राष्ट्रपति ने राज्यसभा में मनोनीत किए 4 नए चेहरे — न्याय, इतिहास और संस्कृति को मिलेगा नया प्रतिनिधित्व
राज्यसभा में नए नामों की एंट्री: राष्ट्रपति मुर्मू ने उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन समेत चार सदस्यों को किया मनोनीत
भारत की संसद के उच्च सदन, राज्यसभा, में नए मनोनीत सदस्यों की घोषणा हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा की गई। यह नामांकन संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के खंड (3) के अंतर्गत किया गया, जिसमें राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वे कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकें।
इस बार जिन चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा की सदस्यता के लिए मनोनीत किया गया है, वे हैं – प्रसिद्ध सरकारी वकील उज्ज्वल देवराव निकम, वरिष्ठ राजनयिक हर्षवर्धन श्रृंगला, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन, और केरल के सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर। ये नियुक्तियां पूर्व में मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद खाली हुई सीटों को भरने के लिए की गई हैं।
1. उज्ज्वल निकम – कानून के क्षेत्र की दृढ़ आवाज
उज्ज्वल देवराव निकम भारत के सबसे चर्चित और सम्मानित सरकारी वकीलों में से एक हैं। उन्हें विशेष रूप से मुंबई 26/11 आतंकी हमले, प्रसिद्ध यशवंत सोनावणे हत्याकांड, और अबू सलेम के मामलों में सरकार की ओर से वकालत करने के लिए जाना जाता है। वे आतंकवाद और संगठित अपराध के खिलाफ सख्त कानूनी रुख के लिए पहचाने जाते हैं।
2024 के आम चुनावों में भाजपा ने उन्हें मुंबई उत्तर मध्य सीट से अपना उम्मीदवार भी बनाया था। हालांकि वे चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनका कानूनी योगदान और सार्वजनिक छवि उन्हें एक उपयुक्त राज्यसभा सदस्य बनाती है। यह नामांकन न केवल न्यायिक प्रणाली में उनके योगदान की सराहना है, बल्कि यह संसद में कानूनी मामलों की समझ को और गहराई देगा।
2. डॉ. मीनाक्षी जैन – इतिहास की एक निर्भीक व्याख्याता
डॉ. मीनाक्षी जैन एक प्रतिष्ठित इतिहासकार और शिक्षाविद् हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं और लंबे समय से भारतीय इतिहास की वैकल्पिक दृष्टिकोण से व्याख्या करने के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने “राम मंदिर”, “हिंदू सभ्यता”, और मुगल काल जैसे विषयों पर शोध आधारित पुस्तकें लिखी हैं, जो समाज में ऐतिहासिक चेतना को नया दृष्टिकोण देने का कार्य करती हैं। उनका मनोयन यह संकेत देता है कि आने वाले समय में शिक्षा और संस्कृति से जुड़े मुद्दों पर राज्यसभा में अधिक शोधपरक और वैचारिक विमर्श देखने को मिलेगा।
3. हर्षवर्धन श्रृंगला – विदेश नीति के अनुभवी रणनीतिकार
हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं और देश की विदेश नीति को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही है। वे अमेरिका, थाईलैंड और बांग्लादेश में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवा दे चुके हैं।
2023 में, उन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक के रूप में कार्य किया और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। उनके राज्यसभा में आने से यह उम्मीद की जा रही है कि विदेश नीति, कूटनीति और वैश्विक व्यापार से संबंधित विषयों पर गहन और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत होगा।
4. सी. सदानंदन मास्टर – संघर्ष और सेवा की मिसाल
सी. सदानंदन मास्टर केरल के एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व शिक्षक हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे हैं और 2021 में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव भी लड़ा था।
उनका जीवन साहस और संघर्ष की मिसाल है। वर्ष 1994 में, वे राजनीतिक हिंसा का शिकार हुए, जब माकपा कार्यकर्ताओं ने हमले में उनके दोनों पैर काट दिए थे। इसके बावजूद उन्होंने सामाजिक सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान जारी रखा।
उनकी उपस्थिति राज्यसभा में उन लोगों का प्रतिनिधित्व करेगी जो न केवल अपने विचारों के लिए बलिदान देते हैं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का जज्बा भी रखते हैं।
निष्कर्ष: राज्यसभा को मिला विविध अनुभवों का संगम
राष्ट्रपति द्वारा किए गए ये नामांकन इस बात का प्रतीक हैं कि संसद में विभिन्न क्षेत्रों का अनुभव और दृष्टिकोण शामिल किया जाना कितना आवश्यक है। उज्ज्वल निकम का कानूनी अनुभव, मीनाक्षी जैन की ऐतिहासिक दृष्टि, श्रृंगला की कूटनीतिक समझ और सदानंदन मास्टर की सामाजिक प्रतिबद्धता – ये सभी राज्यसभा में गंभीर, गहन और देशहित से जुड़े विमर्श को नया आयाम देंगे।
इन नामों से स्पष्ट है कि भारत का लोकतंत्र न केवल जनप्रतिनिधियों से, बल्कि समाज के उन नायकों से भी समृद्ध होता है जो अपने-अपने क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान देते हैं।