भारत-पाक क्रिकेट विवाद पर संसद में ओवैसी का तीखा सवाल: “पहलगाम पीड़ितों के घर जाकर कहो कि मैच देखो अगर हिम्मत है”
नई दिल्ली | 29 जुलाई 2025
लोकसभा का मानसून सत्र हमेशा से ही राजनीतिक गरमाहट और तीखी बहसों का केंद्र रहा है। इस बार, भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर उठी बहस में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान खासा सुर्खियों में है। उन्होंने सदन में खड़े होकर सरकार से तीखे शब्दों में सवाल किया, “अगर हिम्मत है तो पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों के परिवारों से जाकर कहो कि आप भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखें।”
■ क्या कहा ओवैसी ने लोकसभा में?
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा,
“हम पाकिस्तान से 80% पानी रोक रहे हैं। खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। तो फिर अब ये कौन सी नीति है कि एक तरफ पाकिस्तान से हमारे सैनिक और नागरिक मारे जा रहे हैं, और दूसरी ओर हम क्रिकेट मैच खेल रहे हैं?”
ओवैसी ने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों के परिवारों की पीड़ा की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने सरकार की नीति को असंवेदनशील करार देते हुए कहा कि उनका अंत:करण भारत-पाकिस्तान मैच देखने की इजाज़त नहीं देता।
■ क्यों उठा यह मुद्दा?
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में एक बड़े आतंकी हमले में सुरक्षाबलों और नागरिकों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों पर डाली गई है। इसके तुरंत बाद एशिया कप और आगामी भारत-पाकिस्तान मुकाबलों को लेकर सोशल मीडिया और मीडिया में चर्चा शुरू हो गई कि क्या ऐसे हालातों में भारत को पाकिस्तान से कोई खेल या कूटनीतिक संबंध रखने चाहिए।
इसी पृष्ठभूमि में ओवैसी ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया और सरकार के फैसलों पर नैतिकता और संवेदनशीलता की दृष्टि से सवाल खड़े किए।
■ भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट और राजनीति का टकराव
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट केवल एक खेल नहीं रहा। यह दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों का एक संवेदनशील पहलू बन चुका है। जब-जब सीमा पर तनाव होता है, तब-तब भारत में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का विरोध तेज हो जाता है।
पूर्व में भी उड़ी हमले (2016) और पुलवामा हमले (2019) के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ पर रोक लगा दी थी। हालांकि, ICC टूर्नामेंट्स में दोनों देशों का आमना-सामना होता रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत को पाकिस्तान से खेल या व्यापारिक संबंध रखने चाहिए, जब सीमा पर शहीदों के ताबूत लौट रहे हैं?
■ क्या कहती है सरकार?
अब तक सरकार की ओर से इस विशेष बयान पर कोई सीधा जवाब नहीं आया है, लेकिन केंद्र सरकार ने पहले कहा है कि भारत खेल और राजनीति को अलग रखने की नीति अपनाता है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेना आवश्यक है और यह एक पूर्णत: खेल संस्थाओं का मामला होता है।
इसके विपरीत, ओवैसी का तर्क यह है कि जब पाकिस्तान समर्थित आतंकी भारत में हमला करते हैं, तो ऐसे में कोई भी ‘खेल’ इंसानियत और न्याय के खिलाफ प्रतीत होता है।
■ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
ओवैसी के इस बयान पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं:
🔸 कांग्रेस ने कहा कि ओवैसी का सवाल भावनात्मक रूप से सही हो सकता है, लेकिन इसे संसद में उठाने के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बदलाव की मांग के रूप में पेश करना अधिक उपयुक्त होता।
🔸 बीजेपी नेताओं ने ओवैसी के बयान को ‘राजनीतिक नाटक’ करार दिया। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “भारत की सरकार और सेना देश की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। खेल को आतंकवाद से जोड़ना ओवैसी की राजनीति का हिस्सा है।”
🔸 टीएमसी और आप जैसे विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी से बचना ही उचित समझा।
■ सोशल मीडिया पर जनता की प्रतिक्रिया
इस पूरे मुद्दे ने सोशल मीडिया पर भी गहरी हलचल मचा दी है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #Owaisi और #IndiaVsPakistan ट्रेंड कर रहे हैं। आम जनता में भी राय बंटी हुई है:
- एक वर्ग का कहना है कि ओवैसी की बात तर्कसंगत है और सरकार को शहीदों के परिजनों की भावना का ध्यान रखना चाहिए।
- वहीं, दूसरा वर्ग यह मानता है कि खेल को कूटनीति या आतंकवाद से जोड़ना गलत है और देश को विश्व मंच पर क्रिकेट के जरिए मजबूती से उपस्थित रहना चाहिए।
■ निष्कर्ष: क्या हो भारत की नीति?
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध एक बेहद जटिल और संवेदनशील मसला है। ओवैसी द्वारा उठाए गए सवाल केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और सामूहिक संवेदना का सवाल भी है।
सरकार को चाहिए कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर स्पष्ट और मजबूत नीति अपनाए और यदि देश में शहीदों के लिए सम्मान का भाव है, तो उस भावना को हर क्षेत्र में दिखाया जाना चाहिए — चाहे वो कूटनीति हो, व्यापार हो या खेल।
भारत-पाक क्रिकेट सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गया है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि सरकार और जनता आने वाले समय में क्या दिशा तय करते हैं।