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28 Oct 2025, Tue

90 वर्षीय माँ ने कानून पढ़कर बचाया अपने बेटे का भविष्य: चीन के न्यायालय में एक अद्वितीय संघर्ष

90 वर्षीय माँ ने कानून पढ़कर बचाया अपने बेटे का भविष्य: चीन के न्यायालय में एक अद्वितीय संघर्ष

90 वर्षीय माँ ने कानून पढ़कर बचाया अपने बेटे का भविष्य: चीन के न्यायालय में एक अद्वितीय संघर्ष

ताज़ा विवरण

चीन के पूर्वी क्षेत्र में एक असाधारण और प्रेरणादायक कहानी सामने आई है: 90-वर्षीय महिला — श्रीमती He — ने अपने 57-वर्षीय बेटे, जो कथित रूप से 117 मिलियन युआन (लगभग ₹140 करोड़ / US$16 मिलियन) की ब्लैकमेलिंग के आरोपों में फंसा है, की रक्षा के लिए स्वयं कानून पढ़ना शुरू किया।

एक माँ का अदम्य साहस

कोर्ट तक पहुँचने की चाह: कोर्ट में सुनवाई के लिए श्रीमती He अक्सर रोज़ाना, चाहे मौसम कोई भी हो — बारिश या तूफ़ान — दस्तावेज़ पढ़ने और मामले की समझ के लिए जाती हैं। बचने या पीछे हटने का सवाल उनके सामने नहीं है।

आंखों की रोगी स्थिति में भी बढ़ती लगन: चूंकि उनकी दृष्टि कमजोर है, उन्होंने क्रिमिनल लॉ और क्रिमिनल प्रोसीजर की पुस्तकें एक लेंस (magnifying glass) की मदद से पढ़ीं।

जिद्दी और दृढ़ संकल्प: जब परिवार उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश कर रहा था, तब भी उनकी नानी (granddaughter) जानती थी:

> “But my grandmother is stubborn and she did not listen to the advice of others.”

 

 

कानूनी लड़ाई की पृष्ठभूमि

आरोप क्या है?
उनके बेटे, जिनका नाम Lin है, पर आरोप है कि उन्होंने एक स्थानीय व्यापारी Huang से धमकी देकर 117 मिलियन युआन की वसूली (extortion) की — जिसे कभी चीन के सबसे अमीर लोगों में गिना जाता था।

कहां चल रही सुनवाई?
यह मामला Zhejiang प्रांत के Zhoushan Municipal Intermediate Court में सुनवाई के दौर में है; अंतिम सुनवाई 30 जुलाई को हुई थी।

 

कानूनी अध्ययन की शुरुआत

यह अद्भुत प्रयास पिछले साल से शुरू हुआ जब Lin की गिरफ्तारी हुई। शिक्षा सीमित होने (junior high school तक) के बावजूद उन्होंने दृढ़ता दिखाई, खुद से कानून सीखने का निर्णय लिया, और किताबें खरीदकर पढ़ना शुरू किया — खासकर क्रिमिनल लॉ और प्रक्रिया से संबंधित।

मानव भावना बनाम कानूनी जटिलता

यह घटना एक गहरी भावनात्मक कहानी भी है जो यह बताती है कि किसी माँ की ममता और दृढ़ता किस हद तक जाती है — कानूनी लड़ाई से निवृत्त व्यक्ति भी मुकदमे के हिस्से बन जाते हैं। श्रीमती He की न केवल शारीरिक चुनौतियाँ (उम्र, दृष्टिहीनता, स्वास्थ्य) हैं, बल्कि यह भी कि वे शायद कानूनी पद्धति की गहराई को ठीक से नहीं समझती हों। फिर भी, उनके संकल्प ने यकीन दिला दिया कि वे अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ेंगी।

व्यापक प्रभाव और सामाजिक संदेश

जनमानस की प्रतिक्रिया: उनकी यह दृढ़ता सोशल मीडिया और मीडिया हेडलाइन्स में तेजी से वायरल हो गई है। कई लोग उनकी माँ जैसी बलिदान-भावना से प्रेरित हैं।

कानूनी जगत पर सवाल: क्या ऐसा होना न्याय प्रणाली के लिए चुनौतियाँ पेश करता है, या यह केवल एक व्यक्तिगत प्रेम का परिचायक है? ऐसी मिसालें सोचने पर मजबूर करती हैं कि न्याय व्यवस्था में पारिवारिक भावना की जगह कितनी होनी चाहिए।

 

निष्कर्ष

यह कहानी सिर्फ एक मुकदमे की नहीं है, बल्कि मानवीय भावना और मातृत्व के अहसास की है। 90-वर्षीय श्रीमती He ने यह साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है, जब दिल में चाह हो कुछ करने की। चाहे कानून की जटिलता हो या स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ — जब बात अंदर से सच्ची होती है, तो एक माँ की ममता के सामने कोई दीवार टिक नहीं सकती।

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