतीय उच्चायोग में वीज़ा के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन समय पर वीज़ा न मिल पाने के कारण वे शादी में नहीं आ सके। यह उनके लिए एक भावनात्मक क्षण था, क्योंकि वह बेदी परिवार के बेहद करीब रहे हैं।
बिशन सिंह बेदी से खास रिश्ता
मुश्ताक मोहम्मद ने लेग स्पिन गेंदबाज बनने का श्रेय खुद बिशन सिंह बेदी को दिया है। उन्होंने बताया कि जब कोई उनकी गेंदबाजी को गंभीरता से नहीं लेता था, तब बेदी ने उन्हें प्रेरित किया। दोनों ने नॉर्थम्पटनशर में साथ क्रिकेट खेला और उनके परिवारों में भी आपसी अपनापन था।
मुश्ताक ने हाल ही में लंदन में बेदी परिवार से मुलाकात की और बिशन सिंह बेदी को याद करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “उन्हें खोना बहुत दुखद है, बस यादें रह जाती हैं।”
भारतीय क्रिकेटरों से आज भी गहरे रिश्ते
मुश्ताक मोहम्मद आज भी कई भारतीय क्रिकेटरों से अच्छे संबंध रखते हैं। एजबेस्टन टेस्ट के दौरान सुनील गावस्कर से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने कहा, “गावस्कर मेरे समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे। उन्होंने वेस्टइंडीज जैसे तेज़ गेंदबाजों के खिलाफ बिना हेलमेट के कई शतक लगाए — यह अविश्वसनीय था।”
कपिल देव जैसे खिलाड़ी भी उनके करीबी मित्रों में रहे हैं। इन संबंधों से पता चलता है कि सीमा रेखाएं सिर्फ नक्शे तक सीमित होती हैं, दिलों में नहीं।
गुजराती से भावनात्मक जुड़ाव
मुश्ताक आज भी गुजराती भाषा को समझते हैं, हालांकि न तो वह उसे बोल सकते हैं और न पढ़ सकते हैं। फिर भी यह भाषा उनके लिए भावनात्मक पुल का काम करती है, जो उन्हें उनके अतीत और जन्मस्थान से जोड़ती है।
भारत आने की अधूरी ख्वाहिश
81 साल की उम्र में मुश्ताक मोहम्मद की अब भी यह इच्छा है कि वे एक बार फिर भारत आएं, खासकर अपने जन्मस्थान जूनागढ़। उन्होंने कहा, “मैं उस जगह जाना चाहता हूं जहां मैं पैदा हुआ था। दुर्भाग्य से, क्रिकेट करियर के दौरान मैं कभी भी जूनागढ़ नहीं जा पाया।”
निष्कर्ष
Mushtaq Mohammad wants to visit India — यह सिर्फ एक हेडलाइन नहीं, बल्कि उस क्रिकेटर की भावनाओं का प्रतीक है जिसने जीवन के अलग-अलग पड़ावों में कई देश देखे, मगर दिल आज भी अपनी जन्मभूमि के लिए धड़कता है। क्रिकेट ने उन्हें भारत से जोड़ा, तिरंगे ने भावनाएं जगाईं, और अब वह सिर्फ एक बार अपनी मिट्टी को छूना चाहते हैं।
इस उम्मीद के साथ कि राजनीति से परे इंसानियत और खेल भावना जीतें, मुश्ताक मोहम्मद की यह इच्छा जरूर पूरी हो — यही हर क्रिकेट प्रेमी की भी ख्वाहिश है