यूपी में ‘सूर्या सखी’ पहल: महिलाएं बनेंगी ग्रामीण सौर ऊर्जा की नई ताकत
उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम “सूर्या सखी” की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण समाज में महिलाओं को ऊर्जा क्रांति का केंद्र बनाना है। अब गांवों में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली और चार्जिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा स्थानीय महिलाओं के हाथों में होगा।
महिलाओं की भूमिका: ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का संगम
“सूर्या सखी” पहल में स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups – SHG) से जुड़ी महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। इन महिलाओं को गांवों में सोलर पैनल, सोलर लाइटिंग सिस्टम और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना, देखभाल और संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे वे न केवल अपने समुदाय के लिए ऊर्जा प्रदाता बनेंगी, बल्कि इस काम से उनकी आय का नया स्रोत भी तैयार होगा।
महिलाओं को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे सोलर उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव का कार्य आत्मनिर्भरता के साथ कर सकें। इस प्रकार, वे केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञ और उद्यमी की भूमिका भी निभाएंगी।
योजना के पीछे का मकसद
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दोहरा है –
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स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा समाधान ग्रामीणों तक पहुंचाना।
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महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करना।
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पारंपरिक बिजली नेटवर्क पहुंचाना कठिन और महंगा है, वहां विकेंद्रीकृत ऊर्जा समाधान के रूप में यह पहल बेहद कारगर साबित हो सकती है। महिलाएं सौर ऊर्जा के माध्यम से गांवों को न केवल रोशन करेंगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगी।
20 जिलों में होगा क्रियान्वयन
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को पहले चरण में 20 जिलों में लागू करने का निर्णय लिया है। इन जिलों में सौर उपकरणों की स्थापना, ईवी चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण और ऊर्जा प्रबंधन का कार्य महिलाओं के जिम्मे होगा। सरकार और विभिन्न सहयोगी संस्थान इस पहल को सफल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि “सूर्या सखी” मॉडल उन इलाकों में विशेष रूप से लाभकारी होगा, जहां बिजली आपूर्ति कमजोर है या फिर बार-बार कटौती होती है। यहां सोलर पैनल और सोलर बैटरी के जरिए घरों, दुकानों और सामुदायिक स्थलों को लगातार बिजली मिल सकेगी।
ग्रामीण परिवारों को लाभ
“सूर्या सखी” पहल से ग्रामीण परिवारों को कई तरह के लाभ होंगे:
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उन्हें सस्ती और भरोसेमंद बिजली मिलेगी।
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ईवी चार्जिंग स्टेशनों से ग्रामीण इलाकों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का उपयोग बढ़ेगा, जिससे परिवहन का खर्च कम होगा और प्रदूषण भी घटेगा।
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महिलाएं स्थानीय स्तर पर ऊर्जा प्रदाता और उद्यमी बनेंगी।
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इससे गांवों में नए रोजगार अवसर पैदा होंगे।
महिलाओं के लिए बड़ा कदम
आजादी के बाद से ग्रामीण भारत में महिलाओं की भूमिका मुख्य रूप से घरेलू कार्यों तक सीमित मानी जाती रही है। लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है। “सूर्या सखी” कार्यक्रम महिलाओं को तकनीकी ज्ञान और व्यवसायिक अवसर देकर उन्हें समाज का नेतृत्व करने वाली शक्ति बना रहा है।
यह योजना महिलाओं को सिर्फ बिजली व्यवस्था संभालने का अधिकार नहीं देती, बल्कि उन्हें यह अहसास भी कराती है कि वे अपने गांव की विकास वाहक बन सकती हैं।
सतत विकास की दिशा में पहल
दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास की चर्चा हो रही है। भारत ने भी 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। ऐसे में “सूर्या सखी” जैसी पहलें इस लक्ष्य की ओर बड़ा कदम साबित हो सकती हैं। यह न केवल ऊर्जा उत्पादन का नया मॉडल है, बल्कि सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता का उदाहरण भी है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश की “सूर्या सखी” पहल एक ऐसा अनूठा प्रयास है जिसमें महिलाएं ग्रामीण भारत की ऊर्जा क्रांति की अगुवाई कर रही हैं। यह योजना महिलाओं के लिए रोजगार, आत्मनिर्भरता और सम्मान का नया द्वार खोल रही है, साथ ही गांवों में सस्ती, स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा भी पहुंचा रही है।
यदि यह मॉडल सफल होता है तो आने वाले समय में यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनेगा। महिलाएं जब गांवों में ऊर्जा समाधान की जिम्मेदारी उठाएंगी, तो न केवल उनकी स्थिति मजबूत होगी, बल्कि ग्रामीण समाज भी और ज्यादा रोशन और आत्मनिर्भर बन सकेगा।
