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8 Aug 2025, Fri

योगी आदित्यनाथ ने रचा इतिहास: उत्तर प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले पहले नेता बने

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योगी आदित्यनाथ ने रचा इतिहास: उत्तर प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले पहले नेता बने

लखनऊ | 28 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। 19 मार्च 2017 को शपथ लेने के बाद से अब तक योगी आदित्यनाथ ने 8 साल और 132 दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया है, जो कि अब तक के किसी भी मुख्यमंत्री से अधिक है। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने यूपी के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है, जिन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद को मिलाकर 8 साल और 127 दिन तक प्रदेश की बागडोर संभाली थी।


🧱 योगी का राजनैतिक सफर: गोरखपुर से लखनऊ तक

योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। उत्तराखंड के एक साधारण राजपूत परिवार में जन्मे योगी आदित्यनाथ ने विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की और फिर गोरखनाथ पीठ के महंत बन गए। धार्मिक मंच से राजनीति में प्रवेश कर उन्होंने 1998 में गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने लगातार पांच बार सांसद के रूप में अपनी सीट बचाई।

2017 में जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, तो योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई — यह फैसला चौंकाने वाला जरूर था, लेकिन रणनीतिक रूप से सटीक साबित हुआ।


📈 उपलब्धियां जो उन्हें रिकॉर्डधारी बनाती हैं

योगी आदित्यनाथ के दो कार्यकालों के दौरान प्रदेश में कई क्षेत्रों में सुधार देखने को मिला। कुछ प्रमुख पहलुओं पर नजर डालते हैं:

1. कानून व्यवस्था में सुधार

योगी सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ ‘Zero Tolerance Policy’ अपनाई। एनकाउंटर नीति, गैंगस्टर एक्ट, और संपत्ति कुर्की जैसे कड़े कदमों से अपराध पर लगाम लगाने की कोशिश की गई। यूपी पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से अब तक 10,000 से ज्यादा अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है।

2. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे जैसे परियोजनाएं योगी सरकार की प्राथमिकताओं में रहीं। एयरपोर्ट्स, रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों के आधुनिकीकरण पर भी विशेष ध्यान दिया गया।

3. नौकरियों और निवेश में बढ़ोत्तरी

‘UP Investors Summit’ के जरिए हजारों करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए। इससे MSME सेक्टर को बढ़ावा मिला और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े। ODOP (One District One Product) योजना ने स्थानीय कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचाया।

4. धार्मिक पर्यटन और संस्कृति

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, मथुरा-वृंदावन में विकास योजनाएं— इन सबने योगी की छवि एक “हिंदुत्ववादी प्रशासक” के रूप में और भी मजबूत की।


🏛 पंडित गोविंद बल्लभ पंत का रिकॉर्ड कैसे टूटा?

पंडित गोविंद बल्लभ पंत, जो भारत के पहले गृहमंत्री भी रहे, ने स्वतंत्रता से पहले और बाद मिलाकर कुल 8 साल 127 दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की थी। उनका कार्यकाल 17 जुलाई 1937 से शुरू होकर कई चरणों में चला। उनके कार्यकाल को स्वतंत्र भारत के पहले राजनीतिक ढांचे की नींव रखने वाला माना जाता है।

योगी आदित्यनाथ ने अब इस रिकॉर्ड को पार कर 132 दिन अधिक का कार्यकाल पूरा कर इतिहास रच दिया है।


🗳 2027 की ओर नज़र

अब जब योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड बना चुके हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह 2027 में तीसरी बार भी मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा की ओर से उनके चेहरे को आगे रखे जाने की संभावना प्रबल है, क्योंकि उन्होंने पार्टी की नीतियों को जमीन तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ अब न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहे हैं। पीएम मोदी के बाद भाजपा में उनका नाम अगली पीढ़ी के नेतृत्व के तौर पर देखा जा रहा है।


🗣 विपक्ष का रुख

जहाँ एक ओर भाजपा योगी के कार्यकाल को “सुशासन का उदाहरण” बता रही है, वहीं विपक्ष उन पर “तानाशाही”, “सांप्रदायिक राजनीति”, और “जनविरोधी नीतियों” का आरोप लगाता रहा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों ने योगी सरकार की पुलिस नीति, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों पर कई बार घेरा है।

फिर भी, जनता के बीच उनकी छवि एक सख्त प्रशासक की बनी हुई है, जिसे खासकर ग्रामीण इलाकों और युवाओं से समर्थन मिलता रहा है।


📌 निष्कर्ष

योगी आदित्यनाथ ने यूपी की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। उनकी कार्यशैली, हिंदुत्व की विचारधारा और विकास पर जोर ने उन्हें एक लंबा कार्यकाल दिलाया। यह रिकॉर्ड सिर्फ समय की बात नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस प्रकार एक धार्मिक नेता, एक मजबूत प्रशासक में तब्दील हो सकता है और राजनीति की नई परिभाषाएं गढ़ सकता है।

भविष्य में यह देखना रोचक होगा कि क्या योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय राजनीति में और ऊँचाईयों को छूते हैं, या उत्तर प्रदेश में ही एक और कार्यकाल की ओर बढ़ते हैं।

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