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22 Jul 2025, Tue

श्रावणी मेले में खुलेआम बिक रहा गांजा और चिलम, प्रशासन की सख्ती नाकाम

श्रावणी मेला 2025

श्रावणी मेला 2025: प्रशासन के आदेशों की अनदेखी, खुलेआम बिक रहा गांजा, चिलम और तंबाकू

देवघर में आयोजित राजकीय श्रावणी मेला 2025 एक पवित्र अवसर है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और कांवरिया देशभर से भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह मेला केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन इस बार यह मेला चर्चा में है प्रशासनिक आदेशों की खुली अनदेखी और मेला क्षेत्र में खुलेआम बिकते नशीले पदार्थों के कारण।

तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित, फिर भी नशे का धंधा जारी

देवघर जिला प्रशासन द्वारा श्रावणी मेला क्षेत्र को गैर-धूम्रपान क्षेत्र और तंबाकू मुक्त जोन घोषित किया गया है। यह आदेश कोटपा (COTPA), 2003 के अंतर्गत लिया गया है, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना कानूनन अपराध है। इसके बावजूद मेला क्षेत्र में खुलेआम गांजा, चिलम और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री हो रही है।

कोटपा अधिनियम 2003 के बारे में अधिक जानें

आदेशों की उड़ रही धज्जियां

प्रशासन ने मेला शुरू होने से पहले स्पष्ट निर्देश जारी किये थे कि मेला परिसर में कोई भी दुकानदार तंबाकू उत्पाद नहीं बेचेगा और धूम्रपान पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा। इसके बावजूद शिवगंगा के पास श्मशान घाट गेट से भुरभुरा जाने वाले रास्ते पर कई दुकानदार खुलेआम चिलम, तंबाकू और गांजा बेचते नजर आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, गांजा को छिपाकर पॉकेट में रखा जाता है और इसे ₹50 से ₹200 तक में बेचा जा रहा है।

इन दुकानों के आसपास अक्सर कांवरियों की भीड़ भी देखी जाती है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि नशा केवल छुप-छुपाकर नहीं बल्कि एक प्रकार से ‘स्वीकृत’ रूप में बेचा जा रहा है।

दुम्मा से कांवरिया पथ तक फैला नशे का नेटवर्क

दुम्मा से लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम तक फैले कांवरिया पथ में भी यही स्थिति देखी जा रही है। जगह-जगह गांजा, चिलम और तंबाकू उत्पाद चोरी-छिपे बेचे जा रहे हैं। कई दुकानदार तो इन उत्पादों को खुलेआम टांग कर बिक्री कर रहे हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि प्रशासनिक निगरानी या तो नाकाफी है या फिर मौजूद ही नहीं।

आमजन की सेहत और मेला की पवित्रता पर संकट

श्रावणी मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सांस्कृतिक पवित्रता से भी जुड़ा है। ऐसे में नशीले पदार्थों की खुली बिक्री से न केवल मेला की पवित्रता पर आंच आ रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की सेहत भी खतरे में पड़ रही है। विशेष रूप से जब हजारों युवा कांवरियों की भागीदारी होती है, तब ऐसे माहौल का असर उनके व्यवहार और स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से पड़ सकता है।

प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल

प्रशासन द्वारा नियम तो बना दिए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर अनुपालन में भारी कमी देखी जा रही है। सवाल उठता है – क्या केवल आदेश जारी कर देने से ही प्रशासन का दायित्व पूरा हो जाता है? जब तक इन आदेशों पर सख्ती से अमल नहीं होता, तब तक ऐसे पवित्र आयोजनों को दूषित होने से नहीं रोका जा सकता।

क्या करें प्रशासन?

  • सर्विलांस और पेट्रोलिंग टीमों को अधिक सक्रिय किया जाए।

  • तंबाकू बेचने वालों पर तुरंत जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाए।

  • CCTV कैमरों की मदद से निगरानी की जाए।

  • श्रद्धालुओं में जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि वे खुद भी ऐसे कृत्यों का विरोध कर सकें।

स्वास्थ्य मंत्रालय का तंबाकू नियंत्रण पोर्टल देखें

निष्कर्ष

श्रावणी मेला जैसे आयोजन केवल धार्मिक आस्था से नहीं, बल्कि नैतिकता, अनुशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ भी जुड़े होते हैं। यदि हम ऐसे मेलों को नशे की गिरफ्त से नहीं बचा सके, तो यह हमारी सामाजिक और प्रशासनिक विफलता होगी। समय आ गया है कि जिला प्रशासन सख्ती दिखाए और इस पवित्र आयोजन को फिर से उसकी गरिमा लौटाए।


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