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22 Jul 2025, Tue

2 दिन, 2 सदन और सिर्फ हंगामा! संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना विपक्ष का ब्लॉकबस्टर मुद्दा

संसद में विपक्ष का हंगामा: 'ऑपरेशन सिंदूर

2 दिन, 2 सदन और सिर्फ हंगामा! संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना विपक्ष का ब्लॉकबस्टर मुद्दा

संसद में विपक्ष का हंगामा: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और एसआईआर पर बवाल, ठप रही दोनों सदनों की कार्यवाही

नई दिल्ली – संसद का मानसून सत्र 2025 विपक्षी तूफान की भेंट चढ़ता जा रहा है। लगातार दूसरे दिन लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों की कार्यवाही बिहार में चल रही एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया और विवादास्पद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मुद्दों पर विपक्ष के भारी विरोध के कारण स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों ने इन दोनों मामलों पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में बहस की मांग की, लेकिन सरकार और स्पीकर की अपीलों के बावजूद हंगामा थम नहीं सका।


लोकसभा में सुबह से शुरू हुआ विरोध

जैसे ही मंगलवार सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। वे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को असंवैधानिक बताते हुए उस पर तत्काल चर्चा की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही, कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले और “ऑपरेशन सिंदूर” पर भी चर्चा की मांग उठी।

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स्पीकर की अपीलें हुईं नाकाम

लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष से अपील की कि किसानों से जुड़े प्रश्नों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाए, लेकिन विपक्षी सांसद वेल में आकर तख्तियां लहराते रहे। नतीजतन, कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक और फिर दोबारा 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।


दोपहर बाद भी जारी रहा हंगामा

जब दोपहर 2 बजे कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तब भी विपक्षी सांसद शांत नहीं हुए। उन्होंने एसआईआर और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग को लेकर फिर से नारेबाजी की। स्पीकर की चेतावनी और बार-बार की अपीलों के बावजूद शांति नहीं लौट सकी और कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।


सरकार ने विपक्ष पर लगाया ‘दोहरा रवैया’ अपनाने का आरोप

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा, “विपक्ष एक तरफ चर्चा की मांग कर रहा है और दूसरी ओर खुद ही चर्चा नहीं होने दे रहा है। यह संसद के समय और संसाधनों की बर्बादी है।” उन्होंने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष का रवैया बाधा बन रहा है।


राज्यसभा में भी दिखा विरोध का असर

राज्यसभा में भी कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने ‘एसआईआर’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हालिया आतंकी हमले पर बहस की मांग की। उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी और अंततः पूरे दिन के लिए बंद करनी पड़ी।


12 स्थगन प्रस्ताव हुए खारिज

सीपीआई सांसद पी. संतोश कुमार ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर चर्चा की मांग की, लेकिन 12 स्थगन प्रस्ताव नियम 267 के तहत खारिज कर दिए गए। विपक्ष का आरोप है कि लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए इन मुद्दों पर चर्चा होना बेहद जरूरी है।


गृहमंत्रालय की अधिसूचना: धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार

प्रश्नकाल के दौरान गृहमंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर जानकारी दी कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। इसके बावजूद विपक्षी सांसद शांत नहीं हुए और सदन की गरिमा को बनाए रखने की अपीलें बेअसर रहीं।

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सामाजिक न्याय मंत्री ने रखे अहम विधेयक

इस राजनीतिक हंगामे के बीच सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने लोकसभा में दो अहम विधेयक पेश किए। पहला विधेयक RCI (Rehabilitation Council of India) में सांसदों के चुनाव से संबंधित था और दूसरा विकलांगता पर केंद्र सरकार के सलाहकार बोर्ड से जुड़ा था।


NFSA में 79 लाख नए लाभार्थी

राज्यसभा में एक और बड़ी घोषणा करते हुए सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत 79 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा। वर्तमान में लगभग 80.56 करोड़ लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं और लक्ष्य 81.35 करोड़ का है।

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निष्कर्ष

संसद में चल रही राजनीति का यह दृश्य दर्शाता है कि लोकतांत्रिक बहस और नीति निर्माण कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, खासकर जब विपक्ष और सरकार के बीच गहरी असहमति हो। विपक्ष की मांगें गंभीर हैं, लेकिन संसद की कार्यवाही को ठप करना लोकतंत्र के लिए दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है।

➡️ आपको क्या लगता है – क्या विपक्ष की मांगें जायज हैं या सरकार की प्रतिक्रिया वाजिब? अपनी राय नीचे कमेंट करें।

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