Parliament Monsoon Session: ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में गरमाई बहस, आज अमित शाह देंगे जवाब
संसद का मानसून सत्र इस समय पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे गंभीर मुद्दों की ओर केंद्रित है। सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहुप्रतीक्षित चर्चा की शुरुआत हुई, जो मंगलवार को भी जारी रही। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच इस मुद्दे पर सदन को संबोधित करेंगे, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव दोपहर 3 बजे अपनी बात रखेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में माहौल बेहद गंभीर और राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है। पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है, जहाँ सरकार इसे एक “रणनीतिक सफलता” बता रही है, वहीं विपक्ष इससे जुड़ी पारदर्शिता, तथ्यों और परिणामों पर सवाल उठा रहा है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर एक गुप्त सुरक्षा मिशन था, जिसे भारत सरकार ने हाल ही में अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक सीमावर्ती क्षेत्र में घुसपैठ कर आतंकवादियों के एक नेटवर्क को ध्वस्त किया और कुछ भारतीय नागरिकों को विदेशी सरजमीं से सुरक्षित भारत लाया गया।
हालाँकि सरकार ने इस ऑपरेशन की पूरी जानकारी गोपनीय रखते हुए सीमित ब्रीफिंग दी है, लेकिन इसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई दी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई को समर्थन दिया।
जयशंकर का बयान: सिर्फ तीन देशों ने विरोध किया
सोमवार को हुई चर्चा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में कई अहम खुलासे किए। उन्होंने कहा:
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केवल तीन देशों ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया।
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संयुक्त राष्ट्र में 193 देशों में से 190 ने भारत के रुख को समर्थन दिया।
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23 अप्रैल को भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का निर्णय लिया।
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अटारी चेकपोस्ट बंद किया गया और पाकिस्तान के रक्षा प्रतिनिधि को देश से बाहर भेजा गया।
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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया गया।
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के प्रस्ताव के संबंध में अमेरिका से किसी प्रकार की कॉल नहीं आयी थी और प्रधानमंत्री मोदी तथा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच इस मुद्दे पर कोई वार्ता नहीं हुई।
विपक्ष का रुख: तीखे सवाल और आलोचना
विपक्षी दलों ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई सवाल खड़े किए। कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने ऑपरेशन को “सिर्फ एक तमाशा” करार दिया और पूछा कि आखिर कितने आतंकियों को गिरफ्तार किया गया? वहीं सप्तागिरि शंकर उलाका ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद उम्मीद थी कि पीएम घटनास्थल जाएंगे, लेकिन वे बिहार चले गए।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भारत-पाकिस्तान के बीच हो रहे क्रिकेट मैचों पर सवाल उठाते हुए कहा,
“जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते, तो फिर पाकिस्तान से व्यापार बंद करने के बावजूद क्रिकेट मैच कैसे चल रहे हैं?”
सरकार का पलटवार: ‘अब डोजियर नहीं, डोज़ मिलेगा’
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि आज का भारत कमजोर नहीं है।
“अब भारत डोजियर नहीं देगा, डोज़ देगा — यह है नया भारत।”
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन अमेरिका के दबाव में नहीं, बल्कि पाकिस्तान के “घुटने टेकने” के बाद रोका। उन्होंने विपक्ष पर सेना और सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ नेता आज भी राष्ट्रीय हित से ऊपर राजनीति को रख रहे हैं।
राज्यसभा में उठा SIR अभियान का मुद्दा
संसद में चल रही सुरक्षा बहसों के बीच कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों ने बिहार में चल रहे SIR (Special Identification and Revision) मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर भी विशेष चर्चा की मांग की है। सांसद सैयद नसीर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, अशोक सिंह, रंजीत रंजन समेत कई नेताओं ने नियम 267 के तहत कार्य स्थगन नोटिस दिया है।
कांग्रेस का आरोप है कि बिहार में यह अभियान राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसके माध्यम से मतदाता सूची में हेरफेर की कोशिश की जा रही है।
शाह का आज का संबोधन: विपक्ष की टोकाटाकी पर तीखी प्रतिक्रिया संभव
लोकसभा में चर्चा के दौरान यह देखने को मिला कि जैसे ही सरकार के मंत्री अपनी बात रखते हैं, विपक्ष की ओर से बार-बार टोकाटाकी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
उनका संबोधन दोपहर 12 से 1 बजे के बीच होगा, जिसमें वे ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति, सफलताएं, और अंतरराष्ट्रीय असर पर विस्तार से जानकारी दे सकते हैं। साथ ही वह विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब भी दे सकते हैं।
निष्कर्ष: संसद का सत्र, सुरक्षा की कसौटी
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चल रही बहस न केवल भारत की सैन्य रणनीति, बल्कि उसकी विदेश नीति, कूटनीतिक दृष्टिकोण और आतंरिक राजनीतिक विमर्श को भी सामने ला रही है।
इस बहस के केंद्र में वो सवाल हैं जो हर भारतीय नागरिक के मन में उठते हैं — क्या हमारी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पारदर्शी है? क्या राजनीतिक लाभ के लिए सुरक्षा अभियानों को “इवेंट” बना दिया गया है? या क्या यह वास्तव में भारत की नई रणनीतिक शक्ति का प्रतीक है?
इन सभी सवालों के जवाब आज लोकसभा में अमित शाह के संबोधन से मिल सकते हैं।