रांची के सोनाहातू में दर्दनाक हादसा: बारिश से गिरे मकान में दबकर 9 वर्षीय बच्चे की मौत
झारखंड की राजधानी रांची के सोनाहातू प्रखंड से एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। बीती रात, प्रखंड के तेलवाडीह गांव में मूसलधार बारिश के चलते एक जर्जर मकान ढह गया। इस हादसे में 9 साल के मासूम शिवा प्रमाणिक की मलबे में दबकर मौत हो गई। यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और मानसून की तैयारियों की पोल भी खोलती है।
कैसे हुआ हादसा
घटना बीती रात करीब 2 बजे की है, जब शिवा अपने परिवार के साथ घर में सो रहा था। उसी दौरान तेज बारिश के बीच मकान की दीवारें और छत अचानक भरभरा कर गिर गईं। भारी मलबे में दबने के कारण शिवा की मौके पर ही मौत हो गई। परिजन जब तक कुछ समझ पाते, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
शिवा अपने मामा के घर तेलवाडीह गांव में रह रहा था। मूल रूप से वह ईचागढ़ प्रखंड के लेपाटांड़ गांव का निवासी था। बताया जा रहा है कि वह हाल ही में अपने मामा के परिवार के साथ रहने के लिए यहां आया था।
स्थानीय लोगों की तत्परता
हादसे की खबर फैलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। सबसे पहले मुखिया प्रतिनिधि फणी भूषण सिंह मुंडा मौके पर पहुंचे और तत्काल प्रशासन को इसकी सूचना दी। साथ ही गांव वालों ने भी मलबा हटाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बच्चा दम तोड़ चुका था।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही सोनाहातू पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रांची के रिम्स अस्पताल भेज दिया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। अब तक की जानकारी से यह स्पष्ट है कि मकान की हालत पहले से ही बेहद जर्जर थी और लगातार हो रही बारिश ने इसकी नींव को और भी कमजोर कर दिया था।
भारी बारिश बनी आफ़त
झारखंड में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई इलाकों में जलभराव, सड़कें धंसने और मकानों के गिरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। तेलवाडीह गांव की यह घटना भी उसी कड़ी का हिस्सा है, जहां प्राकृतिक आपदा ने एक मासूम की जान ले ली।
बारिश के मौसम में इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं, लेकिन प्रशासन की तैयारी और सतर्कता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई जर्जर मकानों की मरम्मत या पुनर्निर्माण की कोई योजना नहीं दिखाई देती, जिससे ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है।
प्रशासन की जिम्मेदारी और लापरवाही
इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या प्रशासन समय रहते इन जर्जर भवनों को चिन्हित कर उनकी मरम्मत या ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया नहीं कर सकता था? क्या मानसून से पहले ऐसी जगहों का सर्वे नहीं होना चाहिए था?
यदि समय रहते मकान की स्थिति का जायज़ा लिया गया होता, तो शायद आज एक मासूम की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अक्सर ऐसी घटनाओं का शिकार होना पड़ता है, जहां न तो उचित सरकारी योजनाएं पहुँचती हैं, न ही बचाव के पर्याप्त इंतज़ाम होते हैं।
शोक की लहर, जन सहायता की मांग
तेलवाडीह गांव में इस हादसे के बाद मातम पसरा हुआ है। पूरा गांव शिवा के परिजनों के साथ शोक में डूबा है। स्थानीय लोगों ने सरकार से पीड़ित परिवार को उचित मुआवज़ा और सहायता की मांग की है। साथ ही गांव में अन्य जर्जर मकानों की जांच कराने की भी मांग की जा रही है।
क्या होना चाहिए आगे का कदम?
इस हादसे से सीख लेते हुए सरकार और प्रशासन को चाहिए कि:
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ग्रामीण इलाकों में जर्जर मकानों की पहचान कर उन्हें रहने के लायक बनाया जाए या हटाया जाए।
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मानसून से पहले हर गांव में सुरक्षा ऑडिट किया जाए।
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प्रभावित परिवारों को तुरंत मुआवज़ा और पुनर्वास सहायता मिले।
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आपदा प्रबंधन को गांवों तक सशक्त और सक्रिय बनाया जाए।
निष्कर्ष
9 साल का शिवा प्रमाणिक अब इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी मौत हमें एक बड़ा सबक दे गई है। यह हादसा सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता का प्रतीक है। ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जरूरी है कि हम केवल शोक व्यक्त न करें, बल्कि समय रहते सख्त कदम उठाएं।