झारखंड हाईकोर्ट ने पूछा– रांची जिला स्कूल जैसी व्यस्त जगह पर दुर्गापूजा पंडाल की अनुमति कैसे दी गयी?
रांची के अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव जिला स्कूल परिसर में दुर्गापूजा पंडाल बनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है और पूछा है कि आखिर इतनी व्यस्त जगह पर पंडाल लगाने की अनुमति कैसे दी गई? अदालत ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
पत्र से शुरू हुआ मामला
दरअसल, एक नागरिक ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जिला स्कूल, जो शहर के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक है, उसके मैदान में दुर्गापूजा पंडाल बनाने की अनुमति दी गई है। पत्र में कहा गया कि यहां पंडाल बनने से हजारों लोग जुटेंगे, जिससे यातायात बाधित होगा और वाहन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही यह भी चिंता जताई गई कि आयोजन से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया और उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर ऐसी जगह पर आयोजन की इजाजत किस आधार पर दी गई।
कोर्ट की मुख्य आपत्तियाँ
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे:
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इतनी भीड़ वाली जगह पर पंडाल लगाने की अनुमति क्यों दी गई?
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पूजा के दौरान हजारों लोग पहुंचेंगे, तो वाहन पार्किंग कहाँ होगी?
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क्या पंडाल निर्माण और आयोजन से जिला स्कूल के शैक्षणिक कार्य बाधित होंगे?
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को इन सभी बिंदुओं पर शपथ पत्र दाखिल कर विस्तृत जवाब देना होगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 के लिए तय की है।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने अदालत को बताया कि दुर्गापूजा के दौरान हर साल यातायात व्यवस्था में विशेष बदलाव किए जाते हैं। षष्ठी से ही कचहरी रोड, शहीद चौक, अलबर्ट एक्का चौक और मेन रोड के कुछ हिस्सों में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इन इलाकों में केवल पैदल आवाजाही की अनुमति रहती है।
अधिवक्ता ने दलील दी कि जब वाहनों की आवाजाही ही बंद हो जाती है, तो पार्किंग की कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष समिति को पुराने विधानसभा मैदान में पूजा आयोजन की अनुमति दी गई थी।
नागरिकों की चिंता
जिस नागरिक ने यह पत्र लिखा, उसने कहा कि जिला स्कूल शहर के अत्यंत भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित है। यहां पूजा आयोजन से न केवल यातायात प्रभावित होगा बल्कि स्कूल में पढ़ाई भी बाधित होगी। पत्र में यह भी कहा गया कि पंडाल बनाने से स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अदालत की गंभीरता
हाईकोर्ट का इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना यह दर्शाता है कि न्यायपालिका सार्वजनिक हित के सवालों को कितनी गंभीरता से लेती है। धार्मिक आयोजन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका स्थान चयन करते समय आम नागरिकों की सुविधा, यातायात व्यवस्था और बच्चों की शिक्षा जैसे पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आगे क्या?
अब राज्य सरकार को 8 सितंबर तक शपथ पत्र दाखिल कर अदालत को बताना होगा कि पंडाल बनाने की अनुमति किन परिस्थितियों में दी गई और इस आयोजन से जनता की सुविधा एवं शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। अदालत की अगली सुनवाई में यह साफ होगा कि आयोजन समिति को जिला स्कूल मैदान में दुर्गापूजा पंडाल लगाने की इजाजत मिलेगी या फिर सरकार को कोई वैकल्पिक स्थान तलाशना पड़ेगा।