बिहार सरकार का बड़ा फैसला: सभी सरकारी विभागों की होगी साइबर ऑडिट, EOU को मिली जिम्मेदारी
पटना: डिजिटल युग में जहां एक ओर ऑनलाइन सेवाएं जीवन को आसान बना रही हैं, वहीं दूसरी ओर साइबर हमले और डेटा चोरी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसी खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने सभी सरकारी विभागों, वेबसाइटों और संस्थानों की साइबर सुरक्षा की जांच (Cyber Audit) कराने का फैसला लिया है। यह एक अहम कदम है जो राज्य की डिजिटल प्रणाली को मजबूत और सुरक्षित बनाने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
क्यों पड़ी जरूरत?
हाल के दिनों में बिहार की कई अहम वेबसाइटों जैसे जल आपूर्ति विभाग, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और कुछ नगर निगम पोर्टल्स पर साइबर अटैक हुए हैं। इन हमलों के बाद सरकारी तंत्र में खलबली मच गई थी। कहीं से डेटा चोरी, तो कहीं वेबसाइट ठप होने जैसी समस्याएं सामने आईं। ऐसे में यह तय हो गया कि सरकारी सिस्टम को साइबर सुरक्षा के लिहाज़ से पुनः जांचने और मजबूत करने की जरूरत है।
आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को सौंपी गई जिम्मेदारी
सरकार ने इस व्यापक साइबर ऑडिट की ज़िम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offences Unit – EOU) को दी है। यह ईकाई अब हर विभाग, संस्था और सरकारी दफ्तर की वेबसाइट, ऑनलाइन सेवा और डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा का आकलन करेगी। जहां भी खामियां मिलेंगी, वहां त्वरित सुधार की कार्रवाई की जाएगी।
👉 EOU के बारे में विस्तार से जानें (बिहार पुलिस आधिकारिक वेबसाइट)
क्या होता है साइबर ऑडिट?
साइबर ऑडिट का मतलब है — सभी डिजिटल प्रणाली, वेबसाइट और डाटा स्टोरेज को स्कैन कर उनकी सुरक्षा की जांच करना। इसमें यह देखा जाता है कि कोई तकनीकी कमजोरी तो नहीं है, पासवर्ड नीति मजबूत है या नहीं, फायरवॉल और एंटीवायरस पर्याप्त हैं या नहीं। ऑडिट के बाद सुरक्षा उपायों को अपडेट किया जाता है।
कौन-कौन सी एजेंसियां जुड़ेंगी?
बिहार सरकार के इस मिशन में केंद्रीय तकनीकी एजेंसियों का भी सहयोग रहेगा:
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C-DAC (Centre for Development of Advanced Computing)
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I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre)
इन संस्थाओं की मदद से EOU हर सरकारी डिजिटल सिस्टम की गहराई से तकनीकी समीक्षा करेगी।
👉 C-DAC के बारे में जानकारी
👉 I4C पर पढ़ें सरकारी जानकारी (MHA)
क्या है आगे की रणनीति?
EOU के एडीजी नैयर हसनैन खान ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार अब साइबर सुरक्षा को हल्के में नहीं लेगी। डिजिटल फ्रॉड और डेटा ब्रीच पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। हर सरकारी वेबसाइट का ऑडिट होगा और साइबर ठगों पर भी लगातार नज़र रखी जा रही है।
लाभ क्या होंगे?
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डेटा लीक की घटनाएं कम होंगी
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राज्य की डिजिटल छवि मजबूत होगी
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सरकारी सेवाओं में भरोसा बढ़ेगा
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फर्जीवाड़े और हैकिंग की रोकथाम होगी
आम नागरिकों को क्या करना चाहिए?
सिर्फ सरकार ही नहीं, आम नागरिकों को भी सतर्क रहना होगा:
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अपने मोबाइल और कंप्यूटर में एंटीवायरस रखें
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फर्जी कॉल या ईमेल से बचें
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सरकारी साइट पर जानकारी देते वक्त वेबसाइट का URL जरूर जांचें
👉 बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर अधिक जानकारी प्राप्त करें।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार का यह फैसला न केवल आवश्यक है, बल्कि समय की मांग भी है। जब सरकारी डाटा पर लगातार खतरा मंडरा रहा हो, तो एक कड़े साइबर ऑडिट के ज़रिए सिस्टम को सुरक्षा कवच देना बेहद जरूरी हो जाता है। आने वाले दिनों में यह कदम राज्य को साइबर अपराध से लड़ने के लिए सक्षम बनाएगा और डिजिटल ट्रस्ट को और भी मजबूत करेगा।