Rahul Gandhi Shares Votes Stolen Proof: ‘वोट चोरी’ के दावे पर शशि थरूर का समर्थन, चुनाव आयोग से तत्काल कार्रवाई की अपील
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा हाल ही में लगाए गए ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोप पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने खुलकर समर्थन जताया है। थरूर ने इसे “बेहद गंभीर सवाल” बताते हुए निर्वाचन आयोग (ECI) से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की विश्वसनीयता को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
राहुल गांधी का आरोप — “1 लाख से ज्यादा वोट चोरी”
गुरुवार को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि यहां 1,00,250 वोट चोरी किए गए, जबकि पिछले चुनाव में यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 32,707 वोटों के अंतर से जीती थी।
राहुल गांधी ने मीडिया के सामने मतदाता सूची से संबंधित दस्तावेज और आंकड़े भी पेश किए, जिन्हें उन्होंने अपने “सबूत” बताया। उनका कहना था कि यह केवल एक विधानसभा क्षेत्र का मामला नहीं है, बल्कि व्यापक स्तर पर मतदाता सूची में हेरफेर हो रहा है।
शशि थरूर का समर्थन और संदेश
राहुल गांधी के आरोपों के बाद शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कांग्रेस का पोस्ट शेयर करते हुए लिखा:
“ये ऐसे गंभीर सवाल हैं जिनका समाधान सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं के हित में जरूरी है। हमारा लोकतंत्र बहुत मूल्यवान है और इसकी विश्वसनीयता को न तो अक्षमता, न लापरवाही और न ही जानबूझकर की गई छेड़छाड़ से कमजोर होने देना चाहिए। इस मामले पर पारदर्शी और ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि जनता का भरोसा कायम रहे।”
थरूर ने यह भी जोड़ा कि निर्वाचन आयोग को तत्काल कदम उठाना चाहिए और अपने प्रवक्ता के माध्यम से देश को समय-समय पर इसकी जानकारी देनी चाहिए।
राजनीतिक महत्व — लंबे समय बाद राहुल के साथ थरूर
कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में थरूर को कई बार “अलग सोच” रखने वाले नेता के रूप में देखा गया है, लेकिन लंबे समय बाद उन्होंने राहुल गांधी के किसी बड़े आरोप का इतना स्पष्ट समर्थन किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर का यह कदम पार्टी के भीतर एकजुटता का संकेत भी है, खासकर चुनावी पारदर्शिता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर।
सत्तापक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रियाएँ
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सत्तापक्ष (BJP) ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह जनता को गुमराह करने की कोशिश है।
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कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची में छेड़छाड़ लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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कुछ चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राहुल गांधी के पेश किए गए दस्तावेज़ सही साबित होते हैं, तो यह मामला देशभर की चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर सकता है।
‘वोट अधिकार रैली’ — राहुल गांधी का अगला कदम
राहुल गांधी ने घोषणा की है कि वे इस मुद्दे पर बेंगलुरु में ‘वोट अधिकार रैली’ करेंगे। यह रैली शुक्रवार को फ्रीडम पार्क में आयोजित होगी, जिसमें कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उप मुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला, राज्य सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
राहुल गांधी का कहना है कि यह रैली सिर्फ महादेवपुरा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मतदाताओं के अधिकार की लड़ाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में धांधली लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मूल ढांचे को कमजोर करती है और अगर इस पर रोक नहीं लगी, तो यह चुनावी प्रणाली में जनता का भरोसा खत्म कर सकती है।
निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल
शशि थरूर और राहुल गांधी, दोनों ने ही अपने बयानों में निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी पर जोर दिया है। थरूर ने कहा कि आयोग को पारदर्शी जांच करनी चाहिए और जनता को बताना चाहिए कि आरोपों पर क्या कार्रवाई हुई। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ECI और BJP के बीच मिलीभगत है, हालांकि आयोग की ओर से अभी तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
चुनावी पारदर्शिता पर बढ़ती बहस
यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब देश में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ तेज हो रही हैं। चुनावी पारदर्शिता, EVM की विश्वसनीयता, और मतदाता सूची की शुद्धता जैसे मुद्दे पहले से ही राजनीतिक बहस का हिस्सा बने हुए हैं। राहुल गांधी का यह आरोप और थरूर का समर्थन इन चर्चाओं को और तेज कर सकता है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के दावे और शशि थरूर के स्पष्ट समर्थन ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है। एक तरफ कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बता रही है, वहीं बीजेपी इसे चुनावी रणनीति के तहत किया गया प्रोपेगैंडा कह रही है।
आगामी दिनों में इस मामले पर निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया और जांच की दिशा तय करेगी कि यह मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी रह जाएगा या फिर देश की चुनावी प्रणाली में बड़े बदलाव की शुरुआत बनेगा।