Breaking
22 Jul 2025, Tue

14 देशों पर ट्रंप का टैक्स हमला, लेकिन भारत को दिया व्यापार समझौते का संकेत

14 देशों पर ट्रंप का टैक्स हमला, लेकिन भारत को दिया व्यापार समझौते का संकेत

14 देशों पर ट्रंप का टैक्स हमला, लेकिन भारत को दिया व्यापार समझौते का संकेत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी आक्रामक व्यापार नीति का परिचय देते हुए 14 देशों पर भारी आयात शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले से म्यांमार, लाओस, दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को बड़ा झटका लगा है। ट्रंप प्रशासन का यह निर्णय 1 अगस्त 2025 से लागू होगा और इसका वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर पड़ सकता है।

14 देशों पर लगा टैरिफ बम

ट्रंप ने साफ किया है कि जिन देशों के साथ व्यापार समझौते पर सहमति नहीं बन पाई, उन पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाया जा रहा है। म्यांमार और लाओस पर सबसे अधिक—40% तक—का टैरिफ लगाया गया है। इन टैरिफ के तहत अमेरिका ने दक्षिण कोरिया, जापान, मलेशिया, कजाकिस्तान, थाईलैंड, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को नोटिस भेज दिए हैं। इन देशों को बताया गया है कि 1 अगस्त से अमेरिका में उनके उत्पादों पर नई दरों से शुल्क वसूला जाएगा।

“डील नहीं तो टैरिफ”

ट्रंप का यह फैसला उस नीति का हिस्सा है जिसमें अमेरिका ‘अमेरिका फर्स्ट’ के एजेंडे पर चलते हुए व्यापारिक लाभ को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा, “जिन देशों से हमारी डील नहीं हो सकी, उन्हें हमने सीधा पत्र भेज दिया है कि उन्हें अब कितना टैक्स देना होगा। हम अब अमेरिका के लिए फेयर डील चाहते हैं।”

हालांकि, ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि अमेरिका कुछ मामलों में टैरिफ में राहत देने पर विचार कर सकता है। “अगर किसी देश के पास ठोस कारण हैं और वे हमें समझा पाते हैं, तो हम टैरिफ में कुछ राहत दे सकते हैं। लेकिन किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे,” उन्होंने कहा।

भारत को लेकर नरम रुख

जहां एक तरफ अमेरिका का रुख अधिकांश देशों के प्रति सख्त रहा, वहीं भारत को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का रुख अपेक्षाकृत नरम और सहयोगपूर्ण दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच एक व्यापक व्यापार समझौता जल्द हो सकता है। ट्रंप के शब्दों में, “हमने यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ डील कर ली है, और अब हम भारत के साथ डील के बेहद करीब हैं।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने एक साथ कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत को इससे अलग रखे जाने को विशेषज्ञ अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों के लिए एक सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।

भारत-अमेरिका व्यापार: क्या है अहमियत?

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है और यह करीब 200 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच चुका है। भारत के लिए अमेरिका एक बड़ा निर्यात बाजार है, खासकर आईटी, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में। वहीं अमेरिका को भारत में रक्षा, तकनीक, सेवा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश और साझेदारी के बेहतर अवसर दिखाई दे रहे हैं।

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत, मजबूत लोकतांत्रिक प्रणाली और वैश्विक मंचों पर संतुलित कूटनीति उसे अमेरिका के लिए एक भरोसेमंद व्यापार साझेदार बनाती है। ट्रंप के बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका भारत को अपने रणनीतिक और आर्थिक एजेंडे में एक प्रमुख स्थान दे रहा है।

क्या होगा आगे?

ट्रंप की इस नई नीति से साफ है कि अमेरिका अब उन देशों से समझौता करना चाहता है जो उसके आर्थिक हितों के अनुरूप काम करें। भारत के साथ व्यापार समझौते की उम्मीद जहां सकारात्मक है, वहीं अन्य देशों को इस नई नीति के अनुरूप ढलना होगा या भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होता है, तो यह दोनों देशों के लिए एक बड़ा कदम होगा—खासतौर पर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार संरक्षणवाद और प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहा है।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। 14 देशों पर टैरिफ लगाना जहां उनके लिए आर्थिक दबाव का कारण बन सकता है, वहीं भारत को लेकर नरम रुख अपनाना यह दर्शाता है कि अमेरिका भारत को एक दीर्घकालिक व्यापारिक साझेदार के रूप में देखता है। आने वाले दिनों में यदि भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होता है, तो यह केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम साबित होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *