शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से टूटा परिवार – पत्नी, पुत्र और पुत्री की व्यथा
झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का असमय निधन पूरे राज्य के लिए गहरा सदमा है। लेकिन इस दुख ने सबसे ज़्यादा उनकी पत्नी, बच्चों और परिवार को तोड़ कर रख दिया है। जीवनसाथी और पिता का सहारा अचानक छिन जाने से परिवार गहरे शोक में है।
पत्नी सूरजमनी सोरेन का दर्द
रामदास सोरेन की पत्नी सूरजमनी सोरेन अपने जीवनसाथी को खोने के बाद लगातार आंसू बहा रही हैं। वे कहती हैं –
“वे जब भी कहीं जाते थे तो बताकर ही जाते थे और लौटकर आते थे। इस बार वे बिना बताए चले गए और लौटकर भी नहीं आए…”।
पत्नी के इस कथन से उनके भीतर का गहरा दर्द और असहायता झलकती है। उनके लिए यह सिर्फ पति का जाना नहीं, बल्कि जीवन भर के साथी का बिछड़ना है। घर पर रिश्तेदार और पड़ोसी लगातार सांत्वना देने पहुँच रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
पुत्री रेणु सोरेन की भावनाएँ
शिक्षा मंत्री की पुत्री रेणु सोरेन ने भी अपने पिता की यादों को साझा करते हुए कहा कि वे हमेशा एक अच्छे पिता के रूप में परिवार के साथ खड़े रहे।
उनके शब्द थे –
“बाबा भले ही शिक्षा मंत्री हों, लेकिन उन्होंने मुझ पर कभी पढ़ाई-लिखाई का दबाव नहीं डाला। हमेशा मेरे कामों को सराहा और समर्थन किया। वे चाहते थे कि हर किसी को अपनी इच्छा के अनुसार भविष्य संवारने का अवसर मिलना चाहिए। बाबा घर और बाहर के जीवन में संतुलन बनाकर चलते थे। बाहर की परेशानियाँ वे कभी घर नहीं लाते थे और परिवार में एक स्नेही पिता बनकर रहते थे।”
रेणु के शब्द यह स्पष्ट करते हैं कि रामदास सोरेन सिर्फ एक मंत्री ही नहीं, बल्कि एक आदर्श पिता भी थे। परिवार को सबसे ज़्यादा उनकी वही आदत याद आ रही है कि वे कभी भी घर की खुशियों को बाहरी समस्याओं से प्रभावित नहीं होने देते थे।
पुत्र सोमेश सोरेन का संकल्प
रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन पिता का श्राद्धकर्म संथाली परंपराओं के अनुसार कर रहे हैं। वे भावुक होकर कहते हैं –
“बाबा बहुत ही मिलनसार इंसान थे। इसी कारण समाज के लोग उन्हें बहुत पसंद करते थे। उनका यूं जाना बेहद पीड़ादायक है। बाबा ने हमें जो राह दिखाई है, मैं उसी पर चलने की कोशिश करूंगा।”
सोमेश ने यह भी भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन घोड़ाबांधा आवास पर उनके परिवार से मिलने अवश्य आएंगे। गौरतलब है कि श्राद्धकर्म के चलते मुख्यमंत्री अभी श्रद्धांजलि देने नहीं पहुँच पाए थे।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
रामदास सोरेन का जाना केवल राजनीतिक जगत के लिए क्षति नहीं है, बल्कि उनके परिवार के लिए यह सबसे बड़ा व्यक्तिगत आघात है। पत्नी, पुत्र और पुत्री की बातें इस पीड़ा को और गहराई से समझाती हैं।
जहाँ एक ओर पत्नी सूरजमनी का दर्द यह है कि जीवनसाथी बिना बताए सदा के लिए चले गए, वहीं पुत्री रेणु को पिता की वह मुस्कुराहट और सरल स्वभाव याद आ रहा है, जिसने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। पुत्र सोमेश अपने पिता के दिखाए रास्ते पर चलने का संकल्प ले चुके हैं।
एक संवेदनशील और मिलनसार नेता
रामदास सोरेन अपनी सादगी और मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते थे। मंत्री रहते हुए भी उन्होंने कभी अपने परिवार को दबाव में नहीं रखा और समाज के हर तबके के लोगों से जुड़े रहे। यही कारण है कि उनके जाने से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा समाज दुखी है।
निष्कर्ष
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार की व्यथा इस बात की गवाही देती है कि वे एक सच्चे जीवनसाथी, आदर्श पिता और जिम्मेदार नेता थे।
पत्नी सूरजमनी की असहायता, पुत्री रेणु की भावनाएँ और पुत्र सोमेश का संकल्प – ये सभी इस बात को दर्शाते हैं कि उनकी विरासत सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं थी, बल्कि परिवार और समाज के दिलों में भी गहराई तक बसी हुई थी।
रामदास सोरेन की स्मृतियाँ हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी। वे अपने कार्यों और व्यक्तित्व के जरिए झारखंड की राजनीति और समाज में हमेशा याद किए जाएंगे।