श्रद्धा या चमत्कार? पहाड़ी मंदिर में पैसों की बहार, गिनती तक श्रद्धालुओं की एंट्री बंद
पहाड़ी मंदिर के दानपात्रों से निकली श्रद्धा की मिसाल: ₹8.94 लाख की नकदी और कीमती चढ़ावे, जीर्णोद्धार के चलते मंदिर अस्थायी रूप से बंद
राजधानी रांची स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर एक बार फिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बन गया, जब रविवार को मंदिर के दानपात्र खोले गए और उनमें से ₹8,94,545 की राशि प्राप्त हुई। श्रद्धा से भरे इन दानपात्रों में न केवल नकदी मिली, बल्कि कीमती वस्तुएं भी मिलीं, जो भक्तों की भक्ति और मंदिर के प्रति अटूट विश्वास का प्रमाण हैं।
📿 दानपात्रों की गिनती प्रशासनिक निगरानी में हुई
एसडीओ सदर उत्कर्ष कुमार के निर्देश पर रविवार को पहाड़ी मंदिर के सभी दानपात्र खोले गए। पूरी प्रक्रिया दंडाधिकारी नंदेश्वर दास की निगरानी में पारदर्शी तरीके से संपन्न हुई। गिनती के दौरान मंदिर समिति के सदस्य, कोषाध्यक्ष और कई श्रद्धालु भी उपस्थित रहे, जिससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रही।
प्राप्त राशि में ₹7,92,545 नकद नोट के रूप में और ₹1,02,000 सिक्कों के रूप में शामिल थे। यह आंकड़ा न सिर्फ भक्ति का, बल्कि मंदिर के सामाजिक और धार्मिक महत्व का भी प्रतीक है।
💎 मिले कई बहुमूल्य चढ़ावे और धार्मिक प्रतीक
नकद राशि के अलावा गिनती के दौरान दानपात्रों से कुछ कीमती वस्तुएं भी प्राप्त हुईं, जिनमें शामिल हैं:
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दो सफेद धातु के सिक्के
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तीन बिछिया (महिलाओं के पैर में पहनने की अंगूठी)
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एक नेत्र (धार्मिक प्रतीक)
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दो नाग (शिव से संबंधित प्रतीक)
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पीली धातु की एक कनबाली और एक नथुनी
ये वस्तुएं न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि श्रद्धालु अपने जीवन की प्रियतम वस्तुएं भी ईश्वर को अर्पित करने से पीछे नहीं हटते।
🛕 मंदिर रहेगा दो दिन बंद — सोमवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं की एंट्री नहीं
मंदिर समिति ने जानकारी दी है कि मुख्य मंदिर में जीर्णोद्धार कार्य के कारण मंदिर को सोमवार और मंगलवार (दो दिन) के लिए आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। यह निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया है ताकि निर्माण कार्य बाधित न हो और किसी भी दुर्घटना की आशंका से बचा जा सके।
💧 भक्तों के लिए जलार्पण की वैकल्पिक व्यवस्था
मंदिर बंद होने के बावजूद, भक्तों की भावना का ध्यान रखते हुए एक विशेष व्यवस्था की गई है। पहाड़ी बाबा पर जल चढ़ाने की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए मंदिर परिसर के बाहर ड्रम रखा गया है, जिसमें श्रद्धालु जल अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद पुजारियों द्वारा उसी जल को शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा।
यह व्यवस्था उन श्रद्धालुओं के लिए खास है जो सावन के पावन महीने में पहाड़ी बाबा को जल चढ़ाने का विशेष महत्व मानते हैं।
👥 समिति और स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता की सराहना
गिनती की पूरी प्रक्रिया में मंदिर समिति के सदस्य जैसे कोषाध्यक्ष कृष्ण कन्हैया, राजेश गाड़ोदिया, मदन लाल पारीक, सुनील माथुर, सुशील लाल, कैलाश राय सहित अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद रहे। सभी ने प्रक्रिया की निगरानी कर यह सुनिश्चित किया कि कोई अनियमितता न हो और हर अर्पण का सही उपयोग हो सके।
🌿 पहाड़ी मंदिर: भक्ति, आस्था और संस्कृति का केंद्र
रांची का यह पहाड़ी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि राजधानी के लोगों की आस्था और आत्मिक शांति का प्रमुख केंद्र है। यहाँ आने वाले हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर बाबा को जल चढ़ाते हैं और मन्नतें मांगते हैं। यहां से प्राप्त दानराशि का उपयोग मंदिर के रख-रखाव, जनसेवा और विकास कार्यों में किया जाता है।
✍️ निष्कर्ष:
पहाड़ी मंदिर के दानपात्र से निकली यह राशि और वस्तुएं यह बताती हैं कि आस्था अभी भी जीवित है, और श्रद्धालु अपने ईश्वर के लिए निःस्वार्थ समर्पण करने को तैयार हैं। मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य और पारदर्शी दान गिनती प्रक्रिया यह भरोसा जगाती है कि ऐसे धार्मिक स्थल समाज को जोड़ने और संवारने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।